नई दिल्ली । सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही में राज्यसभा द्वारा मसौदा कानून को मंजूरी दिए जाने के कुछ दिनों बाद सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया. इस विधेयक में सिनेमाघरों के अंदर फिल्में रिकॉर्ड करने वालों पर जुर्माना लगाने और जेल भेजने का प्रावधान है. यह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के लिए उपलब्ध आयु रेटिंग की संख्या का भी विस्तार करता है, जो फिल्मों को सेंसर करता है साथ ही यह विधेयक फिल्मों को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी देता है. इस विधेयक में CBFC की सेंसरशिप शक्तियों को बरकरार रखा गया है. पिछले कुछ दशकों में CBFC की कार्यप्रणाली में आए बदलावों को भी क़ानून में शामिल किया गया है. उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो सरकार की पुनरीक्षण शक्ति, जिसे 1991 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले द्वारा छीन लिया गया था, इसको इस सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 से हटा दिया गया है, जिसे विधेयक में संशोधित किया गया है. इस आवश्यकता को फिर से लागू करने के लिए विधेयक के 2019 संस्करण को फिल्म उद्योग से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय को फिल्म के प्रमाणन को रद्द करने की अनुमति देगा और सीबीएफसी द्वारा एक बार फिर इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता होगी.
क्या है सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 ?
सिनेमैटोग्राफ संसोधन विधेयक को पहली बार 12 फरवरी 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था. इसके बाद विधेयक को सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति को भेजा गया. स्थायी समिति ने 16 मार्च 2020 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023, हितधारकों के कई दौर के परामर्श के बाद तैयार किया गया था. इस विधेयक में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है. इस संसोधन में फिल्म पायरेसी को लेकर कठोर दंडात्मक प्रावधानों को शामिल किया गया है. यह फिल्मों के लिए नई उप-आयु श्रेणियां पेश करता है. इस विधेयक में विभिन्न प्लेटफार्मों पर फिल्मों और सामग्री के वर्गीकरण में एकरूपता लाना. संसोधन के बाद इस विधेयक में एक बार दिए गए प्रमाणन की वैधता 10 साल की बजाय, स्थायी होगी. यह अधिनियम उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप होगा. इस विधेयक के अनुसार टेलीविजन प्रसारण के लिए संपादित फिल्म का पुन:प्रमाणीकरण किया जाएगा. इस विधेयक के पारित होने के बाद केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं. यह एकरूपता बनाए रखने के लिए अधिनियम के प्रावधानों को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुरूप बनाएगा. विधेयक में संसोधन के बाद फ़िल्म वर्गीकरण के लिए नई उप-आयु श्रेणियाँ बनाई जाएगी. यह फिल्मों को “यू” (अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी), “ए” (वयस्क दर्शकों के लिए प्रतिबंधित), और “यूए” (कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन के अधीन अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी) रेटिंग देने के बजाय आयु समूह के आधार पर वर्गीकृत करेगा। संसोधित विधेयक में 12 वर्षों के लिए ‘UA-7+’, ‘UA-13+’, और ‘UA-16+’ की नई श्रेणियों को जोड़ा गया है. पायरेसी करते हुए पाए जाने पर तीन साल की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना शामिल किया गया है. पायरेसी का कार्य कानूनी अपराध होगा और यहां तक कि पायरेटेड सामग्री प्रसारित करना भी दंडनीय होगा.
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि विधेयक के एंटी-पायरेसी प्रावधानों से पूरे फिल्म उद्योग को फायदा होगा. भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.