Thursday, February 6, 2025
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Manipur Case :  महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में 5वां आरोपी गिरफ्तार

इंफाल। मणिपुर पुलिस ने राज्य के कांगपोकपी जिले में 4 मई को 2 आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने के संबंध में 5वें व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

आरोप है कि भीड़ ने महिलाओं का छोड़ने से पहले उनका यौन उत्पीड़न किया। बुधवार को इस घटना का 26 सेकेंड का वीडियो सामने आया था। बी. फाइनोम गांव में महिलाओं की परेड कराने वाली भीड़ में शामिल रहे व्यक्ति को 1 महिला को घसीटते हुए देखा गया था। यह व्यक्ति घटना की व्यापक निंदा होने के बाद गुरुवार को गिरफ्तार किए गए 4 लोगों के साथ शामिल था।

पुलिस ने कहा कि इन 4 लोगों को शुक्रवार को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। जिन 2 महिलाओं के साथ यह शर्मनाक घटना हुई, उनमें से एक भारतीय सेना के पूर्व जवान की पत्नी है, जिसने असम रेजिमेंट में सूबेदार के रूप में सेवाएं दी थीं और करगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था।

घटना से जुड़े वीडियो को लेकर कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस थाने में 21 जून को शिकायत दर्ज कराई गई थी।

मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, भीड़ ने 4 मई को एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जिसने कुछ लोगों को अपनी बहन से दुष्कर्म करने से रोकने की कोशिश की थी। प्राथमिकी के मुताबिक, इसके बाद 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और दूसरे लोगों के सामने ही उनका यौन उत्पीड़न किया गया।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

Defamation Case :  सेना अधिकारी को 2 करोड़ रुपये का मुआवजा

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार में कथित तौर पर शामिल होने संबंधी एक समाचार पोर्टल के ‘खुलासे’ के कारण भारतीय सेना के एक अधिकारी की जो बदनामी हुई, उसे लेकर उन्हें 2 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने मेजर जनरल एम एस अहलूवालिया द्वारा दायर मुकदमे का फैसला करते हुए शुक्रवार को निर्देश दिया कि इस राशि का भुगतान समाचार पोर्टल तहलका डॉट कॉम, इसकी मालिक कंपनी मेसर्स बफेलो कम्युनिकेशंस, इसके मालिक तरुण तेजपाल और 2 पत्रकारों-अनिरुद्ध बहल एवं मैथ्यू सैमुअल द्वारा किया जाएगा। अदालत ने कहा कि किसी ईमानदार सैन्य अधिकारी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाने का इससे बड़ा मामला नहीं हो सकता और प्रकाशन के 23 वर्षों के बाद माफ़ी मांगना ‘न सिर्फ अपर्याप्त बल्कि बेतुका भी है।’’ समाचार पोर्टल ने कथित ‘‘खुलासा’’ 2001 में किया था।

अदालत ने हालांकि कहा कि वादी ज़ी टेलीफिल्म लिमिटेड और उसके अधिकारियों की ओर से मानहानि के किसी भी कृत्य को साबित नहीं कर सके, जिसने समाचार पोर्टल के साथ एक समझौते के बाद संबंधित खबर का प्रसारण किया था। अदालत ने कहा कि वादी की न केवल जनता की नजरों में प्रतिष्ठा धूमिल हुई बल्कि उनका चरित्र भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से खराब हुआ, जिसे बाद में किसी खंडन या निवारण से बहाल ठीक नहीं किया जा सकता।

फैसले में कहा गया है, ‘‘अब्राहम लिंकन ने भी उद्धृत किया है कि सच्चाई को बदनामी के खिलाफ सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। फिर भी, सत्य में उस प्रतिष्ठा को बहाल करने की क्षमता नहीं होती है जो व्यक्ति समाज की नज़रों में खो देता है। यह निराशाजनक वास्तविकता है कि खोया हुआ धन हमेशा वापस अर्जित किया जा सकता है; लेकिन किसी की प्रतिष्ठा पर एक बार जो दाग लग जाता है, वह नुकसान के अलावा कुछ नहीं देता।’’ अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘मुद्दा संख्या 1 और 2 के निष्कर्षों के मद्देनजर, प्रतिवादी संख्या 5 से 7 के खिलाफ मुकदमा खारिज किया जाता है, और मानहानि को लेकर वादी को मुकदमे की लागत के साथ 2 करोड़ रुपये का हर्जाना दिया जाता है।’’

