Wednesday, July 9, 2025
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Rajasthan Bjp Protest –  PM मोदी ने किया ‘नही सहेगा राजस्थान का समर्थन,जयपुर में बीजेपी का सचिवालय महाघेराव

जयपुर । राज्य सरकार के खिलाफ राजधानी में आज बीजेपी द्वारा सचिवालय महाघेराव किया जाएगा. इससे पहले प्रदेश भाजपा के मुख्यालय पर बड़ी सभा का आयोजन किया गया. इस सभा में राजस्थान बीजेपी का तमाम बड़े नेता शामिल हुए. शामिल होने वाले नेताओं में भाजपा प्रदेशध्यक्ष सीपीजोशी, पूर्व भाजपा प्रदेशध्यक्ष सतीश पूनिया, अरुण चतुर्वेदी,अल्का गुर्जर,विजया राहटकर, सासंद बाबा बालक नाथ, सासंद मनोज राजोरिया, अशोक परनामी, कनकमल कटारा , सासंद राजवर्धन सिंह, सासंद रामचरण बोहरा, सांसद गजेंद्र सिहं शेखावत, राहुल कसवा, सांसद दीया कुमारी, राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा सहित बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता मौजूद रहे. भाजपा मुख्यालय से सभा के दौरान बीजेपी नेताओं ने संबोधन में राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा. मंच पर राष्ट्रीय पदाधिकारी, कोर कमेटी सदस्य, प्रदेश पदाधिकारी, सांसद, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व मेयर को जगह दी गई है.

इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट करते हए भाजपा के प्रदर्शन का अपना समर्थन दिया पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘बेटियों के मान में चलो, गरीबों के उत्थान में चलो, दलित सम्मान में चलो, किसान का दर्द भी सुनो, हुंकार भरो… कांग्रेस के मौजूदा शासन ने जिस प्रकार वीर-वीरांगनाओं की भूमि राजस्थान को बदहाली और बदनामी का दलदल बनाकर रख दिया है, जनता-जनार्दन उससे जल्द छुटकारा चाहती है. राज्य के कुशासन को उखाड़ फेंकने का जन-जन ने जो संकल्प लिया है, उसे भाजपा की इस मुहिम से बहुत बड़ा बल मिलने वाला है.

16 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नहीं सहेगा राजस्थान कार्यक्रम की शुरुआत की थी. जिसके तहत जिला स्तर पर और मण्डल स्तर पर प्रदर्शन, घेराव के कार्यक्रम आयोजित किये गये थे. नहीं सहेगा राजस्थान के तहत अब तक हो रहे विरोध कार्यक्रमों में यह सबसे बड़ा प्रदर्शन है. पार्टी ने दावा किया है कि प्रदेश के प्रमुख शहरों से ही नहीं गांव-गांव ढाणी-ढाणी से बड़ी संख्या में लोग जयपुर पहुंचे हैं. महाघेराव में प्रदेश से लाखों की संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है. 

प्रधानमंत्री ने शरद पवार के साथ साझा किया मंच

पुणे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ मंच साझा किया। प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पवार शामिल हुए। प्रधानमंत्री को उनके सर्वोच्च नेतृत्व   और नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपको बता दें पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था।

इंडिया के सदस्यों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा। पवार ने उन सांसदों से मुलाकात नहीं की थी जो उन्हें इस समारोह में शामिल न होने के लिए मनाना चाहते थे।

लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। यह पुरस्कार हर साल 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है। कुछ सामाजिक संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने मोदी के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन किया। सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अदहव ने प्रदर्शन की अगुवाई की और प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाए। विपक्षी गठबंधन के सदस्यों ने दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर से करीब 300 मीटर दूर मंडई में प्रदर्शन किया। मोदी ने पुणे पहुंचने के बाद इस मंदिर में पूजा-अर्चना की। कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा (शरद पवार गुट) और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन में भाग लिया।

