Sunday, May 11, 2025
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जोधपुर में सामूहिक हत्याकांड

जोधपुर। राजस्थान के जोधपुर में सामूहिक हत्याकांड का मामला सामने आया है। यहां 6 महीने की मासूम सहित एक ही परिवार के 4 लोगों को मारकर जला दिया गया। आपको बता दें आरोपियों ने पूरे परिवार की सोते समय हत्या की फिर उसके बाद घसीटकर आंगन में लाए और आग लगा दी। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद एसपी ग्रामीण धर्मेंद्र सिंह यादव मौके पर पहुंचे।

घटना जोधपुर के ओसियां उपखंड के चेराई गांव की बताई जा रही है। यहां बीती रात एक परिवार जब सो रहा था, उसी समय कुछ आरोपियों ने घर में घुसकर 4 लोगों की हत्या कर दी। इनमें 6 माह की बच्ची भी शामिल है। हत्या के बाद आरोपियों ने शवों को आंगन में आग लगा दी। सुबह गांव के लोगों ने घर से धुआं उठते देखा तब लोगों ने जाकर देखा तो आंगन में चार लाशें जली पड़ी थीं। इनमें 6 महीने की बच्ची का शव भी था, जो लगभग पूरी तरह जल चुका था वहीं अन्य शव अधजली हालत में थे।

लोगों ने घटना की सूचना पुलिस को दी इसके बाद एसपी ग्रामीण धर्मेंद्र सिंह यादव पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और जायजा लिया। फोरेंसिक एक्सपर्ट घटनास्थल से सबूत इकट्ठे कर रहे हैं। लोगों ने बताया की मृतक परिवार खेती किसानी का काम करता था। आपको बता दें फिलहाल अभी तक घटना के कारणों और आरोपियों का कोई पता नहीं लगा है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

अडाणी ने ‘मातृभूमि’ का दिया हवाला,हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को बताया बदनाम करने की साजिश

कहा, भारत पर एक सोचा-समझा हमला

नई दिल्ली। अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गलत है और इसमें दुर्भावना के चलते समूह को बदनाम करने के लिए आरोप लगाए गए थे। उन्होंने मातृभूमि भारत की वृद्धि संभावनाओं और अपने व्यापारिक साम्राज्य के लिए इसके महत्व का जिक्र भी किया।

अडाणी ने शेयरधारकों की वार्षिक बैठक में कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट उस समय प्रकाशित की, जब समूह भारत के इतिहास में सबसे बड़े अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) की योजना बना रहा था। उन्होंने कहा कि समूह की संपत्ति और परिचालन नकदी प्रवाह मजबूत है और उनका समूह अपने कॉरपोरेट प्रशासन तथा खुलासा मानकों को पूरा करने के लिए आश्वस्त है।

बेबुनियादी आरोपों को किया ​तैयार

उन्होंने कहा, रिपोर्ट गलत सूचना और बेबुनियाद आरोपों को मिलाकर तैयार की गई थी, जिनमें से ज्यादातर आरोप 2004 से 2015 तक के थे। अडाणी ने कहा, उन सभी आरोपों का निपटारा उस समय उपयुक्त अधिकारियों ने किया था। यह रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण प्रयास की आड़ में जानबूझकर बनाई गई थी, जिसका मकसद हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और हमारे शेयरों की कीमतों में अल्पकालिक गिरावट से मुनाफा कमाना था। इस रिपोर्ट के बाद भी समूह के एफपीओ को पूरा अभिदान मिल गया था, लेकिन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उनका धन वापस करने का फैसला किया गया।

कुछ लोग कर रहे फायदा उठाने का प्रयास

उन्होंने कहा, इन आरोपों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को कोई नियामकीय विफलता नहीं मिली। सेबी को अब भी अपनी रिपोर्ट सौंपना बाकी है, लेकिन हम अपने कामकाज के संचालन और स्पष्ट मानकों के प्रति पूरा विश्वास रखते हैं। यह मेरी प्रतिबद्धता है कि हम हर दिन इनमें सुधार लाने का प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने कहा, हमने तुरंत इसका एक व्यापक खंडन जारी किया, लेकिन निहित स्वार्थों के चलते कुछ लोगों ने शॉर्ट-सेलर के दावों से फायदा उठाने की कोशिश की। इन्होंने विभिन्न समाचारों और सोशल मीडिया मंचों पर झूठी कहानियों को बढ़ावा दिया।

