नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत के जीवंत जहाज निर्माण उद्योग में अवसरों का लाभ उठाने और अगली पीढ़ी की समुद्री क्षमताओं का सह-विकास करने का मंगलवार को आह्वान किया। एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि भारत में जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता है क्योंकि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग पहले ही विमानवाहक पोत, अनुसंधान पोत और वाणिज्यिक जहाज बना चुका है। उन्होंने कहा, ‘भारत को जो चीज़ वास्तव में अलग बनाती है, वह है इसका एकीकृत जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र।’ उन्होंने कहा कि भारत को वास्तव में अलग बनाने वाला इसका एकीकृत जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र है। सिंह ने कहा कि अवधारणा डिज़ाइन और मॉड्यूलर निर्माण से लेकर रख रखाव, मरम्मत तक, जहाज निर्माण प्रक्रिया का हर चरण स्वदेशी रूप से विकसित और क्रियान्वित किया जाता है।
देश में जहाज निर्माण का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता: राजनाथ
राजनाथ सिंह रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी ‘समुद्र उत्कर्ष’ में मुख्य भाषण दे रहे थे, जिसमें भारतीय जहाज निर्माण उद्योग की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने उद्योग के हितधारकों, विदेशी साझेदारों, प्रतिनिधियों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हजारों एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) द्वारा समर्थित हमारे सार्वजनिक और निजी शिपयार्ड ने एक मजबूत मूल्य श्रृंखला बनाई है, जो इस्पात, प्रणोदन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और उन्नत लड़ाकू प्रणालियों तक फैली हुई है।’
Speaking at Indian Navy’s Naval Innovation and Indigenisation Organisation (NIIO) Seminar #Swavlamban2025 in New Delhi. https://t.co/g8nenD7lUZ
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 25, 2025
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग, जिसमें ‘उत्साही’ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और ‘गतिशील’ निजी क्षेत्र के साझेदार शामिल हैं, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि भारत ‘न केवल जहाज, बल्कि विश्वास, न केवल साजो सामान, बल्कि साझेदारियां बनाकर’ ‘समुद्री सदी’ को आकार देने में मदद के लिए तैयार है। सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत का जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र अनेक विश्वस्तरीय प्लेटफॉर्म की ताकत पर टिका है जो तकनीकी परिपक्वता और औद्योगिक गहराई को प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां और स्टील्थ फ्रिगेट (रडार को चकमा देने में सक्षम पोत) और विध्वंसक जहाज जैसी प्रमुख परियोजनाएं न केवल देश की नौसैनिक ताकत को रेखांकित करती हैं, बल्कि डिजाइन क्षमता और स्वचालन को भी बढ़ाती हैं।
भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है तटरक्षक बल जहाज का निर्माण
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम विमानवाहक पोतों से लेकर उन्नत अनुसंधान पोतों और ऊर्जा-कुशल वाणिज्यिक जहाजों तक की आपूर्ति करने में सक्षम हैं। यह एकीकृत क्षमता भारत को आने वाले दशक में जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने के लिए मजबूती से तैयार करती है।’ रक्षा मंत्री ने इस तथ्य पर ज़ोर दिया कि भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के निर्माणाधीन प्रत्येक जहाज़ का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत के जहाज निर्माण क्षेत्र का परिवर्तन ‘दूरदर्शी नीतिगत सुधारों’ की एक श्रृंखला पर आधारित है। सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों का परिणाम यह है कि भारतीय नौसेना के पास 262 स्वदेशी डिजाइन और विकास परियोजनाएं उन्नत चरणों में हैं।




