Saturday, May 31, 2025
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RBI Annual Report 2025: भारत, चालू वित्त वर्ष में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा: RBI

RBI Annual Report 2025 के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था अपने मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे, मजबूत वित्तीय क्षेत्र और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का लाभ उठाकर 2025-26 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी.'

RBI Annal Report 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि देश वित्त वर्ष 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि सौम्य मुद्रास्फीति परिदृश्य और GDP(सकल घरेलू उत्पाद) के विस्तार में धीमी गति के कारण मौद्रिक नीति को भविष्य में वृद्धि के लिए सहायक होना चाहिए.

चालू वित्त वर्ष में भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा

केंद्रीय बैंक ने नवीनतम रिपोर्ट में कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था अपने मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे, मजबूत वित्तीय क्षेत्र और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का लाभ उठाकर 2025-26 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी.”

इसने वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विखंडन, आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान एवं जलवायु संबंधी चुनौतियों के कारण उत्पन्न अनिश्चितताओं को विकास के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक पहलू के रूप में चिह्नित किया.

शुल्क नीतियों में बदलाव के कारण दिख सकती है अस्थिरता

रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क नीतियों में बदलाव के परिणामस्वरूप वित्तीय बाजारों में कहीं-कहीं अस्थिरता के प्रभाव दिख सकते हैं और निर्यात को अंतर्मुखी नीतियों एवं शुल्क युद्धों के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.

व्यापार समझौतों से प्रभाव कम करने में मिलेगी मदद

RBI ने कहा कि भारत के व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर एवं बातचीत करने से इन प्रभावों को सीमित करने में मदद मिलेगी. साथ ही, सेवा निर्यात एवं आवक प्रेषण से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि नए वित्त वर्ष (2025-26) में चालू खाता घाटा उल्लेखनीय रूप से प्रबंधनीय हो.

केंद्रीय बैंक ने लगातार 2 समीक्षाओं में प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती की है. वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि अब 12 महीने की अवधि में कुल मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप बने रहने को लेकर अधिक भरोसा है.

इसमें सुझाव दिया गया कि ब्याज दर जोखिम की गतिशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए बैंकों को व्यापार और बैंकिंग दोनों प्रकार के बही जोखिमों से निपटने की आवश्यकता है, खासकर शुद्ध ब्याज ‘मार्जिन’ (मुनाफे) में कमी के मद्देनजर।

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Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
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