नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है. सर्वोच्च न्यायालय की 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि खनिजों पर देय ‘रॉयल्टी’ कर नहीं है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के 7 न्यायाधीशों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है.
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
बहुमत के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1989 में 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया वह फैसला सही नहीं है जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर ‘रॉयल्टी’ कर है.प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण फैसला दिया है.न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार नहीं है.प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह हैं.
पीठ ने इस मुद्दे पर सुनाया फैसला
पीठ ने इन विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाया कि क्या खनिजों पर देय ‘रॉयल्टी’ खान तथा खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत कर है.क्या केवल केंद्र को ही ऐसा कर लेने का अधिकार है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर लेने का अधिकार है.