Maharashtra Accident : 5 लाख रुपये अनुग्रह राशि देगी राज्य सरकार  

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को ठाणे जिले में हुए क्रेन हादसे में श्रमिकों की मौत पर शोक जताया और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि ठाणे में समृद्धि एक्सप्रेसवे निर्माण के तीसरे चरण के दौरान एक क्रेन के पुल के स्लैब (पट्टी) पर गिर जाने से 17 श्रमिकों की मौत हो गई और 3 अन्य घायल हो गए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के एक अधिकारी ने कहा कुछ लोगों के अब भी फंसे होने की आशंका है और उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हादसे में 3 लोग घायल हुए हैं और उन्हें ठाणे के कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मुख्यमंत्री शिंदे ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि हादसे में घायल लोगों को इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। शिंदे ने बताया कि हादसा समृद्धि महामार्ग के तीसरे चरण के निर्माण कार्य के दौरान हुआ। समृद्धि महामार्ग को ‘हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग’ के नाम से जाना जाता है। यह मुंबई और नागपुर को जोड़ने वाला 701 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे है, जो नागपुर, वाशिम, वर्धा, अहमदनगर, बुलढाणा, औरंगाबाद, अमरावती, जालना, नासिक और ठाणे सहित 10 जिलों से होकर गुजरता है। समृद्धि महामार्ग का निर्माण कार्य महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम कर रहा है।

नागपुर को शिरडी से जोड़ने वाले इस एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2022 में किया था। पहले चरण के तहत 520 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 26 मई को इगतपुरी तालुका के भारवीर गांव से शिरडी तक समृद्धि महामार्ग के 80 किलोमीटर लंबे दूसरे चरण का उद्घाटन किया था। शिंदे ने मई में कहा था कि एक्सप्रेसवे के तीसरे और आखिरी चरण का निर्माण कार्य इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा।

Fact Check- मणिपुर हिंसा की वजह से हुई BJP नेता की पिटाई का वीडियो वायरल. जांच में सामने आया यह सच

ग्रेटर नोएडा। सोशल मीडिया पर पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में एक शख्स की कुछ युवकों द्वारा पिटाई की जा रही है. वायरल वीडियो में दावा किया गया कि यह शख्स बीजेपी नेता राहुल पंडित है इसके साथ मारपीट हुई, क्योंकि उन्होंने मणिपुर वायरल वीडियो को ‘साजिश’ बताया था. दावे में आगे कहा गया है कि बीजेपी नेता ने मणिपुर (Manipur Violence) के वायरल वीडियो को एक साजिश बताया था, इसलिए उनकी पिटाई हुई. जब इस वीडियो का जांच की गई तो पता चला कि इस वीडियो में जो शख्स है वह बीजेपी नेता राहुल पंडित है लेकिन उसकी पिटाई की वजह मणिपुर हिंसा नही है. ल़डपुरा गांव के लोगों ने उनके साथ मारपीट किसी स्थानीय मुद्दे को लेकर हुए विवाद को लेकर की थी.

वीडियो की जांच करते हुए जब हमने दावे से जुड़े कीवर्ड सर्च किए. तब जी न्यूज की एक वीडियो रिपोर्ट में यही वीडियो मिला. जी न्यूज की इस रिपोर्ट में यही बताया गया था कि वीडियो में ग्रेटर नोएडा के कुछ दबंग बीजेपी नेता राहुल पंडित के साथ मारपीट करते दिख रहे हैं. Times Of India की वीडियो रिपोर्ट में भी विजुअल के साथ यही जानकारी दी गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वायरल वीडियो में दिख रहे शख्स गौतमबुद्ध नगर जिले में बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं. उनके साथ लडपुरा गांव के कुछ लोगों ने मारपीट की.

क्या था पूरा विवाद जिसकी वजह से हुई थी पिटाई

आगे की जानकारी से पता चला कि पूरा मामला गांव के दो पक्षों के बीच का हैं. इस विवाद के चलते बीजेपी नेता राहुल पंडित को पकड़कर सरेराह मारपीट की गई. वीडियो ग्रेटर नोएडा के कासना थाना क्षेत्र में लड़पुरा गांव का है. साल 07 में यहां पर गांव के बाहर एक मुख्य द्वार बनाया गया था. इस द्वार पर ‘लखपत सिंह’ का नाम लिखा हुआ था, क्योंकि द्वार बनवाने में उनके परिजनों ने पैसा खर्च किया था. पिछले करीब 16 साल से इस मुख्य द्वार को लेकर कभी कोई आपत्ति नहीं हुई थी. लेकिन कुछ दिन पहले गांव में एक मंदिर का निर्माण हुआ. गांव में जहां नया मंदिर बना है, उसके बराबर में ही लखपत सिंह के परिजनों के खेत बने हुए हैं. कुछ लोग चाहते थे कि मंदिर के लिए लखपत सिंह के परिजन थोड़ी-बहुत जमीन दें. लखपत सिंह के परिजनों ने जमीन देने से इनकार कर दिया, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया और ये कहा कि जब तुम मंदिर के लिए जमीन नहीं दे सकते तो मुख्य गेट पर नाम क्यों लिखा हुआ है?

