नई दिल्ली, पूर्व में प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर दावा किया गया है कि चाय या कॉफी पीने से सिर, गर्दन, मुंह और गले का कैंसर होने का जोखिम कम होता है. कैंसर पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में कहा गया है कि प्रतिदिन 3 या 4 कप कॉफी पीने से सिर और गर्दन के कैंसर का खतरा 17 प्रतिशत कम होता है, जबकि एक कप चाय पीने से इसका जोखिम 9 प्रतिशत कम होता है.
कॉफी और चाय में होते हैं कैफीन जैसे बायोएक्टिव तत्व
पिछले शोधों से पता चला है कि कॉफी और चाय में मौजूद कैफीन जैसे बायोएक्टिव तत्वों में जलन-रोधी ‘एंटीऑक्सीडेंट’ गुण होते हैं जो बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं. एक हालिया अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सीमित मात्रा में कॉफी पीने से स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है.
अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्यरत, अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका युआन-चिन एमी ली ने कहा, ‘हालांकि कॉफी और चाय के सेवन और कैंसर के जोखिम में कमी पर पहले भी शोध हो चुका है, लेकिन इस अध्ययन ने सिर और गर्दन के कैंसर की विभिन्न जगहों पर इनके अलग-अलग प्रभावों के बारे में बताया है. इसमें यह अवलोकन भी शामिल है कि कैफीन रहित कॉफी का भी कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.’
14 अध्ययनों के आंकड़ों का किया गया विश्लेषण
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित लगभग 9,550 रोगियों और बिना कैंसर वाले लगभग 15,800 रोगियों से जुड़े 14 अध्ययनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. कॉफी न पीने वालों की तुलना में जो लोग रोजाना 4 कप से अधिक, कैफीनयुक्त कॉफी पीते हैं उनमें सिर और गर्दन के कैंसर का जोखिम 17 प्रतिशत कम पाया गया. साथ ही उनमें मुंह के कैंसर का जोखिम 30 प्रतिशत कम और गले के कैंसर का जोखिम 22 प्रतिशत कम पाया गया.
इसके अतिरिक्त 3 से 4 कप कैफीनयुक्त कॉफी पीने से हाइपोफेरीन्जियल कैंसर (गले के निचले हिस्से में होने वाला एक प्रकार का कैंसर) का खतरा 41 प्रतिशत कम हो जाता है. दूसरी ओर कैफीन रहित कॉफी पीने से ‘ओरल कैविटी कैंसर’ होने की आशंका 25 प्रतिशत कम हो जाती है.
दिन में एक कप से अधिक चाय पीने से कैंसर का खतरा
एक कप चाय पीने से सिर, गर्दन के कैंसर का खतरा 9 प्रतिशत कम और हाइपोफैरिंक्स का खतरा 27 प्रतिशत कम हो जाता है. हालांकि, एक दिन में एक कप से अधिक चाय पीने से लैरिंक्स के कैंसर का खतरा 38 प्रतिशत अधिक होता है. लैरिंक्स को स्वर यंत्र भी कहा जाता है.
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि उन्होंने जिन अध्ययनों का विश्लेषण किया वे मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप से थे, इसलिए परिणाम अन्य आबादी पर समान नहीं हो सकते, क्योंकि दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में कॉफी और चाय के सेवन को लेकर आदतें अलग-अलग हैं.
एमी ली ने कहा, ‘कॉफी और चाय की आदतें अलग अलग हैं, और ये निष्कर्ष कैंसर के जोखिम को कम करने में कॉफी और चाय के प्रभाव पर अधिक आंकड़ों और आगे के अध्ययनों की आवश्यकता रेखांकित करते हैं.’