दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लोगों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति का पवित्र प्रतिबिंब है. पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मेरे सभी परिवारजनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। बहन और भाई के बीच अटूट विश्वास और अगाध प्रेम को समर्पित रक्षाबंधन का ये पावन पर्व, हमारी संस्कृति का पवित्र प्रतिबिंब है. मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में स्नेह, सद्भाव तथा सौहार्द की भावना को और प्रगाढ़ करे।’बता दे कि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रक्षाबंधन के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी।
श्रावण मास की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाने वाला यह पर्व भाई-बहन के प्यार एवं पवित्र रिश्ते को और गहरा करता है। अटूट प्रेम के इस पर्व पर बहनें जहां अपने भाइयों की सफलता की प्रार्थना करती हैं, वहीं भाई इसके बदले अपनी बहनों की हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी दी बधाई
रक्षाबंधन के त्यौहार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी देशवासियों को रक्षाबंधन की बधाई दी. मुर्मु ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सभी देशवासियों को रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं! यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है और अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए, इस शुभ अवसर पर हम देश में महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित और समानतापूर्ण वातावरण बनाने का संकल्प लें।’
कैसे सजाए रक्षाबंधन पर भाई की पूजा करने के लिए थाली
रक्षांबंधन पर राखी बांधने के बाद बहने अपने भाई की पूजा करती हैं इसके लिए पूजा की थाली को सजाया जाता हैं. इसके लिए आपकी पूजा की थाली में धूप के साथ-साथ घी का दीपक रखा होता हैं. इसके अलावा पूजा की थाली में रोली और चंदन को भी रखा जाता है. जिसके जरिए बहने अपने भाई को टीका लगाती हैं. इसके अलावा थाली में अक्षत रखना चाहिए अक्षत का मतलब वह चावल जो टूटा हुआ न हो. थाली में अपने भाई का रक्षा सूत्र भी रखना है, साथ ही साथ उसमें मिठाई भी रखनी है. अगर आपने अपने घर में बाल गोपाल स्थापित कर रखें हैं तो रक्षाबंधन के दिन आपको बाल गोपाल को भी राखी बांधनी चाहिए.
यहां जानिए रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षा के लिए बांधा जाने वाला धागा रक्षासूत्र कहलाता हैं. राजसूय यज्ञ के समय में भगवान कृष्ण को द्रोपदी ने रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसके बाद बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही पहले के समय में ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं. इसलिए रक्षाबंधन वाले दिन यानी श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन शिक्षा का आरंभ करना भी शुभ माना जाता है.