भारत पर एक सोचा-समझा हमला

अडाणी ने कहा, उस राष्ट्र के भविष्य में मेरा दृढ़ विश्वास है जिसे हम अपनी मातृभूमि कहते हैं। उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत, जो पहले ही दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह वर्ष 2030 से पहले ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने आगे कहा, हमारे देश के जनसांख्यिकीय लाभ को देखते हुए उम्मीद है कि इससे खपत बढ़ेगी और कर भुगतान करने वाले समाज की रिकॉर्ड गति से वृद्धि होगी। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कोष का अनुमान है कि 2050 में भी भारत की औसत आयु सिर्फ 38 वर्ष होगी। अडाणी के मुताबिक, हमारे बही-खाते, संपत्ति और परिचालन नकदी प्रवाह लगातार मजबूत हो रहे हैं और अब पहले से कहीं अधिक बेहतर हैं। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों खंडन किया और इसे ‘भारत पर एक सोचा-समझा हमला’ बताया है।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती को मिली बड़ी राहत

— एनसीबी ने न्यायालय से कहाए मादक पदार्थ से जुड़े मामले में रिया चक्रवर्ती को दी गई जमानत को चुनौती नहीं दे रहे

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती को सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में बड़ी राहत मिल है। स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थ मामले की जांच के सिलसिले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को दी गई जमानत को चुनौती नहीं दे रहा।

एएसजी की दलील पर लिया संज्ञान

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ से कहा कि एनसीबी जमानत को चुनौती नहीं दे रही, लेकिन स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) कानून की धारा 27-ए के संबंध में कानून के प्रश्न को खुला रखा जाना चाहिए। सुशांत सिंह राजपूत की प्रेमिका रहीं रिया को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एनसीबी की याचिका पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने अभिनेत्री की जमानत पर एनसीबी के रुख में बदलाव पर एएसजी की दलील पर संज्ञान लिया, लेकिन स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय के फैसले को किसी अन्य मामले में मिसाल के रूप में नहीं लिया जाएगा।

धन खर्च करने का मतलब तस्करी नहीं

पीठ ने कहा, एएसजी की दलील सुनने के बाद, इस स्तर पर जमानत देने के संबंध में लागू आदेश को चुनौती देने की आवश्यकता नहीं लगती। एनसीबी ने चक्रवर्ती को एनडीपीएस कानून की धारा 27-ए के तहत आरोपित किया है जो ‘अवैध मादक पदार्थों की तस्करी को वित्तपोषित करने और प्रश्रय देने से संबंधित है’। इसमें 10 साल तक के कारावास और जमानत दिये जाने पर रोक का प्रावधान है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी ड्रग संबंधी लेनदेन के लिए भुगतान करने का मतलब मादक पदार्थ की तस्करी को वित्तपोषित करना नहीं है। उसने कहा था, इसलिए आवेदक के खिलाफ सुशांत सिंह राजपूत के लिए मादक पदार्थ खरीदने में धन खर्च करने के आरोप का मतलब यह नहीं होगा कि उन्होंने अवैध तस्करी के लिए धन दिया था।

हिन्दी में देखेंगे दर्शक ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी वॉल्यूम 3’

2 अगस्त को रिलीज होगी
डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर देख सकेंगे दर्शक