इसको लेकर उत्तरप्रदेश पुलिस ट्वीट करते हुए कहा कि मामला दो पक्षों के बीच हुए आपसी विवाद से जुड़ा था. विवाद के बाद कासना थाना पुलिस ने इस मामले में 26 जुलाई को राहुल पंडित पक्ष के नितिन, अमित अनुराग, श्याम, अमित और दूसरे पक्ष के मोहित, सुमित, जुगेंदर, प्रदीप, जितेंद्र आदि के खिलाफ बलवे का मुकदमा दर्ज किया था.

वीडियो के वायरल होने के बाद कांग्रेस ने वहां की लाचार कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए थे. Up Congress के ट्वीटर से कहा गया कि ग्रेटर नोएडा में दबंगों ने BJP के जिला उपाध्यक्ष राहुल पण्डित को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. बाबा ने लचर कानून व्यवस्था के जरिये जो ये बदतर प्रदेश बनाया है. उसकी आग से उनके कार्यकर्ता भी नहीं बच रहे. लेकिन, फिर भी न शासन सुन रही है. न प्रशासन सुधर रही है. कब तक यूँ सरेआम सड़कों पर गुंडई का प्रदर्शन होता रहेगा?.

Manipur Case : उच्चतम न्यायालय ने CBI को दिए निर्देश

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को मणिपुर में यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर अपराह्न 2 बजे सुनवाई करेगा। गत महीने सामने आए एक वीडियो में मणिपुर में कुछ लोग 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाते दिखे थे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महिलाओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों पर संज्ञान लिया। CBI ने इन महिलाओं को आज अपने समक्ष पेश होने और बयान दर्ज कराने को कहा था।

केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। पीठ ने कहा उन्हें (सीबीआई अधिकारियों को) इंतजार करने के लिए कहिए। हम आज अपराह्न 2 बजे इस पर सुनवाई करेंगे। इस पर मेहता ने जवाब दिया मैं यह संदेश दे दूंगा। उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में संबंधित महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वीडियो को सोमवार को भयावह करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी की वजह का पता लगाने का निर्देश दिया था। इसके अलावा न्यायालय ने जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति या फिर विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का सुझाव भी दिया था।

Cinematograph Amendment Bill 2023- सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 को लोकसभा से मिली मंजूरी

नई दिल्ली । सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही में राज्यसभा द्वारा मसौदा कानून को मंजूरी दिए जाने के कुछ दिनों बाद सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया. इस विधेयक में सिनेमाघरों के अंदर फिल्में रिकॉर्ड करने वालों पर जुर्माना लगाने और जेल भेजने का प्रावधान है. यह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के लिए उपलब्ध आयु रेटिंग की संख्या का भी विस्तार करता है, जो फिल्मों को सेंसर करता है साथ ही यह विधेयक फिल्मों को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी देता है. इस विधेयक में CBFC की सेंसरशिप शक्तियों को बरकरार रखा गया है. पिछले कुछ दशकों में CBFC की कार्यप्रणाली में आए बदलावों को भी क़ानून में शामिल किया गया है. उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो सरकार की पुनरीक्षण शक्ति, जिसे 1991 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले द्वारा छीन लिया गया था, इसको इस सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 से हटा दिया गया है, जिसे विधेयक में संशोधित किया गया है.  इस आवश्यकता को फिर से लागू करने के लिए विधेयक के 2019 संस्करण को फिल्म उद्योग से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय को फिल्म के प्रमाणन को रद्द करने की अनुमति देगा और सीबीएफसी द्वारा एक बार फिर इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता होगी.

क्या है सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 ?