समाचार पोर्टल ने 13 मार्च 2001 को, नए रक्षा उपकरणों के आयात से संबंधित रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक खबर प्रकाशित की थी। वकील चेतन आनंद के जरिए वादी ने दावा किया कि उन्हें ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ खबर में बदनाम किया गया था और इसे गलत तरीके से प्रसारित किया गया और बताया गया था कि उन्होंने रिश्वत ली थी।

मुख्य न्यायाधीश ने IIT मद्रास के दीक्षांत समारोह में दिया संबोधन

चेन्नई। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने तकनीक का हानिकारक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किए जाने को लेकर आगह करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा नहीं करना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे।

IIT मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में शनिवार को भारत के मख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ कोई भी प्रौद्योगिकी निर्वात में जन्म नहीं लेती है, बल्कि वह उस समय की सामाजिक वास्तविकता और कानूनी, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था का परिचायक होती है।’’

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने आज राष्ट्रीयता समेत कई बाधाओं को समाप्त कर दिया है और कोई भी एक बार में लाखों संदेश भेज सकता है जो ऑफलाइन माध्यम से संभव नहीं है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि लेकिन प्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ ही नये व्यवहार का जन्म भी हुआ है और यह आनलाइन मध्यम से धमकी, गाली गलौच करने और ‘ट्रोल’ करने का है। उन्होंने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब प्रौद्योगिकी के विकास के साथ इन विषयों पर भी विचार करने की जरूरत है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आज कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) ऐसे शब्द हैं जो हर किसी की जुबान पर हैं। कृत्रिम बुद्धिमता के माध्यम से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है।’’

उन्होंने कहा कि एआई के साथ चैट जीपीटी साफ्टवेयर का उपयोग भी बढ़ा है जो चुटकुले बनाने से लेकर कोडिंग करने और कानूनी विषयों को लिखने तक में देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का उपयोग कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ऑनलाइन धमकी, गाली गलौच और परेशान किये जाने की घटनाएं भी आ रही हैं और यह बात भी स्पष्ट होती है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हानिकारक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे।’’

IIT मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह में 2571 छात्रों को स्नातक डिग्री प्रदान की गई।

इस अवसर पर IIT मद्रास के निदेशक प्रो. वी कामकोटि ने छात्रों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि IIT मद्रास पहला IIT है जिसका परिसर देश से बाहर जंजीबार-तंजानिया में स्थापित किया जा रहा है।   

रेलवे में नौकरी करने का सपना होगा पूरा, यहां करे आवेदन

अगर आप सरकारी नौकरी करना चाहते है तो यह खबर आपके लिए है  साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने 1000 से ज्यादा पदों के लिए आवेदन मांगे है आवेदन करने की अतिंम तिथि 21 अगस्त है इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन 22 जुलाई से शुरु हो चुके है  यहां पर होने वाली सभी भर्तियां जनरल डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम (GDCE) कोटा के तहत भरी जाएंगी। 18 जुलाई को इस भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था। उम्मीदवार 21 अगस्त तक आवेदन कर सकेंगे।

इन पदों पर कर सकते है आवेदन

साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने असिस्टेंट लोको पायलट के  820 पद, और टेक्निशियन के 132 पद सहित जूनियर इंजीनियर  के 64 पदों की शामिल किया गया है

आयु सीमा, व शैक्षणिक योग्यता

इन भर्ती पर आवेदन करने लिए आपकी उम्र कम से कम 18 साल और अधिकतम 42 साल होना जरूरी है। तथा उम्मीदवार को कम से कम 10 वीं पास होना जरुरी है

सिलेक्शन प्रोसेस

उम्मीदवार का सिलेक्शन लिखित परीक्षा के जरिए होगा। परीक्षा में पास होने वाले कैंडिडेट्स का फाइनल सिलेक्शन डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद होगा।

