Tuesday, July 22, 2025
HomePush NotificationMIG-21: भारतीय वायुसेना की ताकत से 'उड़न ताबूत' तक का सफर, 62...

MIG-21: भारतीय वायुसेना की ताकत से ‘उड़न ताबूत’ तक का सफर, 62 साल बाद रिटायर हो जाएगा MIG-21, जानें क्यों है इतना खास

MIG-21 Retirement:भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना लड़ाकू विमान मिग-21 आखिरकार 62 साल की सेवा के बाद 19 सितंबर 2025 को रिटायर होने जा रहा है। हादसों के कारण 'उड़न ताबूत' कहलाने वाला यह विमान दशकों तक देश की हवाई ताकत का आधार रहा। अब इसकी जगह स्वदेशी तेजस MK1A लेंगे।

MIG-21 Retirement: भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना लड़ाकू विमान मिग-21 इतिहास बनने जा रहा है. मिग-21 ने 62 साल तक देश की हवाई ताकत को मजबूती दी. अब IAF ने इस लड़ाकू विमान को रिटायर करने का फैसला लिया है. चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन(पैंथर्स) एक विशेष समारोह में इस विमान को विदाई देगा. बार-बार हादसों का शिकार होने के कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ भी कहा जाने लगा.

मिग-21 के रिटायर होने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत 29 स्क्वाड्रनों तक सिमट जाएगी, जो 1965 के युद्ध के समय से भी कम है. भारतीय वायु सेना से 19 सितंबर 2025 को मिग-21 विमानों की विदाई होगी, इसकी के साथ ही इनकी जगह अब तेजस MK1A लड़ाकू विमान लेंगे, जिनका निर्माण भारत में ही किया गया है.

MK1A लेंगे MIG-21 की जगह

बता दें कि इंडियन एयरफोर्स के पास अभी 36 मिग-21 बचे हैं. IAF रूस में बने इन विमानों की शेष स्क्वाड्रनों को सितंबर माह में रिटायर करने जा रही है. दशकों तक देश की हवाई ताकत को मजबूत करने वाले ये विमान अब सेवा से हटाए जा रहे हैं. इनकी जगह अब स्वदेशी रूप से विकसित तेजस MK1A लड़ाकू विमान वायु सेना की नई ताकत बनेंगे.

क्या है मिग-21 फाइटर जेट की खासियत

मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है. इंडियर एयरफोर्स ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. और तब से यह लंबे समय तक भारत की वायु शक्ति की रीढ़ बना रहा. सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरू किया था. यह विमान 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है. ये हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और बम को अपने साथ ले जाने में सक्षम है. भारतीय वायुसेना(IAF)ने 1965 और 1971 में हुई भारत पाक युद्ध में इन फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया था. इन्हें वायुसेना की रीढ़ माना जाता था, लेकिन इनकी खामियों के कारण भी इंडियन एयरफोर्स को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा.

मिग-21 कई अहम युद्धों का रहा हिस्सा

मिग-12 को भारतीय वायुसेना की रीढ़ कहा जाता था. यह लड़ाकू विमान कई युद्धों का गवाह बना. 1965 के भारत पाक युद्ध में पहली बार मिग-21 जंग के मैदान में उतरा और पाकिस्तान के विमानों को टक्कर दी. 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए. 1999 के कारगिल युद्ध में रात के समय उड़ान भर दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया. साल 2019 में जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ एयरस्ट्राइक की थी, इसी दौरान ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से अमेरिका निर्मित F-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. साल 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में मिग-21 आखिरी बार शामिल हुआ.

मिग-21 को क्यों कहा जाता है उड़ता ताबूत

रूस में बनाए गए इन विमानों में खामियां के कारण यह क्रैश हो जाते हैं. जिसके कारण 1985 में रूस ने अपनी वायुसेना से इन लड़ाकू विमानों को रिटायर कर दिया था, रूस से यह विमान बांग्लादेश ने भी खरीदे थे और उन्होंने ने भी अपनी वायुसेना से मिग -21 को हटा दिया था. कई बार हादसों का शिकार होने की वजह से इसे ‘उड़ता ताबूत’ फ्लाइंग कॉफिन’ कहा जाने लगा.

ये भी पढ़ें: Jagdeep Dhankhar Resignation: ‘BJP-RSS या प्रधानमंत्री को पता होगी सच्चाई’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर अशोक गहलोत बोले-‘राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा’

Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
खबरों की दुनिया में हर लफ्ज़ को जिम्मेदारी और जुनून के साथ बुनने वाला। मेरा मानना है कि एक अच्छी खबर केवल सूचना नहीं देती, बल्कि समाज को सोचने, सवाल करने और बदलने की ताकत भी देती है। राजनीति से लेकर मानवता की कहानियों तक, हर विषय पर गहराई से शोध कर निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग करना ही मेरी पहचान है। लेखनी के जरिए सच्चाई को आवाज़ देना मेरा मिशन है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular