Saturday, April 26, 2025
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मुनाफे में डूब गई ये तेल कंपनिया, जानिए क्या रहेंगे तेल का दाम

नई दिल्ली । कच्चे तेल के दामों में बीते एक वर्ष में लगातार आई कमी के बाद पेट्रोल और डीजल के दामों में राहत की उम्मीद बन सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मानें तो कच्चा तेल 35 प्रतिशत तक सस्ता हो गया है और इसका सीधा लाभ देश की तीनों बड़ी तेल कंपनियों को मिला है। इसी महीने 10 जुलाई को कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट दर्ज होने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी की जा सकती है।

जानकारी के अनुसार शुक्रवार को आए नतीजों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में इंडियन ऑयल ने 13 हजार 750 रुपए का मुनाफा कमाया है। बीते साल इन्हीं 3 महीनों में कंपनी को 1992 करोड़ का घाटा हुआ था। लेकिन क्रिसिल की मानें तो इस साल इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन करीब 1 लाख करोड़ का मुनाफा कमाएंगी। ये आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2023-24 में सामने आएगा।

एक साल में 15 फीसदी गिरे कच्चे तेल के दाम

बीते एक साल में कच्चे तेल के दामों में 15% तक की गिरावट दर्ज की गई है। कच्चे तेल के दामों में ज्यादा उठापटक नहीं होने से ही देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आखिरी बार अप्रैल-2022 में पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए थे। अभी देश के ज्यादातर हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपए और डीजल 90 रुपए प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है।

10 रुपए प्रति लीटर मुनाफा कमा रही हैं कंपनियां

पेट्रोलियम पदार्थों का रिटेल बिजनेस करने वाली तीनों सरकारी कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन का मुनाफा करीब 3 गुना बढ़ गया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि ये कंपनियां अभी प्रति लीटर करीब 10 रुपए की कमाई कर रही हैं। वर्ष 2017 से 2022 के बीच इन कंपनियों ने सालाना 60 हजार करोड़ का औसत मुनाफा कमाया। अब इनका कुल मुनाफा 2022-23 के 33,000 करोड़ रुपए से तीन गुना होने का अनुमान है।

पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐसे होती हैं तय

देश में जून-2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमतें खुद निर्धारित करती थीं और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। अक्टूबर-2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी। 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

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