मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार दसवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है.
RBI के गवर्नर ने कही ये बात
RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार को शुरू हुई 3 दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि MCP ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है. समिति के 6 सदस्यों में से 5 ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया.इसके साथ ही एमपीसी ने अपने रुख को बदलाव किया और इसे ‘तटस्थ’ करने का निर्णय किया.
क्या होती है रेपो रेट ?
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. RBI मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है.
GDP वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
उन्होंने कहा, ”वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बावजूद देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है. मौजूदा स्थिति पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने के अनुमान को कायम रखा गया है.” इसके साथ चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है.
RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
मुख्य नीतिगत दर रेपो लगातार दसवीं बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत.
फरवरी 2023 से रेपो दर में बदलाव नहीं.
मौद्रिक नीति रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ किया गया.
यह पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक थी.
चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार.
दूसरी तिमाही के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत.
चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर कायम.
यूपीआई123पे (फीचर फोन के लिए) प्रति लेनदेन सीमा दोगुनी कर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव.
यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा बढ़ाकर 5,000 रुपये और प्रति लेनदेन सीमा बढ़ाकर 1,000 रुपये करने का प्रस्ताव.
एमपीसी की अगली बैठक 4 से 6 दिसंबर को होगी.