नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा में बुधवार को सुरक्षा चूक की घटना के मामले में उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है और विपक्ष को इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे जब शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को सदन में सुरक्षा की चूक संबंधी घटना को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘हम सब सहमत हैं कि कल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सदस्यों की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर थी।’’ उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घटना के तत्काल बाद सभी दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई और संसद की सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए सबके सुझाव सुने।
जोशी ने कहा कि सांसदों के कुछ सुझावों को लागू किया जा चुका है तथा लोकसभा अध्यक्ष ने आज स्वयं कहा है कि सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए भविष्य में और भी कदम उठाए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मेरे विचार से यह मुद्दा हम सभी से जुड़ा है और हमें एक स्वर में बोलना होगा।’’ उन्होंने कहा कि इस तरह के राष्ट्रीय मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती।
जोशी ने 1974 से लेकर 1999 तक सदन में सुरक्षा चूक की कुछ घटनाओं का विवरण देते हुए कहा कि पहले भी दर्शक दीर्घाओं से नारेबाजी, कागज फेंकने और यहां तक कि सदन में कूदने की घटनाएं होती रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन घटनाओं की तुलना कल की घटना से नहीं कर रहा। लेकिन हमें अपने अतीत से सबक सीखना होता है, ताकि भविष्य उज्ज्वल हो।’’ जोशी ने कहा कि पहले भी इस तरह के मामलों में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्षों के निर्देश के अनुसार कार्रवाई की जाती रही हैं। उन्होंने कहा कि बुधवार की घटना के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने गृह सचिव को पत्र लिखकर उच्च-स्तरीय जांच के लिए कहा है और जांच शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार भी इस मुद्दे पर बहुत ही संवेदनशील है।
जोशी ने कहा कि सभी मुद्दों को राजनीतिक रंग देने की कुछ सदस्यों की आदत बन गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे निवेदन करता हूं कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाएं।’’ संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर बुधवार को एक बड़ी सुरक्षा चूक की घटना में दो व्यक्ति- सागर शर्मा और मनोरंजन डी. शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए। उन्होंने ‘केन’ से पीली गैस भी छोड़ी। बाद में सांसदों ने उन्हें काबू में किया।
सबके पीछे कौन : आरोपियों पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज
दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक की घटना के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। घटना के संबंध में संसद मार्ग पुलिस थाने में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्यों के लिए दंड) और धारा 18 (साजिश आदि के लिए दंड) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), धारा 452 (अवैध प्रवेश), धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाना) और धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करना अथवा हमला करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
संसद पर 2001 को हुए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को सुरक्षा में चूक की एक बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग- सागर शर्मा और मनोरंजन डी, सदन के भीतर कूद गए, उन्होंने नारेबाजी की और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। इस बीच कुछ सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया। लगभग उसी वक्त दो अन्य आरोपियों- अमोल शिंदे और नीलम देवी- ने संसद परिसर के बाहर ‘केन’ से रंगीन धुआं छोड़ा और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए।
पुलिस ने कहा कि इस घटना की योजना छह लोगों ने मिलकर बनाई थी और ये चारों लोग उसी समूह का हिस्सा हैं। यूएपीए के तहत अपराध गैर-जमानती हैं। पुलिस सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए कथित तौर पर छह लोगों ने पूरे समन्वय के साथ योजना तैयार की थी, इनमें से पांच को पकड़ लिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी आरोपी चार वर्ष से एक-दूसरे को जानते थे और कुछ दिन पहले ही उन्होंने संसद में घुसने की योजना बनाई थी। उन्होंने बताया कि आरोपी सोशल मीडिया मंच के जरिये आपस में संपर्क में थे और बुधवार को संसद आने से पहले उन्होंने रेकी की थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ में अमोल ने जांचकर्ताओं को बताया कि वे किसान आंदोलन, मणिपुर संकट और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से नाराज थे और इसीलिए उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उनकी विचारधाराएं समान थीं और उन्होंने सरकार को एक संदेश देने निर्णय किया था। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं इन्हें किसी व्यक्ति या संगठन ने इसका निर्देश तो नहीं दिया था।’’ आरोपी सागर, मनोरंजन, अमोल, नीलम और ललित मंगलवार रात गुरुग्राम में विशाल के घर पर रुके थे और सुबह ये सब संसद भवन के लिए निकले थे। सभी छह लोग संसद में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन केवल दो को ही पास मिला। ललित ने संसद परिसर के बाहर केन के जरिये रंगीन धुआं छोड़ते हुए अमोल और नीलम का वीडियो बनाया था।
आठ सुरक्षाकर्मियों पर गिरी गाज, किया निलंबित
संसद की सुरक्षा में चूक की घटना के सिलसिले में आठ सुरक्षाकर्मियों को निलंबित किया गया है। निलंबित किए गए लोग विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से संबंधित हैं जो संसद भवन की सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्ति पर थे। सूत्रों के अनुसार, निलंबित किए गए लोगों की पहचान रामपाल, अरविंद, वीर दास, गणेश, अनिल, प्रदीप, विमित और नरेंद्र के रूप में की गई है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये सुरक्षाकर्मी संसद की सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्ति पर हैं, लेकिन उनका कैडर नियंत्रण प्राधिकार वह संगठन है जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि लोकसभा सचिवालय।’’ दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को संसद परिसर के साथ-साथ भवन में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच के लिए तैनात किया गया है।
संसद पर 2001 में किए गए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को, सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया। इस घटना के कुछ देर बाद ही पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली ‘केन’ लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले एक पुरुष और एक महिला को गिरफ्तार किया गया।
सदन में कूदने वाले दोनों व्यक्तियों की पहचान सागर शर्मा और मनोरंजन डी. के रूप में हुई है। संसद भवन के बाहर से गिरफ्तार किए गए दो लोगों की पहचान हरियाणा के जींद जिले के गांव घासो खुर्द की निवासी नीलम (42) और लातूर (महाराष्ट्र) के निवासी अमोल शिंदे (25) के रूप में हुई है।