Operation Sindoor : नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए जवाबदेही तय करने की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को मांग की कि 1999 में कारगिल घटना की जांच के लिए गठित समीक्षा समिति की तर्ज पर समिति गठित की जाए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी थी, उसी प्रकार पहलगाम समीक्षा समिति की रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जाए। उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी पर अंगुली उठाना नहीं बल्कि गलतियों से सबक लेने का है ताकि गलतियों को दूर किया जा सके।
मेहंदी वाले हाथों ने पति की लाश उठाई है,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) July 29, 2025
बेबस रोते बच्चों ने पापा की जान गंवाई है !
अश्रु भरे लाचार खड़ी बेबस नारी को देखा है,
पहलगाम घाटी में हमने अपनों को मरते देखा है ! pic.twitter.com/zrpn5QixKm
संघर्षविराम की घोषणा को लेकर खरगे ने बोला सरकार पर हमला
पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के मजबूत, सफल एवं निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राज्यसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की घोषणा भारत ने नहीं बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। उन्होंने कहा कि अब तक ट्रंप 29 बार ऐसा दावा कर चुके हैं कि उन्होंने व्यापार का इस्तेमाल कर दोनों देशों के बीच संघर्षविराम कराया। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत किसी दबाव में संघर्षविराम के लिए तैयार हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि किन शर्तों पर संघर्षविराम हुआ और क्या अमेरिका ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने हस्तक्षेप किया है तो यह भारत की स्थापित नीति का उल्लंघन है जिसमें किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में पांच जेट विमान गिराए गए। उन्होंने कहा कि ट्रंप के इस बयान पर भी मोदी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष अनिल चौहान ने भी जेट विमान के संबंध में एक बयान दिया है। खरगे ने आपरेशन सिन्दूर के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की विपक्ष की मांग स्वीकार नहीं करने के लिए भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस संबंध में पत्र लिखकार सरकार से मांग की। लेकिन सरकार ने उस पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भारत-चीन युद्ध के बाद कुछ विपक्षी सांसदों की मांग पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष सत्र बुलाया था और उसे गुप्त रखने की बात नकार दी थी। उनका कहना था कि जनता से कोई बात छिपाने की जरूरत नहीं है।
PM मोदी के शामिल नहीं होने पर खरगे ने जताई आपत्ति
खरगे ने कहा कि लेकिन इस सरकार ने न तो विशेष सत्र बुलाया और न ही विपक्ष को कोई जानकारी दी। विपक्ष को जो भी जानकारी मिली, वह मीडिया या अन्य स्रोतों से मिली। सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल नहीं होने पर भी खरगे ने आपत्ति की और कहा कि वह बैठक में नहीं आए और चुनाव प्रचार करने बिहार चले गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में होना चाहिए था और उन्हें विपक्ष की बात सुननी चाहिए थी। खरगे ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण कर रही है और हर बयान में, हर मौके पर यह कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि लेकिन इससे सरकार का काम नहीं चलने वाला है और सरकार किसी पर दोष मढ़कर खुद को बचाना चाहती है।
उन्होंने सवाल किया कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पहलगाम घटना के कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि देश में आतंकी ढांचा काफी हद तक नष्ट कर दिया गया है तो फिर पहलगाम हमला कैसे हुआ ? उन्होंने कहा कि सरकार को आतंकवादी हमले रोकने में ‘चूक’ और ‘विफलता’ स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमले को लेकर जवाबदेही तय की जानी चाहिए, और पहलगाम हमले के लिए जो भी जिम्मेदार हो, उसे इस्तीफा देना चाहिए। खरगे ने प्रधानमंत्री की 2015 की उस पाकिस्तान यात्रा पर तंज कसा जो पूर्व निर्धारित नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘आप पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन हमें यह भी याद है कि आप अचानक बिना किसी पूर्व घोषणा के लाहौर पहुंच गए थे।’
खरगे के संबोधन के बाद सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री के बारे में कुछ आपत्तिजनक बातें की हैं , जिन्हें सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाना चाहिए। इसी दौरान एक शब्द ऐसा कहा जिस पर कांग्रेस के सदस्य नाराज हो गए। इस मुद्दे को लेकर सदन में कुछ देर हंगामा हुआ। उस शब्द पर आपत्ति जताते हुए खरगे ने मांग की कि नड्डा को माफी मांगनी चाहिए। नड्डा ने कहा कि वह अपने शब्द वापस लेते हैं और अगर उनके किसी शब्द से खरगे आहत हुए हैं तो वह खेद जताते हैं।