मणिपुर हिंसा रोकने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य दोनों की बराबर है

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    मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। सामने आया कि हिंसा के दौरान मैतेई समुदाय के एक बुजुर्ग की हत्या कर दी गई। इस घटना के जवाब में जिरीबाम जिले में चार कुकी उग्रवादियों को मार दिया गया। मणिपुर में हिंसा का ताजा दौर दक्षिणी असम से सटे जिरीबाम जिले के सेरो, मोलजोल, रशीदपुर और नुंगचप्पी गांवों से शुरू हुआ है। फायरिंग के कारण वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इससे पहले मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के विष्णुपुर जिले में स्थित आवास पर बम से हमला किया गया था। इस बम विस्फोट में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे। मणिपुर में पिछले साल मई में घाटी में रहने वाले मैतेई और हिल एरिया में निवास करने वाले कुकी समुदायों के बीच हिंसक टकराव की शुरुआत हुई थी।
    हिंसा में अभी तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों की तादाद में लोग बेघर हो गए हैं। जिरीबाम जिला अभी तक इस हिंसा से अछूता था, लेकिन इस साल जून में एक बुजुर्ग की हत्या के बाद यह इलाका भी हिंसा की भेंट चढ़ चुका है। जुलाई में उग्रवादियों ने सीआरपीएफ जवान के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें एक जवान शहीद हो गया था। मणिपुर में मुख्य रूप से दो समुदाय रहते हैं, मैतेई और कुकी। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर कुकी समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। कुकियों का मानना है कि इससे सरकार और समाज पर उनका प्रभाव बढ़ जाएगा। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच धार्मिक मतभेद भी हैं। दूसरी तरफ राज्य में हिंसा की सबसे बड़ी वजह रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ को भी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि हिंसा को रोकने की मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ बैठक भी की। बैठक के बाद मुख्यमंत्री राजभवन गए और राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री आखिर इतने असहाय क्यों हैं? केंद्र सरकार भी इस मामले में कदम उठाने क्यों कतरा रही है? हालांकि जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार वहां राजनीतिक मुद्दों पर बयान देने की बजाय हिंसा को कम करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन धरातल पर उसके प्रयास भी कहीं दिखाई नहीं दे रहे। जानकारी यह भी मिली कि वहां पुलिस ऐसे लंबी दूरी के रॉकेट हमलों का मुकाबला करने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम सहित अधिक उपकरण खरीदने की योजना बना रही है। वहां सीमांत क्षेत्रों में तलाशी अभियान भी तेज कर दिया गया है।
    पुलिस ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां ड्रोन और रॉकेट हमले शुरू किए गए थे। हिंसा को रोकना केंद्र व राज्य दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है।