मुंबई। कॉमिक बुक श्रृंखला ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी वॉल्यूम 3’ जल्द ही हिन्दी भाषा में देख सकेंगे दर्शक।
मार्वल स्टूडियोज की फिल्म ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी वॉल्यूम 3’ वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर 2 अगस्त को रिलीज होने जा रही है।
इस संबंध में डिज़्नी प्लस हॉटस्टार ने मंगलवार को इसकी आधिकारिक​ जानकारी दी। सिनेमाघरों में 5 मई को रिलीज हुई ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी वॉल्यूम 3’ अब डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर अंग्रेजी के साथ ही साथ हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम भाषा में भी रिलीज की जाएगी। फिल्म में पीटर क्विल (क्रिस प्रैट), गमोरा (ज़ो सलदाना), रॉकेट (ब्रैडली कूपर), ड्रेक्स (डेव बॉतिस्ता) और ग्रूट (विन डीज़ल) जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे। फिल्म की पटकथा लेखन और इसका निर्देशन जेम्स गन ने किया है।

सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर 10 लोग गिरफ्तार

गुजरात। गुजरात के पाटन जिले में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हुई सांप्रदयिक झड़प में 8 लोगों के घायल होने के बाद पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री का खुलासा नहीं किया है जिसके कारण 16 जुलाई की रात बलीसाना कस्बे में झड़प हुई। सूत्रों ने बताया कि यह पोस्ट बॉलीवुड फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के बारे में थी।

बलीसाना थाने के निरीक्षक जे एस चौधरी ने कहा, ‘‘हमने अब तक दोनों पक्षों के 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें से एक पक्ष के आठ व्यक्ति सोमवार को गिरफ्तार किये गये थे, जबकि दूसरे पक्ष के कृष पटेल समेत दो लोग मंगलवार को गिरफ्तार किये गये।’’ चौधरी ने कहा कि 10 आरोपियों के खिलाफ दंगा, हमला और हत्या के प्रयास सहित विभिन्न आरोपों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस जांच के सिलसिले में कुछ गिरफ्तार आरोपियों को सोमवार को बलीसाना के मस्जिद चौक इलाके में ले गई, जहां यह घटना घटी थी। पुलिस की इस कवायद (जिसे अपराध का नाट्यरूपांतरण कहा गया) का एक वीडियो भी सोशल मीडिया मंच पर प्रसारित हो रहा है।

पुलिस उपाधीक्षक के के पांड्या के मुताबिक, कस्बे में स्थिति नियंत्रण में है। आरिफ शेख की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक कृष पटेल और निमेष पटेल ने उन पर और उनके चाचा इलियास शेख पर हमला किया जबकि एक युवक के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उस युवक और इलियास शेख के बीच पहले ही समझौता हो चुका था। आरिफ ने आरोप लगाया कि दोनों ने इलियास पर लोहे की छड़ से हमला किया और उन पर पथराव भी फेंके। जवाबी शिकायत में, मीतकुमार पटेल ने आरोप लगाया कि गांव के एक युवक की ओर से अपलोड की गई सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आरिफ और इलियास समेत 35 लोगों के समूह ने मस्जिद चौक पर उन पर और उनके पांच दोस्तों पर जान से मारने के इरादे से पाइप, तलवार और डंडे से हमला किया।

SEBI करेगा नीलामी

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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) गैरकानूनी तरीके से निवेशकों से जुटाई गई राशि की वसूली के लिए 21 अगस्त को सनहैवेन एग्रो इंडिया और रविकिरण रियल्टी इंडिया समेत 7 कंपनियों की 15 संपत्तियों की नीलामी करेगा।

सेबी ने मंगलवार को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, इन्फोकेयर इन्फ्रा, भारत कृषि समृद्धि इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जीएसएचपी रियलटेक लिमिटेड, जस्ट-रिलायबल प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड और न्यूलैंड एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की भी कुछ संपत्तियों की नीलामी की जाएगी। सेबी ने कहा कि इन संपत्तियों की नीलामी के लिए 13 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य रखा गया है। इन संपत्तियों में पश्चिम बंगाल में स्थित जमीनों के अलावा आवासीय इमारत भी शामिल है। सेबी के मुताबिक, 7 कंपनियों एवं उनके निदेशकों और प्रवर्तकों से संबद्ध संपत्तियों की 21 अगस्त को ऑनलाइन नीलामी की जाएगी। नियामक ने इच्छुक बोलीकर्ताओं से अपने स्तर पर संपत्तियों के बारे में जांच-परख करने को कहा है।