सैलरी

अगर सैलरी की बात करे तो असिस्टेंट लोको पायलट और टेक्निशियन की सैलरी लेवल 2 के मुताबिक होगी और  जूनियर इंजीनियर की सैलरी लेवल 6 के मुताबिक दी जाएगी

आवेदन करने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट secr.indianrailways.gov.in पर जाएं। इसके बाद Apply online पर क्लिक करें। मांगी गई सभी डिटेल्स भरें।इसके बाद सभी डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें। पासपोर्ट साइट फोटो और सिग्नेचर अपलोड करें। सबसे लास्ट में फॉर्म सबमिट कर दें। फार्म सबमिट करने के बाद प्रिंट निकाल कर अपने पास सुरक्षित रखें.

मणिपुर पर प्रधानमंत्री सदन में दें बयान – कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को फिर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर की हिंसा और 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की घटना पर सदन के भीतर वक्तव्य देना चाहिए और इस विषय पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।

पार्टी सांसद रंजीत रंजन ने केंद्र पर ‘भगोड़ी सरकार’ होने का आरोप भी लगाया और कहा कि वह विपक्ष के सवालों से डरती है और ऐसे में वह अपने मंत्रियों को सामने लाकर बचाव की कोशिश करती है। जब भी मोदी सरकार डरती है, अपने मंत्रियों को सामने लाती है। यह एक भगोड़ी सरकार है जो विपक्ष से डरती है, सदन में आने से डरती है और सवालों से बचती है।

उनका कहना था, ‘‘हमारी साधारण सी मांग हैं कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर बयान दें और मणिपुर हिंसा पर चर्चा हो। हम चाहते हैं कि मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में नियम 267 और लोकसभा में कार्यास्थगन प्रस्तावों के तहत किया जाए।’’

रंजीत रंजन ने सवाल किया कि क्या मणिपुर की घटना के बारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को जानकारी नहीं थी?

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कह रहे हैं कि वायरल वीडियो में जिस तरह महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, वैसी राज्य में सैकड़ों घटनाएं हुई हैं और कई प्राथमिकी दर्ज हैं। क्या इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को नहीं होगी? जहां हिंसा हो रही है, वह अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला इलाका है, तो क्या सरकार को सदन में जवाब नहीं देना चाहिए?’’

रंजीत ने सरकार को चुनौती दी, ‘‘अगर सरकार में हिम्मत है और प्रधानमंत्री का 56 इंच का सीना है तो वह सदन में आकर जवाब दें।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता विपक्ष शासित राज्यों में अपराध की घटनाओं की तुलना मणिपुर की घटना से कर रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह अनुचित हैं कि क्योंकि अन्य जगहों पर अपराध की घटनाओं को लेकर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई हुई है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या किसी अन्य राज्य में मणिपुर की तरह महिलाओं के साथ अमर्यादित व्यवहार हुआ?’’

रंजीत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।

मणिपुर के विषय पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले 2 दिनों में कोई प्रमुख विधायी कार्य नहीं हो सका।

मणिपुर में 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो 4 मई का है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

Manipur Case :  नगा संगठनों ने की तत्काल न्याय की मांग

इंफाल। मणिपुर के कई नगा संगठनों ने 4 मई को भीड़ द्वारा 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराए जाने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मामले में तत्काल न्याय किया जाना चाहिए।

यूनाइटेड नगा काउंसिल (UNC) ने मणिपुर सरकार से कहा कि तुरंत न्याय के लिए मामले को त्वरित अदालत में ले जाया जाना चाहिए। UNC ने एक बयान में कहा, ‘सरकार को ऐसे अमानवीय अपराध में शामिल सभी लोगों को तत्काल न्याय की जद में लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।’

वायरल हुई वीडियो क्लिप का जिक्र करते हुए संगठन ने कहा कि घटना बेहद निंदनीय है। UNC ने कहा कि इस पाशविक कृत्य ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को ध्वस्त कर दिया है और ऐसे अपराध में शामिल लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जा सकती। मणिपुर के नगा आम तौर पर उस हिंसा से दूर रहे हैं जिसने इस पूर्वोत्तर राज्य के हालात बिगाड़ दिए हैं।

