अमेरिका में मंदी की आशंका से भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों में हाहाकार मच गया,सोमवार यानि 5 अगस्त को भारतीय शेयर मार्केट खुलने के साथ ही इसका असर देखने को मिला.आज BSE सूचकांक सेंसेक्स एक समय 2600 अंक तक लुढ़क गया, वहीं एनएसई निफ्टी 790 से ज्यादा अंक गिर गया.बाजार की इस गिरावट में निवेशकों के 17 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए डूब गए.जापान के शेयर मार्केट की बात करें तो वहां 1987 के बाद से आज सबसे बड़ी गिरावट आई है.दक्षिण कोरिया में गिरावट के चलते शेयर बाजार को बंद करना पड़ गया और ट्रेडिंग रोकनी पड़ी.
अमेरिका पर बढ़ रहा आर्थिक मंदी का खतरा
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के ऊपर आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है. तमाम एनालिस्ट के द्वारा मंदी के कयासों के बीच अब गोल्डमैन सैश ने भी आशंका बढ़ा दी है. गोल्डमैन सैश ने अगले साल में अमेरिका में मंदी आने के अपने अनुमान में बदलाव किया है और उसे बढ़ा दिया है.ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डमैन सैश ग्रुप इंक के अर्थशास्त्रियों ने अगले साल अमेरिका में मंदी आने के अनुमान को 15 % से बढ़ाकर 25 % कर दिया है.हालांकि राहत की बात है कि अर्थव्यवस्था के ऊपर मंदी के जोखिम के बाद भी अचानक बड़े नुकसान का जोखिम नहीं है.गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मंदी के बढ़े जोखिम के बाद भी ऐसे कई कारण हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि बेरोजगारी बढ़ने के बाद भी अचानक अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट नहीं आने वाली है.
इन आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
अमेरिका में बेरोजगारी पर जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि यूएस में पिछले 6 महीने में 1.14 लाख नौकरियां क्रिएट हुई हैं.जो अनुमान से करीब 35 % कम थी.अमेरिका में बेरोजगारी दर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई है. यह अक्टूबर 2021 के बाद अमेरिका में बेरोजगारी का सबसे बड़ा आंकड़ा है.और इसने एक बार फिर से मंदी आने की आशंका को बढ़ा दिया है.एनालिस्ट मान रहे हैं कि बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ना आने वाली मंदी का संकेत है.
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में लगातार 5 महीने से बेरोजगारी दर बढ़ रही है. मार्च में बेरोजगारी दर 3.8% थी, जो जुलाई में बढ़कर 4.3% हो गई.इतना ही नहीं,अमेरिका में जुलाई में लगभग ढाई लाख लोगों को कंपनियों ने छंटनी में नौकरी से निकाल दिया.पिछले साल भी एपल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने लगभग 2 लाख छंटनियां की थीं.