Tuesday, December 16, 2025
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Justice Surya Kant : मल्लिकार्जुन खरगे बोले- न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नेतृत्व में कानून के शासन में जनता का विश्वास मजबूत होने की उम्मीद

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को शपथ ग्रहण पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में संवैधानिक मूल्यों व कानून के शासन में जनता का भरोसा और मजबूत होगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 53वें CJI के रूप में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का स्थान लिया है। खरगे ने ‘एक्स’ पर लिखा कि उनका 14 माह का कार्यकाल न्याय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।

Justice Surya Kant : नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को नए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पदभार संभालने की बधाई दी और उम्मीद जताई कि उनके पद पर रहते हुए संवैधानिक मूल्यों तथा कानून के शासन में जनता का विश्वास और मजबूत होगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति बी आर गवई का स्थान लिया है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ’53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। उनकी पदोन्नति हमारी न्याय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनके 14 महीने के कार्यकाल की शुरुआत हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में संवैधानिक मूल्यों, संस्थागत शक्ति और कानून के शासन में जनता का विश्वास और मजबूत होगा, जिससे प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय का वादा आगे बढ़ेगा।’

CJI बनने के बाद इन मामलों पर फोकस करेंगे जस्टिस सूर्यकांत

नामित मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि देशभर की अदालतों में लंबित पांच करोड़ से अधिक मामलों का बोझ घटाना और विवाद समाधान के वैकल्पिक तरीके के रूप में बेहद प्रभावी मध्यस्थता को बढ़ावा देना न्यायपालिका प्रमुख के रूप में उनकी प्राथमिकता होगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणियों को अनसोशल मीडिया करार दिया। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष आलोचना हमेशा स्वीकार्य होती है।

पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस कांत ने कहा कि मैं बहुत आशावादी हूं। मेरा ध्यान केवल सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि देशभर की उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों में लंबित मामलों पर होगा। वे ऐसे मामलों की पहचान करेंगे, जिनकी वजह से उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में भी मुकदमे रुके हैं। साथ ही वर्षों से लंबित पुराने मामलों की भी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह बेहतर न्यायिक परंपरा होगी कि वादी पहले हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं और उसके बाद ही सर्वोच्च न्यायालय आएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता को जागरूक किया जाना चाहिए कि हाईकोर्ट भी सांविधानिक न्यायालय हैं।

Mukesh Kumar
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