श्रीहरिकोटा। शनिवार को 11 बजकर 50 मिनिट पर भारत ने अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को लॉन्च कर दिया. चांद पर चमत्कार करने के बाद अब भारत के कदम सूरज की और अग्रसर हो गए है. भारत के साथ-साथ पूरे विश्व की निगाहें हमारे मिशन सूर्य अध्ययन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा.
ISOR द्वारा लॉन्च किए गए आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है. अपनी लॉचिंग से बस 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा. वैसे तो आदित्य एल-1 को रॉकेट 25 मिनट में ही तय कक्षा में पहुंचा देगा. यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है. आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट से की गई है. इस रॉकेट की यह 25वीं उड़ान थी. रॉकेट PSLV-XL आदित्य को उसके तय ऑर्बिट में छोड़ने निकल गया है. लॉन्च के करीब एक घंटे बाद आदित्य-एलवन अपनी तय कक्षा में पहुंचेगा.
सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान
‘आदित्य एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा. आदित्य एल-1 को 11 बजकर 50 मिनट पर इसरो के भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिये श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा. ‘आदित्य एल1’ के 125 दिनों में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है.
मिशन का मुख्य उद्देश्य
मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी तिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है. ‘आदित्य एल1’ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे. इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘चंद्रयान-3’ की सॉफ्ट लैंडिंग में मिली कामयाबी के बाद इस मिशन को अंजाम दे रहा है.
सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 मिशन पर इसरो के पूर्व चेयमैन जी. माधवन नायर ने कहा, “ये मिशन बहुत महत्वपूर्ण है. आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 के आसपास रखा जाएगा, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाता है और न्यूनतम ईंधन के साथ, हम वहां अंतरिक्ष यान बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा 24 घंटे सातों दिन ऑब्जर्वेशन संभव है. अंतरिक्ष यान में सात उपकरण लगाए गए हैं. इस मिशन का डेटा वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं, जलवायु परिवर्तन अध्ययन आदि को समझाने में मदद करेगा.
सीएम अशोक गहलोत ने दी इसरो को शुभकामनाएं
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एक्स (ट्वीट) पर पोस्ट करते हुए बधाई दी. सीएम गहलोत ने कहा कि ‘चंद्रमा के बाद अब सूर्य की बारी,दुनिया देख रही काबिलियत हमारी! सोलर मिशन के तहत #AdityaL1 की लॉन्चिंग हेतु @ISRO की पूरी टीम को असीम शुभकामनाएं। पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लेंगरेंज प्वाइंट वन पर रहकर Aditya-L1 द्वारा सूर्य की स्टडी से कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाकर भारत अंतरिक्ष विज्ञान में कीर्तिमान स्थापित करेगा और पूरी दुनिया भारत की महिमा गाएगी।