जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सवाईमानसिंह अस्पताल ने गुरुवार को एक और कारनामा कर दिया। अस्पताल के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की ओर से पहली बार 88 वर्षीय महिला के लीवर की बड़ी गांठ का दूरबीन से सफल ऑपरेशन किया गया। इस दौरान 176 गुणा 141 गुणा 128 एम.एम की गांठ और पित्त की थैली लैप्रोस्कोपिक तरीके से निकाली गई। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि अलवर नि मरीज मूर्तिदेवी गत 3 वर्ष से पेट की गांठ से पीड़ित थी और इसके कारण उन्हें बेहद परेशानी हो रही थी। इतनी बड़ी लीवर की गांठ का ऑपरेशन सामान्य तौर पर बड़े चीरे से किया जाता है। ज्यादा उम्र होने से ऐसा करना रिस्की था। लेकिन सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने यह कारनामा कर दिखाया।
इस टीम ने महिला को दिया जीवनदान
अस्पताल प्रशासन के अनुसार यह ऑपरेशन डॉ. रिचा जैन, डॉ. हनुमान खोजा एवं डॉ. फारुख के निर्देशन में डॉ. गरिमा अग्रवाल, डॉ. नरेंद्र शर्मा, डॉ. सारांश, डॉ. विनोद, डॉ. सिंधु शर्मा, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. साकेत दाधीच, डॉ. डी. वी. आर हर्षवर्धन द्वारा इनका ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक तकनीक से किया गया। ऑपरेशन में 12 बाय 15 सीएम के पेट के चीरे की बजाय दूरबीन के द्वारा गांठ को निकाला गया, जिससे बहुत ही कम रक्तस्त्राव हुआ व मरीज जल्द ही ठीक होकर घर जा सकती है। पूरे भारत में संभवतया 88 साल की उम्र के मरीज के लिवर की गांठ का दूरबीन द्वारा यह पहला केस है। एसएमएस सर्जरी विभाग के डॉक्टर्स ने यह आपरेशन कर के इतिहास बनाया है। मरीज की सभी जांचो में लिवर की गांठ के बड़े आकार के कारण पित्त की थेली नजर नहीं आ रही थी, लेकिन ऑपरेशन के दौरान जब गाठ में से पानी निकाला गया तो गांठ की आगे की झिल्ली में चमगादड़ के पंख की तरह फैल कर पित्त की थैली चिपकी हुई पाई गई।