इन संपत्तियों की नीलामी निवेशकों से गैरकानूनी रूप से जुटाए गए पैसे की वसूली के लिए की जा रही है। सेबी ने उन्हें सार्वजनिक निर्गम मानकों का पालन न करते हुए धन जुटाने का दोषी मानते हुए वसूली की यह कार्रवाई शुरू की है।

रेसलर्स यौन शोषण केस में बृजभूषण को जमानत

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  को राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत मिल गई है। समन मिलने के बाद मंगलवार (18 जुलाई) कोर्ट में पेश हुए बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  को 25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत मिल गई। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। कोर्ट ने बृजभूषण (Brij Bhushan Sharan Singh)  के अलावा WFI के निलंबित सचिव विनोद तोमर  (Vinod Tomar) को भी गुरुवार तक अंतरिम जमानत दी है। 

बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के वकील ने मीडिया ट्रायल का आरोप लगाया। इस पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा कि वह उच्च न्यायालय या ट्रायल कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर सकते हैं। अदालत अर्जी पर उचित आदेश पारित करेगी। हालांकि, वकील ने इस संबंध में कोई अर्जी दाखिल नहीं की।

ओलंपियन विनेश फोगाट  (Vinesh Phogat), साक्षी मलिक (Sakshi Malik) और बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) समेत देश के कई शीर्ष पहलवानों ने WFI के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना दिया था। बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर  6 महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। जिसमें उनपर कई धाराएं लगाई गई थी।    

कोर्ट से समन मिलने के बाद बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  ने कहा था कि वह अदालत से जमानत की मांग करेंगे। पहले भी जब उन्हें समन किया गया था तब उन्होंने कहा था कि वह कोर्ट जाएंगे क्योंकि उन्हें किसी का डर या खौफ नहीं है। कोर्ट ने 7 जुलाई को बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के साथ-साथ विनोद तोमर  (Vinod Tomar) को भी 18 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।  

बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ 6 पहलवानों के उत्पीड़न के आरोप को लेकर चार्जशीट दाखिल की गई थी। दिल्ली पुलिस ने नाबालिग मामले में बृजभूषण (Brij Bhushan Sharan Singh)  को क्लीन चिट देने की बात कही थी। वहीं उनपर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 (महिला की शीलता भंग करना), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354 डी (पीछा करना) के तहत आरोप तय किए गए हैं। 

विपक्ष के नए गठबंधन के नाम का हुआ ऐलान

नई दिल्ली। विपक्ष के गठबंधन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। आपको बता दें अपने गठबंधन के नए नाम का ऐलान कर दिया है। यह गठबंधन NDA को टक्कर देगा। विपक्ष के इस नए गठबंधन का नाम INDIA यानि इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (Indian National Democratic Inclusive Alliance) होगा। 

जलवायु परिवर्तन को रोकने में जी—20 देश फेल

शोध में हुआ ये बड़ा खुलासा

लिवरपूल। हाल ही लिवरपूल जॉन मूरेस यूनिवर्सिटी के एक शोध में ये बात निकलकर आई हैं कि, लोग अपनी व्यवस्तताओं में इतने उलझे हुए है कि, उन्हें जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचने और उससे बढ़ रहे संकट को समझने का समय ही नहीं हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि, जीवन की धीमी गति में बदलाव से प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने और हमारी ओर बढ़ रहे जलवायु संकट के प्रभाव को देखने का समय भी मिल सकता है। साथ में, ये परिवर्तन लोगों में वर्तमान समय में जलवायु जागरूकता लाने, कार्य करने की तात्कालिकता बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए ग्रह को संरक्षित करने में मदद कर सकते हैं।
शोध के अनुसार राजनेताओं और पर्यावरण संगठनों ने लोगों के व्यवहार को प्रभावित करने और जलवायु संकट से निपटने के लिए वैसे तो करोड़ों रूपयों का निवेश करने का दावा किया है और निवेश हो भी रहा होगा। फिर भी जी—20 का कोई भी देश अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर नहीं है। शोध में इसकी वजह को लोगों के बीच ही से खंगाला है। शोधकर्ता अपना ध्यान लोगों की समय के प्रति धारणा और जलवायु परिवर्तन पर उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बीच संबंध पर केंद्रित कर रहे हैं।

