Tuesday, November 26, 2024
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Kangana Ranaut की मूवी ‘इमरजेंसी’ जल्द होगी रिलीज, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को लगाई फटकार, इस तारीख तक निर्णय लेने का दिया आदेश

मुंबई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता और सेंसर बोर्ड कानून-व्यवस्था खराब होने की आशंका के कारण किसी फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार नहीं कर सकता.न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘इमरजेंसी’ को प्रमाणपत्र जारी करने के सिलसिले में निर्णय नहीं लेने पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रति नाराजगी व्यक्त की और 25 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया.

”क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपने सांसद के खिलाफ काम कर रही है?”

पीठ ने पूछा कि क्या CBFC को लगता है कि इस देश के लोग इतने भोले-भाले हैं कि वे फिल्म में दिखाई गई हर बात पर विश्वास कर लेंगे. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि CBFC राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने में देरी कर रहा है, इसपर उच्च न्यायालय ने कहा कि फिल्म की सह-निर्माता रनौत स्वयं भाजपा की सांसद हैं और क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपने सांसद के खिलाफ काम कर रही है?

कंगना रनौत ने निभाई है इंदिरा गांधी की भूमिका

रनौत ने फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका निभाने के अलावा इसका निर्देशन और सह-निर्माण भी किया है.अभिनेत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीएफसी पर रिलीज में देरी करने के लिए प्रमाणन में बाधा डालने का आरोप लगाया था.

CBFC को किसी न किसी तरह निर्णय लेना ही होगा : बॉम्बे हाईकोर्ट

पीठ ने कहा, ‘आपको (सीबीएफसी) किसी न किसी तरह से निर्णय लेना ही होगा. आपके पास यह कहने का साहस होना चाहिए कि यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकती. कम से कम तब हम आपके साहस और निर्भीकता की सराहना करेंगे. हम नहीं चाहते कि सीबीएफसी टालमटोल की मुद्रा में रहे.’

6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी मूवी

अदालत जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएफसी को फिल्म ‘इमरजेंसी’ के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.फिल्म पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन शिरोमणि अकाली दल समेत सिख संगठनों की आपत्ति के बाद यह विवादों में घिर गई.इन संगठनों का आरोप है कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.

कोर्ट ने 18 सितंबर तक सर्टिफिकेट जारी करने का दिया था निर्देश

इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को तत्काल प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद पीठ ने सेंसर बोर्ड को 18 सितंबर तक फिल्म को प्रमाण पत्र जारी करने के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था. गुरुवार को सीबीएफसी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने अदालत को बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष ने फिल्म को अंतिम निर्णय के लिए पुनरीक्षण समिति को भेज दिया है. चंद्रचूड़ ने कहा कि सार्वजनिक अव्यवस्था फैलने की आशंका है.

‘जी एंटरटेनमेंट’ की ओर से वरिष्ठ वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि यह सिर्फ समय बर्बाद करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फिल्म अक्टूबर में हरियाणा चुनाव से पहले रिलीज न हो.

CBFC को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

पीठ ने कहा कि CBFC ने उसके पिछले आदेश का पालन नहीं किया है और केवल एक विभाग से दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डाल दी है. सीबीएफसी को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते किसी फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता.’इसे रोकना होगा.अन्यथा हम यह सब करके रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह से अंकुश लगा रहे हैं.’

कोर्ट ने इस बात पर जताया आश्चर्य

अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि लोग फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों के प्रति इतने संवेदनशील क्यों हो गए हैं? न्यायमूर्ति कोलाबावाला ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘हमें समझ में नहीं आता कि लोग इतने संवेदनशील क्यों हैं.फिल्मों में हमेशा मेरे समुदाय का मजाक उड़ाया जाता है. हम कुछ नहीं कहते. हम बस हंसते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.’चंद्रचूड़ ने दो सप्ताह का समय मांगा, जबकि अदालत ने कहा कि निर्णय 25 सितंबर तक लिया जाना है.

”राजनीतिक कारणों से जारी नहीं किया जा रहा प्रमाण पत्र”

धोंड ने कहा कि राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है. पीठ ने राजनीतिक पहलू पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह दावा कर रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी खुद रनौत के खिलाफ है, जो फिल्म की सह-निर्माता और भाजपा की लोकसभा सदस्य भी हैं. अदालत ने पूछा, ‘सह-निर्माता खुद भाजपा सांसद हैं.वह सत्तारूढ़ पार्टी की सदस्य भी हैं.तो आप कह रहे हैं कि उनकी अपनी पार्टी अपने सदस्य के खिलाफ है?’.धोंड ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी समाज के एक खास वर्ग को खुश करने के लिए एक मौजूदा सांसद को नाराज करने पर उतारू है.जी एंटरटेनमेंट ने अपनी याचिका में दावा किया कि सीबीएफसी ने पहले ही फिल्म के लिए प्रमाणपत्र तैयार कर दिया था, लेकिन इसे जारी नहीं कर रहा है.

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