अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एनआईए अदालत के 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 2017 में मुंबई-दिल्ली उड़ान में अपहरण की धमकी का संदेश छोड़ने के लिए एक व्यवसायी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत ने उसे विमान अपहरण के अपराध के लिए सजा सुनाई थी जो ‘साक्ष्य के आधार पर संदेह से घिरा है।’
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा ये
व्यवसायी बिरजू सल्ला पहले व्यक्ति थे जिन पर कड़े अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 के तहत मामला दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उसके खिलाफ अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 की धारा 3(1), 3(2)(ए) और 4(बी) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम.आर. मेंगडे की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता (सल्ला) को अधिनियम की धारा 3(1) और 3(2)(ए) के तहत अपराधों से बरी किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगली कड़ी के रूप में अधिनियम की धारा 4 (बी) के तहत सजा को रद्द कर दिया गया है। इसी के साथ सल्ला को पांच करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि वह पहले ही भुगतान कर दिया गया हो तो उसे वापस कर दिया जाए।