मुंबई। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में बुधवार रात निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई की। टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बनाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। दो दिन पहले ही रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था। 7 अक्टूबर को खबरें आई थीं कि टाटा को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन टाटा ने बताया था कि वह अपनी उम्र संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए अस्पताल गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है। टाटा ने बयान जारी कर कहा, ‘मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।’ उन्होंने लोगों और मीडिया से अपील की थी कि वे अफवाहें न फैलाएं।
उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला।
दुनिया में अपने काम से जमाई धाक
रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को एक नई पहचान दी। उन्होंने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गया। रतन टाटा को उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था। वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है। रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
चार बार शादी के करीब पहुंचे, घर बसाया नहीं
रतन टाटा ने 2011 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मैं चार बार शादी करने के करीब पहुंचा, लेकिन हर बार डर के कारण या किसी न किसी कारण से मैं पीछे हट गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉस एंजिल्स में काम करते समय उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था और उन्हें भारत लौटना पड़ा क्योंकि उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार था। लड़की के माता-पिता ने उसे भारत जाने की अनुमति नहीं दी।
पीएम मोदी बोले- असाधारण स्थान थे
पीएम नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, रतन टाटा दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। उन्होंने अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए एक अटूट प्रतिबद्धता के कारण कई लोगों को अपना मुरीद बना लिया।