सिनेमैटोग्राफ संसोधन विधेयक को पहली बार 12 फरवरी 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था. इसके बाद विधेयक को सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति को भेजा गया. स्थायी समिति ने 16 मार्च 2020 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023, हितधारकों के कई दौर के परामर्श के बाद तैयार किया गया था. इस विधेयक में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है. इस संसोधन में फिल्म पायरेसी को लेकर कठोर दंडात्मक प्रावधानों को शामिल किया गया है. यह फिल्मों के लिए नई उप-आयु श्रेणियां पेश करता है. इस विधेयक में विभिन्न प्लेटफार्मों पर फिल्मों और सामग्री के वर्गीकरण में एकरूपता लाना. संसोधन के बाद इस विधेयक में एक बार दिए गए प्रमाणन की वैधता 10 साल की बजाय, स्थायी होगी. यह अधिनियम उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप होगा. इस विधेयक के अनुसार टेलीविजन प्रसारण के लिए संपादित फिल्म का पुन:प्रमाणीकरण किया जाएगा. इस विधेयक के पारित होने के बाद केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं. यह एकरूपता बनाए रखने के लिए अधिनियम के प्रावधानों को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुरूप बनाएगा. विधेयक में संसोधन के बाद फ़िल्म वर्गीकरण के लिए नई उप-आयु श्रेणियाँ बनाई जाएगी. यह फिल्मों को “यू” (अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी), “ए” (वयस्क दर्शकों के लिए प्रतिबंधित), और “यूए” (कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन के अधीन अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी) रेटिंग देने के बजाय आयु समूह के आधार पर वर्गीकृत करेगा। संसोधित विधेयक में 12 वर्षों के लिए ‘UA-7+’, ‘UA-13+’, और ‘UA-16+’ की नई श्रेणियों को जोड़ा गया है. पायरेसी करते हुए पाए जाने पर तीन साल की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना शामिल किया गया है. पायरेसी का कार्य कानूनी अपराध होगा और यहां तक ​​कि पायरेटेड सामग्री प्रसारित करना भी दंडनीय होगा.

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि विधेयक के एंटी-पायरेसी प्रावधानों से पूरे फिल्म उद्योग को फायदा होगा. भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.

राजस्थान में RAS, IAS और IPS के हुए तबादले

जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य में साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में बड़ा फेरबदल करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के 336 अधिकारियों का तबादला किया है।

प्रदेश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 3 अधिकारियों और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 2 अधिकारियों का भी तबादला किया है। राज्य के कार्मिक विभाग ने सोमवार देर रात इस बारे में अलग-अलग आदेश जारी किए। इन तबादलों के तहत वरिष्ठ IPS अधिकारी बीजू जॉर्ज जोसेफ को जयपुर का नया पुलिस आयुक्त बनाया गया है। कार्मिक विभाग के बीकानेर के संभागीय आयुक्त IAS भानु प्रकाश एटूरू को गृह विभाग के शासन सचिव के पद पर जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं, वी सरवन कुमार को गृह विभाग के शासन सचिव पद से हटाकर आयुक्त-विभागीय जांच पद पर तैनात किया गया है। राजस्थान राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (राजफेड) की प्रबंध निदेशक उर्मिला राजोरिया अब बीकानेर की नयी संभागीय आयुक्त होंगी।

इसी तरह IPS के तबादलों में सरकार ने आनंद श्रीवास्तव की जगह वरिष्ठ IPS अधिकारी बीजू जॉर्ज जोसेफ को जयपुर का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया है। श्रीवास्तव अब अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी-कानून एवं व्यवस्था) होंगे। 1995 बैच के IPS अधिकारी जोसेफ पुलिस मुख्यालय में एडीजी (विजिलेंस) के पद पर थे। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2018 में गहलोत सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद श्रीवास्तव को जयपुर का पुलिस आयुक्त बनाया गया था। वहीं, एक अन्य आदेश में सरकार ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के 336 अधिकारियों का तबादला किया है। इसके तहत कई अतिरिक्त जिला खंड, उपखंड अधिकारी व जिला स्तर के अधिकारी बदले गए हैं।

एलन मस्क ने क्यूं दी धमकी, जानें पूरा मामला…

वाशिंगटन। पहले ट्विटर के नाम से पहचाने जाने वाली माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स ने स्वतंत्र अनुसंधानकर्ताओं के उस समूह पर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी है जिन्होंने अपने अनुसंधान में एलन मस्क द्वारा इस सोशल मीडिया मंच को पिछले साल खरीदे जाने के बाद से इस पर घृणा भाषण बढ़ने की बात कही है।