शोधाकर्ताओं की खोज
शोधकर्ताओं द्वारा खोजे जा रहे मुख्य क्षेत्रों में से एक यह है कि, लोग जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए आवश्यक विशाल समय के पैमाने की व्याख्या कैसे करते हैं। लोग अपने जीवन के अनुभवों को अतीत, वर्तमान और भविष्य की मानसिक समयरेखा पर प्रस्तुत करते हैं। लेकिन वह समयरेखा उतनी सीधी नहीं है जितना आप सोच सकते हैं। किसी घटना की प्रकृति इस बात पर प्रभाव डाल सकती है कि कोई उसे अतीत या भविष्य में कितना करीब या दूर मानता है।
दर्दनाक अतीत की घटनाएँ तटस्थ घटनाओं की तुलना में समय के करीब या अधिक वर्तमान लग सकती हैं। हालांकि, लोग दूर के भविष्य में होने वाली नकारात्मक घटनाओं के खतरे को कम गंभीरता से लेते हैं और उन्हें वर्तमान के करीब की घटनाओं की तुलना में कम जोखिम भरा मानते हैं। यह आपके ठीक पीछे में हो रहा है जो लोग बाढ़, आग और अत्यधिक गर्मी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से सीधे पीड़ित हुए हैं, वे अक्सर जलवायु संकट को अपने वर्तमान के हिस्से के रूप में देखते हैं। जिन लोगों के जीवन पर अभी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ना शुरू ही हुआ है, वे आने वाली आपदा के समय को दूर मानते हैं। उनके भविष्य पर अभी भी संकट है।
इसका मतलब यह नहीं है कि लोग तब तक कार्रवाई नहीं करेंगे जब तक कि उनके घर चरम मौसम से तबाह न हो जाएं। अब अत्यधिक स्थानीयकृत केंद्रित संचार रणनीतियां अधिक लोगों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। हमें यह दिखाने के लिए विज्ञापन तैयार करने चाहिए कि, जलवायु परिवर्तन उनके शहर के लोगों, उनके स्थानीय सौंदर्य स्थलों को कैसे प्रभावित कर रहा है। समय की हमारी समझ को विकृत करना घड़ियां और कैलेंडर समय को मापने, रिकॉर्ड करने की प्रणाली हैं, जिससे समय एक वस्तुनिष्ठ अवधारणा की तरह प्रतीत होता है।


पहले ‘समय’ को समझना होगा

शोध से पता चलता है कि समय का हमारा अनुभव हमारी मानसिक समय रेखा की तरह व्यक्तिपरक है। उदाहरण के लिए, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, समय के प्रति हमारी समझ बदल जाती है। परिणामस्वरूप अक्सर उम्र बढ़ने के साथ-साथ समय के तेजी से बीतने का एहसास होता है। विचार, भावनाएं और कार्य समय के हमारे अनुभव को भी प्रभावित करते हैं। जब हम उत्साहित, खुश और व्यस्त होते हैं तो यह आमतौर पर तेजी से गुजरता है, और जब हम दुखी, खिन्न और अलग-थलग होते हैं तो धीरे-धीरे गुजरता है। इसका मतलब यह है कि हम अपने मूड और हमारे जीवन में क्या चल रहा है, इसके आधार पर जलवायु संदेश के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

