US India Relations: न्यूयॉर्क। अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ (शुल्क) को लेकर तनाव के बीच भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को अमेरिकी सांसदों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंध और ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा की। भारतीय राजदूत ने सीनेटर बिल हेगर्टी से मुलाकात की और उन्हें भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए निरंतर और मजबूत समर्थन को लेकर धन्यवाद दिया।
भारतीय राजदूत ने 16 अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की
क्वात्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंधों के लिए जारी द्विपक्षीय चर्चाओं के बारे में उन्हें जानकारी दी। उन्होंने सीनेटर हेगर्टी के साथ ऊर्जा सुरक्षा और हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार पर अपने दृष्टिकोण भी साझा किए। क्वात्रा ने अमेरिकी संसद सदस्य ग्रेग लैंड्समैन के साथ भी सार्थक बातचीत की और उन्हें द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, मैंने उन्हें द्विपक्षीय व्यापार संबंधों और ऊर्जा सुरक्षा में हाल के घटनाक्रमों तथा हमारे देशों के बीच बढ़ती हाइड्रोकार्बन साझेदारी के बारे में जानकारी दी।
इससे पहले, क्वात्रा ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और साइबर उपसमिति, ‘हाउस इंटेलिजेंस कमेटी’ के सदस्य जोश गोटैमर से मुलाकात की और ‘‘तेल और गैस में दोतरफा व्यापार’’ तथा ‘‘पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंधों’’ पर चर्चा की। गोटैमर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य हैं। क्वात्रा ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, तेल और गैस के दोतरफा व्यापार और संतुलित, निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापारिक संबंधों सहित द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग में नवीनतम प्रगति से जुड़ी जानकारी साझा की।

ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित
भारतीय राजदूत ने 9 अगस्त से अब तक 16 अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की है, जैसा कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है। ये बैठकें ऐसे समय में हो रही हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है। इसमें रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है जो 27 अगस्त से लागू होने वाला है। रूसी कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए, भारत ने कहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा मॉस्को पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने छूट पर बेचे जाने वाले रूसी तेल को खरीदना शुरू किया था।