ISRO आज भारत का गौरव है। ISRO की स्थापना 1962 में हुई थी। उस समय इसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) कहा जाता था। विक्रम साराभाई उसके मुखिया थे। साराभाई के पास कुछ ही वैज्ञानिकों की टीम थी और पैसों की भी कमी थी।
ISRO का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, ISRO ने संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं, संसाधन मॉनीटरन और प्रबंधन; अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है।
ISRO का मुख्यालय बेंगलूरु में है। इसकी गतिविधियां विभिन्न केंद्रों और इकाइयों में फैली हुई हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम में प्रमोचक रॉकेट का निर्माण किया जाता है; यू. आर. राव अंतरिक्ष केंद्र (URSC), बेंगलूरु में उपग्रहों की डिजाइन और विकास किया जाता है; सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा में उपग्रहों और प्रमोचक रॉकेटों का समेकन और प्रमोचन किया जाता है; द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (LPSC), वलियमाला और बेंगलूरु में क्रायोजेनिक चरण के साथ द्रव चरणों का विकास किया जाता है; अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में संचार और सुदूर संवेदन उपग्रहों के संवेदकों और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित पहलुओं पर कार्य किया जाता है; राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), हैदराबाद में सुदूर संवेदन आँकड़ों का अभिग्रहण, प्रसंस्करण और प्रसारण किया जाता है। ISRO की गतिविधियों का मार्गदर्शन इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
ऐसे हुई शुरुआत-
आपको बता दें डॉ. विक्रम साराभाई ने 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) बनाई। डॉ. साराभाई के नेतृत्व में INCOSPAR ने तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) की स्थापना की। उसके बाद डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, रॉकेट इंजीनियरों की शुरुआती टीम में से थे जिन्होंने INCOSPAR की स्थापना की थी।
बाद में TERLS का नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रखा गया। बता दें पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को यहीं से लॉन्च किया गया था। इसने भारतीय स्पेस प्रोग्राम की ऐतिहासिक शुरुआत की। INCOSPAR 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) बन गया।
पहला रॉकेट-
1963 में भारत ने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया था। ऊपरी वायुमंडल की जांच के लिए बनाए गए साउंडिंग रॉकेट को केरल के थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से लॉन्च किया गया था।
इसे अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के रूप में जाना जाता है। डॉ. कलाम ने बताया था कि कैसे तैयारी शुरू होने से पहले INCOSPAR को एक स्थानीय चर्च से जमीन लेनी पड़ी और ग्रामीणों को स्थानांतरित करना पड़ा।
फिर वे रॉकेट पार्ट्स को साइकिल से लॉन्च पैड तक ले जा रहे थे।
21 नवंबर, 1963 को उन्होंने डॉ. होमी भाभा जैसे एलीट साइंस्टिस्ट्स की मौजूदगी में रॉकेट लॉन्च किया।
Aryabhata –
आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था। 19 अप्रैल 1975 को कॉस्मोस-3 एम लॉन्च वीइकल से इसे लॉन्च किया गया था। बता दें प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर इसका नाम आर्यभट्ट रखा गया। इसे ISRO ने बनाया था और सोवियत संघ ने लॉन्च किया था।
SLV-3 –
सैटलाइट लॉन्च वीइकल-3 (SLV-3) भारत का पहला एक्सपेरिमेंटल सैटलाइट लॉन्च वीइकल था। इसे 18 जुलाई 1980 को लॉन्च किया गया था। यह 40 किलोग्राम श्रेणी के पेलोड को निम्न पृथ्वी ऑर्बिट (LEO) में रखने में सक्षम था। SLV-3 ने रोहिणी को ऑर्बिट में स्थापित किया था। इस तरह भारत अंतरिक्ष-प्रगतिशील देशों के एक विशेष क्लब का छठा सदस्य बन गया। रोहिणी ISRO द्वारा लॉन्च सैटलाइट की एक सीरीज थी। इस सीरीज में 4 सैटलाइट शामिल थे। उनमें से 3 ने सफलतापूर्वक ऑर्बिट में प्रवेश किया।
PSLV –
पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (PSLV) भारत का तीसरी पीढ़ी का लॉन्च वीइकल है। अक्टूबर 1994 में इसे लॉन्च किया गया था और तब से जून 2017 तक लगातार 39 सफल मिशनों के साथ एक विश्वसनीय लॉन्च वीइकल के रूप में उभरा है। इसी ने सफलतापूर्वक 2008 में Chandrayaan-1 और 2013 में मंगल ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया था।
GSLV –
जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल (GSLV) में PSLV की तुलना में कक्षा में भारी पेलोड डालने की क्षमता है। यह ISRO का एक और शानदार आविष्कार है।
Chandrayaan-1 –
Chandrayaan-1 भारत का पहला मून (Moon) मिशन था। अक्टूबर 2008 में इसे लॉन्च किया गया था। इसने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक चक्कर लगाए। 29 अगस्त 2009 को स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूटने के बाद मिशन समाप्त हो गया था।
मंगलयान मिशन –
मार्स ऑर्बिटर मिशन किसी ग्रह पर स्पेसक्राफ्ट भेजने का भारत का पहला मिशन था। रोस्कोस्मोस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद ISRO मंगल की कक्षा में पहुंचने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई। अपनी पहली ही कोशिश में भारत मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना दिया। मंगलयान 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था।
Chandrayaan-2-
2019 में ISRO ने यह अभियान लॉन्च किया था। Chandrayaan-2 जब चंद्रमा की सतह पर उतरने ही वाला था कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। इस तरह आखिरी वक्त में Chandrayaan-2 का 47 दिनों का सफर अधूरा रह गया। भारत का यह Moon मिशन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था।
Chandrayaan-3-
Chandrayaan-3 ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। Chandrayaan-3 ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सुरक्षित लैंडिंग की। Chandrayaan-3 की सेफ लैंडिंग पर ISRO चीफ ने साइंटिस्टो, प्रोजेक्ट डायरेक्ट और मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई दी। चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद PM मोदी ने देशवासियों को बधाई दी। इस दौरान ISRO चीफ ने कहा कि हमनें Chandrayaan-1 से सफर शुरू किया था। यह अब Chandrayaan-3 तक पहुंच चुका है। उन्होंने सभी के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।