जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना पिच सैट कर दी है। 65 फीसदी ओबीसी वोटरों के इस पिच पर खेलना प्रदेश की सभी पार्टियों के लिए मजबूरी बन जाएगा। जो पार्टी इस पिच को समझकर धैर्य के साथ बल्लेबाजी करेगी, उसे फायदा मिल सकता है, लेकिन जिसने इसे समझे बिना ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने की सोची, उसे पवेलियन लौटना पड़ेगा।
बता दें कि बांसवाड़ा में कांग्रेस की आदिवासी रैली में राहुल गांधी के सामने सीएम गहलोत ने जातिगत जनगणना कराने और ओबीसी आरक्षण 21 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने की घोषणा कर यह पिच तैयार किया है। गहलोत विगत दो वर्षों से इसके लिए तैयारी कर रहे थे। कहा जा रहा है कि गहलोत मूल ओबीसी वोटरों के भरोसे ही इस बार के चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। रणनीति यह तैयार की गई है कि ओबीसी के साथ एससी-एसटी और मुस्लिम वोटरों के सहयोग से कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई जाए।
मूल ओबीसी नजर में: गहलोत की नजर मूल ओबीसी की ओर इसलिए लगी हुई है, क्योंकि एक ओर तो ओबीसी में सबसे बड़ा वर्ग जाट समाज उनके साथ नाराजगी रखता है। वहीं दूसरी ओर जाटों के साथ गुर्जर समाज के नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते हर चुनाव में पाला बदलते हैं। ऐसे में मूल ओबीसी को खुश करके कांग्रेस को अच्छा फायदा मिल सकेगा।
भाजपा नहीं तैयार कर पाई 85-15 का पिच
गुटबाजी में फंसी भारतीय जनता पार्टी अभी तक राजस्थान में कोई सियासी पिच तैयार नहीं कर पाई। भाजपा आलाकमान राजस्थान में 85-15 का पिच तैयार करने में जुटा था। इसके लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी योगी जैसा दमदार चेहरा खोजा जा रहा था। राजस्थान भाजपा में उन्हें ऐसा कोई चेहरा नहीं दिखाई दिया, जो खुलकर हिन्दूू-मुसलमान कर सके। ऐसे में भाजपा ने दो वर्ष पूर्व गुजरात मॉडल अपनाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेहरे के तौर पर आगे कर दिया।
गहलोत को चुनाव के समय ही याद आता है आरक्षण
ओबीसी आरक्षण 6 फीसदी बढ़ाने पर उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा था और कहा था कि उन्हें चुनाव के समय ही आरक्षण क्यों याद आया। मुख्यमंत्री अब जो घोषणाएं कर रहे हैं और जिस तरीके की बातें कर रहे हैं, ये सब केवल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए हैं। इनके अलावा भी भाजपा के नई नेता गहलोत को आड़े हाथों ले चुके हैं।
भाजपा आखिरी समय में करेगी मैच शिफ्ट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पिच पर भाजपा को खेलने के लिए मजबूर कर रहे हैं, लेकिन भाजपा मैच को ही शिफ्ट करने में लगी हुई है। चुनाव के समय भाजपा खेल कर सकती है और प्रदेश की सियासत को 85-15 की बाउंड्री में ला सकती है। चार राज्यों में चुनावों से पहले यूसीसी बिल, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामलों में भी तेजी आ सकती है, जिससे मैच शिफ्ट होने के अनुमान है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इन मामलों का असर लोकसभा चुनावों तक रहने वाला है।
हिस्सेदारी के हिसाब से टिकट
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी सत्यपाल चौधरी का कहना है कि उनकी पार्टी का ही नारा है जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी है। हमारा पूरा फोकस ओबीसी, एससी-एसटी, और मुस्लिम वर्ग पर है। गहलोत ओबीसी को लेकर घोषणाएं कर भ्रम फैला रहे हैं। नासिर जुनैद के हत्यारों को आज तक पकड़ नहीं पाए हैं, तो मुस्लिम वर्ग उन्हें वोट कैसे देगा।
85 फीसदी टिकट देने को तैयार
बसपा प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि पार्टी शुरुआत से ही एससी-एसटी, ओबीसी और माइनोरिटीज के लिए काम करती आई है। इनके लिए 85 फीसदी टिकट तैयार हैं। हम तो यही चाहते हैं कि समाज का यह बड़ा वर्ग एक झंडे के नीचे आए, लेकिन आज तक इन वर्गों को आपस में बांट कर रखा गया है। मुस्लिम वोटरों पर कांग्रेस का एकाधिकार नहीं है।