इंदौर (मध्यप्रदेश), इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने खासकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं में स्तन कैंसर का समय रहते पता लगाने के लिए छोटा और किफायती उपकरण विकसित किया है. आईआईटी इंदौर के एक अधिकारी ने बुधवार को यह देते हुए बताया कि IIT इंदौर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन का विकसित किया गया यह उपकरण, शुरुआती चरण में ही स्तन कैंसर की पहचान कर मरीजों की जान बचाने के मकसद से ईजाद किया गया है.
कैसे काम करता है उपकरण ?
उन्होंने बताया कि ‘‘फोटोएकाउस्टिक स्पेक्ट्रल रिस्पॉन्स’’ के सिद्धांत पर आधारित उपकरण मानव शरीर के ऊतकों में असामान्य परिवर्तनों का पता लगाने के लिए ‘‘ऑप्टिकल’’ और ‘‘एकाउस्टिक’’ सिग्नल को एक साथ जोड़ता है.
स्वदेशी तकनीक से इस्तेमाल उपकरण होगा बेहद सस्ता
IIT इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, ‘बीमारियों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले MRI और सीटी स्कैनर आमतौर पर आयातित और महंगे होते हैं. इससे वे देश की आबादी के बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाते हैं.उन्होंने बताया कि इस चुनौती से निपटने के लिए IIT इंदौर ने स्वदेशी तकनीक से किफायती उपकरण विकसित किया है ताकि खासकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के मरीजों में कैंसर का वक्त रहते पता लगाकर उनकी जान बचाने में मदद मिल सके.
कैसे लगाता है कैंसरग्रस्त ऊतक का पता ?
प्रोफेसर वासुदेवन ने कहा कि यह उपकरण प्रकाश उत्पन्न करने के लिए कॉम्पैक्ट पल्स्ड लेजर डायोड का उपयोग करता है जो ऊतक के संपर्क में आता है.उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से मिले परिणामों का विश्लेषण करके उपकरण पता लगाता है कि कहीं संबंधित ऊतक कैंसरग्रस्त तो नहीं है.