Friday, November 15, 2024
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NEET-UG 2024: सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रश्न के सही उत्तर पर IIT दिल्ली से मांगी राय, कल भी सुनवाई रहेगी जारी

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने विवादों में घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी 2024’ से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की और IIT-दिल्ली के निदेशक से 3 विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने को कहा,जो इस परीक्षा में पूछे गए एक विशेष प्रश्न पर विचार करेगी और मंगलवार दोपहर तक सही उत्तर पर एक रिपोर्ट पेश करेगी.

कोर्ट ने अभ्यर्थियों की इस दलील पर किया गौर

शीर्ष अदालत ने कुछ अभ्यर्थियों की उस दलील पर गौर किया कि परमाणु और उसकी विशेषताओं से संबंधित एक प्रश्न के 2 सही उत्तर थे और परीक्षार्थियों के एक समूह, जिन्होंने 2 सही उत्तरों में से एक विशेष उत्तर दिया था, उन्हें 4 अंक दिए गए.याचिकाकर्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष दलील दी कि इसका सफल उम्मीदवारों की अंतिम मेधा सूची पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

प्रश्न का हवाला देते हुए कोर्ट ने कही ये बात

संबंधित प्रश्न का हवाला देते हुए पीठ ने कहा,”जैसा कि प्रश्न में दर्शाया गया है, छात्रों को अपने उत्तर के रूप में एक विकल्प चुनना था.सही उत्तर के संबंध में इस मुद्दे को हल करने के लिए, हमारा विचार है कि IIT दिल्ली से एक विशेषज्ञ राय मांगी जानी चाहिए.”पीठ ने कहा,”हम IIT दिल्ली के निदेशक से संबंधित विषय के 3 विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने का अनुरोध करते हैं.निदेशक द्वारा गठित विशेषज्ञ टीम से अनुरोध है कि वह सही विकल्प पर राय तैयार करें और कल (मंगलवार) दोपहर 12 बजे तक रजिस्ट्रार को राय भेजें.”पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि वह आईआईटी-दिल्ली के निदेशक को आदेश से अवगत कराएं.पीठ विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रखेगी.

इससे पहले दिन में, नीट-यूजी अभ्यर्थियों की ओर से पेश एक वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने प्रश्नपत्र लीक होने और लीक हुए प्रश्नपत्र को व्हाट्सएप के माध्यम से साझा किए जाने की बात स्वीकार की है.पीठ ने नीट-यूजी 2024 को रद्द करने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दर्शाने को कहा कि परीक्षा आयोजित करने में व्यवस्थागत विफलता हुई थी.

‘प्रश्नपत्र व्यापक स्तर पर लीक हुआ इसके प्रमाण नहीं मिले’

पीठ ने कहा कि अब तक रिकॉर्ड में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह दर्शाए कि प्रश्नपत्र लीक व्यापक स्तर पर हुआ था.उसने कहा कि पटना और हजारीबाग में कुछ गलत कृत्यों के उदाहरण हैं, लेकिन वे व्यवस्थागत विफलता को दर्शाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

SC ने कृपांक और अतिरिक्त समय दिए जाने पर उठाए सवाल

शीर्ष अदालत ने हरियाणा के झज्जर में परीक्षा केंद्रों पर कुछ छात्रों को कृपांक और अतिरिक्त समय दिए जाने पर सवाल उठाए.पीठ ने कहा,”अब हमें आंकड़े दिखाएं. अंत में, भले ही हम मान लें कि समस्याएं हुई हैं, लेकिन हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर देख रहे हैं.हमें यह बताने के लिए आंकड़े दिखाएं कि यह व्यापक स्तर पर था.न्यायालय ने कुछ अभ्यर्थियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र हुड्डा से कहा कि वे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की मदद से यह स्थापित करें कि लीक का दायरा हजारीबाग और पटना से बाहर भी था.

प्रधान न्यायाधीश ने कही ये बात

प्रधान न्यायाधीश ने कहा,”हमें बताएं कि यह कितना व्यापक है.सीबीआई की तीसरी रिपोर्ट से हमें पता चला है कि प्रिंटिंग प्रेस कहां स्थित थी.हम यहां स्थान के बारे में नहीं बताना चाहते हैं.पीठ ने NTA से झज्जर और अन्य स्थानों पर कुछ श्रेणी के छात्रों को कृपांक और अतिरिक्त समय देने के बारे में एक नोट देने को कहा, जहां ‘‘गलत’’ प्रश्न पत्र वितरित किए गए थे.

सॉलिसिटर जनरल ने दावों को किया खारिज

केंद्र और एनटीए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने व्यवस्थागत विफलता के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि यह दावा करना गलत है कि पूरे देश में परीक्षा प्रक्रिया प्रभावित हुई थी.सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से पूछा कि परीक्षा के केंद्रवार और शहरवार परिणाम घोषित करने से क्या सामने आया है.

पीठ 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें एनटीए द्वारा दायर याचिका भी शामिल है.एनटीए ने परीक्षा में कथित अनियमितताओं के संबंध में विभिन्न उच्च न्यायालयों में उसके खिलाफ लंबित मुकदमों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. 5 मई को 23.33 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर नीट-यूजी परीक्षा दी थी.इन शहरों में 14 विदेशी शहर भी शामिल थे.

केंद्र और एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामों में कहा था कि बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में परीक्षा को रद्द करना प्रतिकूल होगा और यह लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों को गंभीर रूप से खतरे में डालेगा.

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