Friday, December 20, 2024
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RBI Repo Rate : EMI में नहीं मिलेगी कोई राहत, RBI ने रेपो रेट में 8वीं बार नहीं किया कोई बदलाव, 6.50% पर रखा बरकरार

मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार आठवीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है.इस बार भी रेपो दर को 6.5% को बरकरार रखा गया है, केंद्रीय बैंक(RBI)ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से इसे लगातार यथावत रखा गया है.इसके साथ ही यह भी साफ हो गया है कि लोगों को महंगे लोन से राहत पाने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा.

महंगाई को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के स्तर पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है.इसके साथ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने खुदरा महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय पर भी कायम रहने का फैसला किया है.

Repo दर को रखा यथावत

RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई 3 दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, उभरती वृहद आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों और परिदृश्य पर गौर करने के बाद एमपीसी ने नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया.’

एमपीसी के 6 सदस्यों में से 4 ने नीतिगत दर को यथावत रखने, जबकि 2 आशिमा गोयल और प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने के लिए मतदान किया.आइए आपको बताते हैं द्विमासिक मौद्रिक नीति की अहम बातें

द्विमासिक मौद्रिक नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं :

प्रमुख नीतिगत दर (Repo) 6.5 प्रतिशत पर यथावत.

रेपो दर में पिछली बार फरवरी 2023 में बढ़ोतरी की गई थी.

मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उदार मौद्रिक नीति रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया गया.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत किया गया.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार.

खाद्य मुद्रास्फीति अब भी चिंता का विषय.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए चालू खाते का घाटा यानी कैड टिकाऊ स्तर के भीतर रहने की उम्मीद.

31 मई, 2024 तक विदेशी मुद्रा भंडार 651.5 अरब अमेरिकी डॉलर के नए उच्चस्तर पर पहुंचा.

थोक जमा सीमा 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये की गई.

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत निर्यात और आयात नियमों को तर्कसंगत बनाया जाएगा.

आरबीआई भुगतान धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने को डिजिटल भुगतान ‘इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म’ स्थापित करेगा.

फास्टैग, एनसीएमसी और यूपीआई-लाइट वॉलेट को ई-मैंडेट के तहत लाने का प्रस्ताव.

अगली मौद्रिक नीति घोषणा 8 अगस्त को.

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