सोशल मीडिया मंच की पैरवी करने वाले एक वकील ने 20 जुलाई को सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (CCDH) को पत्र लिखकर घृणा भाषण और कॉन्टेंट मॉडरेशन में गैर-लाभकारी संगठन के अनुसंधान पर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी। कॉन्टेंट मॉडरेशन उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए तय नियमों और दिशानिर्देशों को लागू करने पर नजर रखने की प्रक्रिया है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि संचार (विशेष रूप से कोई पोस्ट) स्वीकार्य है या नहीं।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि ऐसा लगता है कि CCDH का अनुसंधान उत्तेजक दावे करके मंच से विज्ञापनदाताओं को दूर कर ट्विटर के कारोबार को नुकसान पहुंचाना चाहता है। CCDH एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसके अमेरिका और ब्रिटेन में कार्यालय हैं। वह आए दिन एक्स, टिकटॉक या फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों पर घृणा भाषण, चरमपंथ या नुकसानदायक बर्ताव पर रिपोर्ट प्रकाशित करता रहता है। सेंटर के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी इमरान अहमद ने सोमवार को बताया कि उनके समूह को सोशल मीडिया, घृणा भाषण और  चरमपंथ के बीच संबंध का अध्ययन करने के इतिहास के बावजूद किसी भी प्रौद्योगिकी कंपनी से कभी ऐसी प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने कहा अगर मस्क हमें चुप कराने में कामयाब हो जाते हैं तो अगली बारी अन्य अनुसंधानकर्ताओं की होगी।

महाराष्ट्र में बड़ा हादसा, क्रेन गिरने से 17 श्रमिकों की मौत

मुंबई। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में समृद्धि एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान हादसा हो गया. हादसे में क्रेन एक स्लैब (पट्टी) पर गिर गई. इस हादसे में 17 श्रमिकों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग गंभीर रुप से घायल हो गए. NDRF के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कुछ लोगों के अब भी फंसे होने की आशंका है और उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।’’ हादसे में घायल हुए तीन लोगों को ठाणे के कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में भर्ती कराया गया.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हादसे पर ट्वीट करते हुए कहा कि उन्होंने इस घटना की विशेषज्ञों से जांच कराने के आदेश दिए हैं. फडणवीस ने हादसे में श्रमिकों के मारे जाने पर शोक भी जताया. हादसे का कारण बनी क्रेन एक विशेष प्रयोजन वाली ‘मोबाइल गैन्ट्री क्रेन’ थी, जिसका उपयोग पुल निर्माण और राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं में पूर्वनिर्मित डिब्बानुमा पुल की डाट (गर्डर) लगाने के लिए किया जाता था. जानकारी के अनुसार यह दुर्घटना मंगलवार तड़के मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर शाहपुर तहसील के सरलांबे गांव के पास हुई. समृद्धि महामार्ग को ‘हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग’ के नाम से जाना जाता है.यह मुंबई और नागपुर को जोड़ने वाला 701 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे है, जो नागपुर, वाशिम, वर्धा, अहमदनगर, बुलढाणा, औरंगाबाद, अमरावती, जालना, नासिक और ठाणे सहित 10 जिलों से होकर गुजरता है. इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम द्वारा किया जा रहा था.

नागपुर को शिरडी से जोड़ने वाले इस एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का उद्घाटन पीएम मोदी ने दिसंबर 2022 में किया था. पहले चरण के निर्माण के तहत 520 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाया गया है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 26 मई को इगतपुरी तालुका के भारवीर गांव से शिरडी तक समृद्धि महामार्ग के 80 किलोमीटर लंबे दूसरे चरण का उद्घाटन किया था. एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में समृद्धि एक्सप्रेसवे पर पिछले छह महीने में हुई सड़क दुर्घटनाओं में कुल 88 लोगों की जान गई है, जिनमें से 25 लोगों की मौत पिछले महीने एक निजी बस के डिवाइडर से टकराने के कारण उसमें आग लगने से हुई.

इस हादसे पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने शोक जताया. इस हादसे में जिन श्रमिकों की मौत हुई है उनके परिजनों की प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. पीएम मोदी ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि ‘‘महाराष्ट्र में हुआ हादसा अत्यंत पीड़ादायक है. इसमें जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मैं अपनी शोक-संवेदना व्यक्त करता हूं. घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’

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