भारत अब इतिहास रचने के और करीब पहुंच गया है। Mission Moon के तहत Chandrayaan-3 चांद की 5वीं और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया है और अब लैंडर विक्रम के अलग होने का प्रोसेस भी शुरू हो चुकी है। ISRO ने बताया था कि लैंडर 17 अगस्त की सुबह अलग होगा। जिसके बाद अब प्रणोदन मॉड्यूल (Propulsion Module) और विक्रम लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं। इसका मतलब है कि अब चांद पर भारत के Chandrayaan-3 की लैंडिंग में बस कुछ दिन ही बाकी है।
आपको बता दें अलग होने के बाद लैंडर विक्रम को 30 किमी के निकटतम बिंदु (पेरिल्यून) और 100 किमी के सबसे दूर बिंदु (अपोल्यून) वाली कक्षा में स्थापित करने के लिए “डीबूस्ट” (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरना होगा। इस कक्षा में पहुंचने के बाद 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी। ISRO साइंटिस्ट्स का मानना है कि इस बार लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंड होगा।
इससे पहले ISRO की तरफ से ट्वीट कर बताया गया था कि चंद्रमा की 153 किलोमीटरx 163 किलोमीटर की कक्षा में Chandrayaan-3 स्थापित हो गया, जिसका पहले से अनुमान लगाया गया था। बता दें इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। Chandrayaan-3 ने 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद के बाद 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया और चांद के और नजदीक पहुंचता गया।
ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि लैंडिंग का सबसे जरूरी हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और व्हीकल को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल डायरेक्शन में पहुंचाने की क्षमता वो प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी। उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को कई बार दोहराया गया है। इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने की कोशिश के लिए कई एल्गोरिदम लगाए गए हैं। अगर 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है तो ये भारत की बड़ी कामयाबी होगी।