जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों में इस बार थर्ड फ्रंट मजबूती के साथ उभरेगा। इस थर्ड फ्रंट में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की तैयारियों में जुटी हुई है। आरएलपी की नजर ओबीसी वोटरों की ओर है। वहीं आम आदमी पार्टी बिना जातिगत और समीकरणों के चुनावी मैदान में उतरेगी। प्रदेश में तैयार हो रहे थर्ड फ्रंट में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री इसी महीने जयपुर में आ रहे हैं। वहीं आजाद समाज पार्टी की ओर से हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण की जयपुर में रैली आयोजित की गई। बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी प्रदेशभर में सर्वजंता सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
कैसे लगेगी आप की नैया पार
आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन पालीवाल का कहना है कि उनकी पार्टी सिर्फ विकास के मुद्दे पर चुनाव में उतरेगी। थर्ड फ्रंट की अन्य पार्टियों की ओर से ओबीसी व मूल ओबीसी को ज्यादा टिकट दिए जाने के सवाल पर भी पालीवाल मौन है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जिस राजस्थान में जातिगत समीकरणों के बिना किसी भी सीट पर हार-जीत संभव नहीं है, वहां आप पार्टी कैसे मैदान में टिकेगी।
राजस्थान में थर्ड फ्रंट की नजर मूल ओबीसी वोट पर टिकी
राजनीति के जानकारों का कहना है कि थर्ड फ्रंट इस बार के चुनावों में प्रदेश के मूल ओबीसी की ओर फोकस कर रहा है, क्योंकि यह बड़ा वर्ग अभी तक प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर चल रहा है। दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने दशकों से इस वर्ग को उपेक्षित रखा है। इस लिए यह वर्ग प्रदेश में कोई तीसरा विकल्प ढूंढ रहा है। तीसरे विकल्प के तौर पर इस वर्ग को कई पार्टियां मिलने जा रही है, जिसका असर सीधे-सीधे आगामी चुनावों पर पड़ेगा। आजाद समाज पार्टी और बसपा ने तो खुल कर कह दिया है कि वह मूल ओबीसी को उनकी आबादी के हिसाब से टिकट देने के लिए तैयार बैठी है।