Medha Patkar: दिल्ली पुलिस ने 24 साल पुराने मानहानि के एक मामले में ‘प्रोबेशन बांड’ जमा नहीं करने पर, 2 दिन पहले अदालत की ओर से गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. मामला दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दायर किया था.
दिल्ली पुलिस ने मेधा पाटकर को किया गिरफ्तार
पुलिस की एक टीम सुबह दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में पाटकर के आवास पर पहुंची और उन्हें हिरासत में ले लिया. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्व) रवि कुमार सिंह ने कहा, ‘हमने गैर-जमानती वारंट पर अमल करते हुए मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया है.’
आदेश पर अमल नहीं होने के चलते जारी हुआ था गैर जमानती वारंट
इससे पहले 8 अप्रैल को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अमिताभ रावत ने पाटकर को एक साल की परिवीक्षा दी थी और कहा था कि अपराध ऐसा नहीं है कि कारावास की सजा दी जाए. अदालत ने इसके लिए पाटकर के नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की नेता होने और कई पुरस्कारों से सम्मानित होने का हवाला दिया था. आदेश के अनुसार, पाटकर को 23 अप्रैल तक परिवीक्षा बांड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, निर्देश पर अमल नहीं होने के कारण, अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था.
24 साल पुराने इस मामले में गिरफ्तारी
दरअसल दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने 2001 में यह मामला दर्ज कराया था, जब वह अहमदाबाद स्थित NGO ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे. सक्सेना ने कहा था कि मेधा पाटकर ने 25 नवंबर 2000 को जारी एक प्रेस नोट में उन्हें कायर व देश विरोधी होने और उन पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था. मामले में कोर्ट ने पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उनके बयान जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण और सक्सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से दिए गए थे।
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