इस बीच, ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (ANSAM) ने घटना को ‘‘घृणित कृत्य’’ करार देते हुए कहा कि वर्तमान समाज में ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं है।

छात्र संगठन ने कहा कि वह इस बर्बर कृत्य की निंदा करता है और संबंधित अधिकारियों से आग्रह करता है कि सभी अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय की जद में लाया जाए और देश के कानून के मुताबिक उचित सजा दी जाए।

नगा पीपुल्स फ्रंट की मणिपुर इकाई ने घटना को अक्षम्य कृत्य करार देते हुए कहा कि यह माताओं और बहनों को सर्वोच्च सम्मान देने की सदियों पुरानी परंपरा का पूरी तरह से उल्लंघन है। इस बीच, घटना के विरोध में शनिवार को चुराचांदपुर में विरोध रैलियां निकाली गईं और कुकी क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की गई।

कांग्रेस आलाकमान सख्त , गुढ़ा के बाद विधायक दिव्या मदेऱणा पर गिरी गाज

जयपुर । शुक्रवार को विधानसभा में विधायक राजेद्रं गुढ़ा ने महिला सुरक्षा को लेकर अपनी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था । इसी बयान को लेकर शाम होते होते विधायक गुढा को अपना मंत्री पद गवाना पड़ा । सीएम अशोक गहलोत की अनुशंशा पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुढ़ा को मंत्रीमण्डल से बर्खास्त कर दिया । अब सूत्रो के हवाले से यह खबर आ रही है कि जोधपुर में हुई घटना को लेकर दिए गए बयान के कारण ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा पर गाज गिरी है प्रदेश प्रभारी रंधावा ने उन्हे तलब किया. इसके बाद विधायक दिव्या मदेरणा प्रदेश प्रभारी सुखजिदंर सिहं रंधावा से मुलाकात करने पहुंची है

इस बयान को लेकर चर्चा में आई दिव्या मदेरणा

विधायक दिव्या मदेरणा ने जोधपुर में नाबालिग लड़की के साथ घटी घटना पर बयान देते हुए कहा था कि ‘मैं क्या बताऊं मैं तो खुद ही सुरक्षित नहीं हूं. मुझ पर पुलिस सुरक्षा में हमला हो जाता है. मुझ पर हमला करने वाले आरोपी को आज तक पकड़ा नहीं गया. दिव्या मदेरणा के इस बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनके इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें पार्टी प्लेटफार्म पर बात रखने की नसीहत भी दी थी. जिसके बाद अब उन्हें प्रदेश प्रभारी की ओर से तलब किया गया है’

PM मोदी ने राजस्थान के स्वाभिमान को चोट पहुंचाई : गहलोत

मीडिया से बातचीत में शनिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र सरकार पर बरसे, प्रदेश में भी भाजपा को नसीहतें दीं। कहा कि मुद्दों पर बात करें। लोगों को बरगलाने का काम नहीं करें। उन्होंने भाजपा से कहा कि वे भी देश में सामजिक सुरक्षा का कानून लेकर आएं।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए PM नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर के घटनाक्रम पर 77 दिन हो गए नहीं बोल रहे। एक पूरे राज्य में आग लग रही है, आग मामूली नहीं बल्कि धधकती हुई है।  

मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री  मोदी के बयान को लेकर कहा कि मणिपुर पर बयान देते वक्त उन्होंने राजस्थान का जिक्र किया। यह राजस्थान के स्वाभिमान पर चोट है। केंद्र सरकार विफल रही, मणिपुर में जो घटनाएं हो रही उनके बारे में बयान सिर्फ औपचारिकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मणिपुर में अगर कांग्रेस की सरकार होती तो आप कल्पना कीजिए कि यह लोग क्या–क्या करते?     

