नई दिल्ली, आम सहमति बनाने में माहिर माने जाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नई आयकर व्यवस्था को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कंप्यूटर साइंस में स्नातक और प्रिंसटन विश्वविद्यालय से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल करने वाले 56 वर्षीय मल्होत्रा वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हैं और वह शक्तिकान्त दास का स्थान लेंगे. दास का दूसरा 3 साल का कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है.
11 दिसंबर को संभालेंगे RBI की कमान
मल्होत्रा के पास बिजली, वित्त और कराधान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक नीति में 3 दशक से अधिक का अनुभव है. सरकारी आदेश के मुताबिक, मल्होत्रा 11 दिसंबर से 3 साल के लिए आरबीआई की कमान संभालेंगे.
कौन हैं संजय मल्होत्रा ?
राजस्थान के रहने वाले मल्होत्रा उसी राज्य कैडर के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं. प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय से सार्वजनिक नीति में स्नात्कोत्तर डिग्री हासिल की हैं.
कई पदों पर काम करने का अनुभव
मल्होत्रा ने केंद्र में आने से पहले अपने गृह राज्य में विभिन्न विभागों में काम किया. वह 2000 में केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव के रूप में केंद्र में आए. वह 2003 में राजस्थान वापस चले गए और उन्होंने खान तथा खनिज, सूचना और प्रसारण, वित्त, ऊर्जा और वाणिज्यिक कराधान विभागों में काम किया. वह 2020 में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में केंद्र में लौटे. उन्होंने एक वर्ष से अधिक समय तक विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली आरईसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य किया. उसके बाद वह फरवरी, 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग में सचिव नियुक्त हुए। उन्होंने आरबीआई निदेशक मंडल में बतौर प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया. वह दिसंबर, 2022 में राजस्व सचिव बने.
एक टीम के रूप में काम करने के लिए जाने जाते हैं
दास ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मानक ब्याज दर को लगभग 2 साल तक अपरिवर्तित रखा. आने वाले गवर्नर को एक ‘टीम’ के रूप में काम करने वाला कहा जाता है. वह मानते हैं कि कीमतों को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इस कार्य के लिए सरकारी मदद की भी आवश्यकता है.
संजय मल्होत्रा के नाम ये उपलब्धियां
नई आयकर व्यवस्था का क्रियान्वयन उनकी उपलब्धि है. मल्होत्रा के कार्यकाल में प्रत्यक्ष कराधान के मोर्चे पर वेतनभोगी वर्ग को राहत देने वाली नई प्रत्यक्ष कराधान व्यवस्था लागू हुई. साथ ही आयकर अधिनियम को सरल बनाने का काम भी उनके कार्यकाल में शुरू हुआ. वहीं अप्रत्यक्ष कराधान के मोर्चे पर, जीएसटी के तहत ऑनलाइन गेमिंग के कराधान पर स्पष्टता देखी गई. इसके अलावा, घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और ईंधन निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर को भी उन्हीं के कार्यकाल में हटाया गया.
नए गवर्नर के सामने चुनौतियां
वह ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं जब RBI पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती का दबाव है. साथ ही जब अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि दर और उच्च मुद्रास्फीति की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है.जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर 7 तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही है. वहीं अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है. RBI को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
RBI पर नीतिगत दर में कटौती का दबाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल के दिनों में ब्याज दर में कटौती की वकालत की है. इसका कारण यह है कि उच्च ब्याज लागत अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है. इससे आरबीआई पर नीतिगत दर में कटौती का दबाव भी है. माना जाता है कि मल्होत्रा के वित्त मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं. यह मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप बनाने में मददगार हो सकते हैं.