चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को अपने आवास पर मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलायी. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार बैठक का कोई आधिकारिक एजेंडा जारी नहीं किया गया है लेकिन मंत्रिपरिषद के सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे पर चर्चा करने की संभावना है. यह बैठक तब बुलायी गयी है जब एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे जो राज्य में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था और वहां किए गए निर्माण की सीमा के बारे में आकलन करे.
पानी की समस्या से जूझ रहा पंजाब
पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने बुधवार को कहा कि राज्य के पास किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है. हरियाणा में हालांकि राजनीतिक संगठनों ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य के लोग एसवाईएल का पानी पाने के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं. पंजाब मंत्रिमंडल की आपात बैठक में नए महाधिवक्ता की नियुक्ति पर चर्चा होने की भी संभावना है. एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी.
हरियाणा के बाद अब पंजाब की बारी
हरियाणा ने अपने क्षेत्र में इस परियोजना को पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया. उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से नहर के निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ते विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने को भी कहा है.