संकट के मुहाने पर खड़ा वर्तमान

शोधकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि

क्या सर्वनाशकारी बातें कार्रवाई को बढ़ावा देती हैं या शून्यवाद को। यह विचार करने योग्य है कि क्या लोग जलवायु कार्रवाई में अधिक संलग्न होंगे यदि हमने वर्तमान को सर्वनाश के मुहाने के रूप में दिखाया। संदर्भ ही सब कुछ है संस्कृति इस बात पर भी प्रभाव डालती है कि लोग समय को कैसे समझते हैं। अपनी आंखें बंद करें और अतीत, वर्तमान और भविष्य की मानसिक समय रेखा की कल्पना करें। क्या अतीत बायीं ओर है या दायीं ओर? यदि आप बाएं-दाएं पढ़ने-लिखने वाले परिवार में पले-बढ़े हैं, तो संभावना है कि अतीत बाईं ओर है और भविष्य दाईं ओर है। किंतु आप दाएं-बाएं पढ़ने-लिखने वाले परिवार में पले-बढ़े हैं तो अतीत दाईं ओर और भविष्य बाईं ओर होगा। इसी तरह, जबकि कुछ संस्कृतियों में भविष्य हमेशा आगे रहता है, दूसरों के लिए समय के प्रवाह की दिशा उस दिशा पर निर्भर करती है जिसका सामना कोई कर रहा है।

डिजिटल तकनीक जिम्मेदार
आप कौन हैं, कहां से आए हैं और क्या कर रहे हैं, इसके आधार पर समय अलग-अलग महसूस होता है। जबकि कई लोग पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार में संलग्न होने के लिए प्रेरित होते हैं, अगर हम चाहते हैं कि अधिक लोग बदलाव लाएं तो हमें अधिक जानकारीपूर्ण और सूक्ष्म तरीके से समय निर्धारित करने की आवश्यकता है। समय कीमती है समय दुर्लभ है। डिजिटल तकनीक कई लोगों के जीवन की गति को तेज कर रही है और इसका अर्थ है कि कुछ समूह व्यस्तता को सफलता के संकेतक के रूप में देखते हैं।
पर्यावरण अनुकूल व्यवहार से जुड़े समय के बोझ को कम करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें इस बात पर शोध करना चाहिए कि इस व्यवहार में कम समय कैसे लगे। इसका समाधान सामाजिक परिवर्तन हो सकता है। इसका मतलब समय के उत्पादकता आधारित मॉडल, जिसमें ‘‘समय ही पैसा है’’ और खाली समय दुर्लभ है, से हटकर हमारे शेड्यूल में जगह बनाने के लिए समय के साथ नरम संबंध बनाना हो सकता है।

CBI अदालत ने हरीश रावत सहित 4 नेताओं को दिए आदेश

देहरादून। वर्ष 2016 के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में विशेष CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित 4 नेताओं को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।

विशेष न्यायाधीश, सीबीआई धमेंद्र अधिकारी ने सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता रावत, राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार और अब खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।

आवाज के नमूने कब और कहां लिए जाएंगे, इसके बारे में CBI इन नेताओं को अलग से नोटिस जारी करेगी। इससे पहले, 15 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान उमेश शर्मा को छोड़कर अन्य सभी नेताओं के वकीलों ने इस आधार पर CBI के आवाज का नमूना लेने पर सवाल उठाए थे कि मामले से जुड़ी एक याचिका उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लंबित है जिस पर 27 जुलाई को फैसला आना है।

वर्ष 2016 में 10 कांग्रेस विधायकों ने हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विद्रोह करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया था, जिसके बाद यह ‘स्टिंग ऑपरेशन’ सामने आया था। इस स्टिंग में सुनाई दे रही आवाजों के मिलान के लिए CBI ने अदालत से अनुमति मांगी थी।

स्टिंग के इस वीडियो में अपनी सरकार बचाने के लिए रावत असंतुष्ट विधायकों का समर्थन फिर हासिल कर सत्ता में बने रहने के लिए कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। वीडियो सामने आने के बाद, पहले से ही अस्थिर राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था।

उस वक्त कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद बनी परिस्थितियों में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विधानसभा में हुए शक्तिपरीक्षण में बहुमत हासिल करके रावत सरकार फिर बहाल हो गयी थी लेकिन इसमें बागी विधायकों को मत डालने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था।

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