नई दिल्ली,उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई शुरू की.पीठ ने कहा कि इसके सामाजिक प्रभाव हैं.
पहले से सूचीबद्ध मामलों में पर सुनवाई स्थगित
न्यायालय ने नीट-यूजी से जुड़ी याचिकाओं से पहले सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी और कहा,”हम आज मामले पर सुनवाई करेंगे.लाखों युवा छात्र इसका इंतजार कर रहे हैं, हमें सुनवाई करने और निर्णय लेने दीजिए.
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कही ये बात
पीठ ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और 5 मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र ‘‘व्यवस्थागत’’ तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है.सीजेआई ने कहा,”पुन: परीक्षा कराने के लिए यह ठोस आधार होना चहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता पर असर पड़ा है.”इस मामले की जांच के मुद्दे पर पीठ ने कहा,”CBI जांच कर रही है.सीबीआई ने हमें जो बताया है अगर उसका खुलासा कर दिया जाता है तो इससे जांच पर असर पड़ेगा.” इस मामले की सुनवाई जारी है.
सुप्रीम कोर्ट 40 से अधिक याचिकाओं पर कर रहा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.इनमें राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की याचिका भी शामिल है, जिसमें उसने, परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है.सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई 18 जुलाई तक टाल दी थी.इन याचिकाओं में नीट-यूजी 2024 के आयोजन में कथित अनियमितताओं एवं कदाचार की जांच करने, परीक्षा रद्द करने और नये सिरे से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.पांच मई को 23.33 लाख से अधिक छात्रों ने 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर नीट-यूजी परीक्षा दी थी.इन शहरों में 14 विदेशी शहर भी शामिल थे.
केंद्र और NTA ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था हलफनामा
केंद्र और एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामों में कहा था कि बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में परीक्षा को रद्द करना प्रतिकूल होगा और यह लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर रूप से खतरे में डालेगा.देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा आयोजित की जाती है.