आखिर खत्म हुआ 13 साल का इंतजार, एशियाई खेलों में भारत की झोली में कांस्य पदक
नई दिल्ली। भारतीय महिला तीरंदाजी रिकर्व टीम की कोच पूर्णिमा महतो की ‘बिंदास मारो’ सलाह पर अमल करते हुए खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतकर 13 साल के सूखे को खत्म किया। पांचवीं वरीयता प्राप्त भारतीय टीम ने जापान पर 6-2 की जीत के साथ अपना अभियान शुरू किया था, लेकिन उसे दक्षिण कोरिया से 2-6 से हार का सामना करना पड़ा। चोट से जूझ रही अंकिता भकत, सिमरनजीत कौर और भजन कौर की तिकड़ी ने इसके बाद वियतनाम को हराकर कांस्य पदक जीता। भारत की पांचवीं वरीय जोड़ी ने कांस्य पदक के मुकाबले में डो थी आन एनगुएट, एनगुएन थी थान नी और हाओंग फुओंग थाओंग की वियतनाम की टीम को 6-2 (56-52, 55-56, 57-50, 51-48) से हराया।
कोच बालीं, हमारे पास खोने को कुछ नहीं था
भारतीय कोच पूर्णिमा महतो ने हांगझोउ से बताया कि किसी ने भी हमें पदक का दावेदार नहीं माना था। ऐसे में मैंने अंकिता, सिमरनजीत और भजन से कहा कि यहां इस तरह से ‘बिंदास मारो’ जैसे की यह अभ्यास मैच हो। हमारे पास गंवाने के लिए कुछ नहीं था। वियतनाम के तीरंदाजों के आखिरी तीन शॉट से पहले ही भजन ने आठ अंक के निशाने के साथ पदक भारत की झोली में डालकर 13 साल के इंतजार को खत्म किया। भारतीय खिलाड़ियों ने हालांकि जीत का जश्न मनाने के लिए रेफरी के इशारे का इंतजार किया।
खिलाड़ियों को है पूरा श्रेय
पूर्णिमा ने कहा, मैं टेलीस्कोप पर उनके स्कोर को देख रही थी। यह आठ अंक वाला निशाना था लेकिन हमने इसकी पुष्टि के लिए जज के फैसले का इंतजार किया। उन्होंने कहा, हमारे साथ ऐसा पहले एक बार हो चुका है, जब हम ने जल्दी जश्न मनाना शुरू कर दिया था लेकिन फिर हमें हार का सामना करना पड़ा। व्यक्तिगत तौर पर यह मेरे लिए भावनात्मक मौका था। हमने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं और आखिरकार कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। इसका पूरा श्रेय खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत को मिलना चाहिए। कोच ने कहा, इसका पूरा श्रेय खिलाड़ियों को ही मिलना चाहिए। उन्होंने पिछले एक साल से काफी मेहनत की है। अंकिता के कंधे में डेढ़ साल से समस्या है जबकि सिमरजीत एक साल से चोटिल है।