हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि कौन जानता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद इसका क्या असर होगा। उन्होंने उम्मीद जताई की यह रिपोर्ट हजारों बाबरी मस्जिदों के द्वार नहीं खोलेगी।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें ASI को ज्ञानवापी परिसर में एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि 17वीं शताब्दी में बनी इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के ढांचे के ऊपर तो नहीं किया गया है।
ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा उम्मीद है कि 23 दिसंबर और 6 दिसंबर की घटनाएं दोहराई नहीं जाएंगी और पूजा स्थल अधिनियम की शुचिता के संबंध में अयोध्या मामले के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे ट्वीट किया (यदि) ASI द्वारा ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है, तो कौन जानता है कि इसका असर क्या होगा। उम्मीद की जाती है कि 23 दिसंबर और 6 दिसंबर की पुनरावृत्ति नहीं होगी। पूजा स्थल अधिनियम की शुचिता के संबंध में अयोध्या मामले के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि इससे हजारों बाबरी मस्जिदों के द्वार नहीं खोले जाएंगे।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ASI को सर्वेक्षण के दौरान परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। पीठ ने ASI और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया। मेहता की ओर से कहा गया था कि सर्वेक्षण के दौरान परिसर में खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।