वहीं मिनिमम गारंटी कानून के विधानसभा से पास होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  ने कहा कि कल जो ऐतिहासिक काम हुआ उसके मायने आप सब लोग समझ सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार के लिए आमदनी का जो कानून बना है वह महत्वपूर्ण है। नरेगा को प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के स्मारक के रूप में बताया था वहीं नरेगा प्रधानमंत्री को बार-बार आगे बढ़ाना पड़ रहा है।    

इस दौरान PCC प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, सह प्रभारी वीरेंद्र सिंह, अमृता धवन, काजी निजामुद्दीन, PCC चीफ गोविंद डोटासरा, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, महेश जोशी, परसादी लाल मीणा और टीकाराम जूली भी मंच पर मौजूद रहे।

बंगाल में 2 आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर दी गई यातना – भाजपा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में कुछ दिन पहले 2 आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर यातना दी गई और पुलिस ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग के प्रमुख और प्रदेश सह प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि घटना को 19 जुलाई को मालदा जिले में उस भीड़ ने अंजाम दिया जो ‘‘उनके (महिला के) खून की प्यासी’’ थी।

उन्होंने कथित अपराध की धुंधली तस्वीरों के साथ एक वीडियो भी साझा किया। मालवीय ने मणिपुर की घटना पर मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘यह एक ऐसी त्रासदी थी जिससे ममता बनर्जी का दिल ‘टूट’ जाना चाहिए था और वह केवल आक्रोश जताने के बजाय कार्रवाई कर सकती थीं, क्योंकि वह बंगाल की गृह मंत्री भी हैं।’’

विपक्षी दल जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं, जहां वह सत्ता में है। वहीं, भाजपा, कांग्रेस और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के इसी तरह के मामलों को उजागर कर रही है।

मालवीय ने बनर्जी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने (ममता ने) मामले में कुछ नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘न तो उन्होंने बर्बरता की निंदा की और न ही दर्द एवं पीड़ा व्यक्त की क्योंकि इससे एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी खुद की विफलता उजागर होती।’’

मणिपुर की घटना पर बनर्जी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए मालवीय ने कहा कि लेकिन एक दिन बाद राजनीतिक लाभ लेने के लिए उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया। 4 मई को मणिपुर में हुई घटना का वीडियो हाल में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें विरोधी गुट के पुरुषों का एक समूह 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाता नजर आता है।

मालवीय ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में भय का महौल जारी है। मालदा जिले के बमनगोला थाना क्षेत्र के पकुआ हाट इलाके में 2 आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया, बेरहमी से उन्हें यातना दी गई और पिटाई की गई और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।’’

सामूहिक दुष्कर्म, विशेष पॉक्सो अदालत ने सुनाई सजा

बलरामपुर। उत्तर प्रदेश में बलरामपुर जिले की एक विशेष अदालत ने नेपाली लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के जुर्म में 3 युवकों को आजीवन कारावास और एक युवक को 7 वर्ष की सजा सुनाई है।

अपर शासकीय अधिवक्ता पवन कुमार शुक्ला ने शनिवार को बताया कि विशेष पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश जहेंद पाल सिंह ने दोनों पक्षों के गवाहों एवं साक्ष्यों को सुनने एवं अवलोकन करने के बाद आरोपों को सही मानते हुए चन्दर उर्फ रामचंद्र पासवान, सुरेंद्र पासवान, राकेश पासवान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन्होंने बताया कि अदालत ने तीनों अभियुक्तों पर 65-65 हजार रुपये जुर्माना और एक अन्य अभियुक्त पिंटू को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर 7 वर्ष कारावास की सजा और उसपर 15500 रुपये का अर्थदंड लगाया है।

शुक्ला ने कहा कि जिले के हरैया थानाक्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा से सटे मणिपुर बाजार में जंगल के रास्ते सामान खरीदने आ रही 2 नेपाली लड़कियों को पकड़ कर इन चारों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था जिसके बाद लड़कियों ने इसकी शिकायत अपने घर जाकर परिवार वालों से की थी।

शुक्ला के अनुसार इन लड़कियों के परिवार वालों ने मामले की जानकारी नेपाल पुलिस को दी थी और फिर नेपाल पुलिस द्वारा हरैया थाने में 26 जून 2022 को चारों आरोपियों चंदर उर्फ राम चंदर, राजेंद्र पासवान, राकेश पासवान एवं पिंटू के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कराया गया था। उन्होंने बताया कि हरैया पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और आरोप पत्र दाखिल किया था। यह मामला विशेष पॉक्सो अदालत में सुनवाई के लिए आया, जहां चारों आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया और सजा सुनाई।

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