जयपुर। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के बीएड अभ्यर्थियों को लेकर एक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में एनसीपीई व केन्द्र सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केवल BSTC डिप्लोमा धारक ही तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा लेवल-1 में पात्र होंगे.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशनकौल के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने NCPI व केन्द्र सरकार की SLP सहित मुकेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.मनीष सिंघवी ने सरकार का पक्ष रखा. वहीं, डिप्लोमा धारियों की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह ने की पैरवी की. दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के नोटिफिकेशन को वैध बताया. राजस्थान हाईकोर्ट ने B.Ed डिग्रीधारियों को कक्षा 1 से 5 तक के लिए पात्र मानने वाले नोटिफिकेशन को रद्द किया था. राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही बताया. इस फैसले के साथ ही एनसीपीई व केन्द्र सरकार की एसएलपी को भी खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देशभर के BSTC अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिलने के साथ B.Ed. अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है. राजस्थान के भी लाखों बीएड पास कैंडिडेट्स पर भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर होगा. इस फैसले के बाद अब अब तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा लेवल-1 के लिए केवल BSTC डिप्लोमा धारक ही पात्र होंगे. जबकी एनसीपीई ने बीएड अभ्यर्थियों को भी लेवल-1 के लिए पात्र माना था.
NCTE ने साल 2018 में नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि B.Ed. डिग्रीधारकों को भी रीट लेवल-1 के लिए योग्य माना जाएगा. साथ ही कहा था कि अगर B.Ed. डिग्रीधारी लेवल-1 में पास होते हैं, तो उन्हें नियुक्ति के साथ 6 माह का ब्रिज कोर्स करना होगा। राजस्थान में रीट लेवल-1 में B.Ed. डिग्री धारकों को शामिल करने पर BSTC स्टूडेंट्स ने करीब 2 माह तक आंदोलन किया था। इसके बाद यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट में पहुंचा था. एनसीटीई के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई तो दूसरी तरफ B.Ed. अभ्यर्थियों ने रीट लेवल-1 में शामिल करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हुए B.Ed. अभ्यर्थियों को लेवल-1 से बाहर कर दिया था. साथ ही बीएसटीसी डीग्रीधारियों को बड़ी राहत दी थी. इसके बाद एनसीटीई और केंद्र सरकार की तरफ से B.Ed. अभ्यर्थियों के समर्थन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.