Sunday, July 27, 2025
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Bihar Encounter News: चंदन मिश्रा हत्याकांड के आरोपियों का आरा में एनकाउंटर, तौसीफ को गन देने वाले बलवंत समेत 2 बदमाशों के लगी गोली

Chandan Mishra Murder case: पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा हत्याकांड में पुलिस लगातार एक्शन जारी है. हत्या में शामिल 4 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है, अब उनके सहयोगियों पर शिकंजा कसा जा रहा है. मंगलवार को आरा के बिहिया इलाके में अपराधियों और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के बीच मुठभेड़ हुई है. जिसमें पुलिस की गोली लगने से 2 अपराधी घायल हो गए हैं. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. इनके पास से 2 पिस्टल, 1 देशी कट्टा, 3 मैग्जीन और 4 कारतूस बरामद किए गए हैं.

पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 2 अपराधियों के लगी गोली

जानकारी के अनुसार, चंदन मिश्रा हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम गई थी. बिहिया कटेया पथ पर नदी के पास अपराधियों ने पुलिस को देखते ही फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 2 अपराधियों को गोली लग गई. मुठभेड़ में घायल दोनों अपराधियों को बिहिया अस्पताल लाया गया और बेहतर इलाज के लिए रैफर कर दिया. रविरंजन के जांघ में गोली लगी है, जबकि बलवंत को हाथ-पैर में गोली लगी है. वहीं पुलिस ने अभिषेक नाम के एक अपराधी को भी गिरफ्तार किया है.

मुख्य आरोपी तौसीफ 72 घंटे की रिमांड पर

बता दें कि पटना पुलिस की टीम सोमवार को ही चंदन मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी शूटर तौसीफ समेत 4 आरोपियों को पश्चिम बंगाल से पटना लेकर पहुंची थी. पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया. अदालत ने तौसीफ के लिए 72 घंटे की रिमांड दी है. वहीं अन्य तीन को जेल भेज दिया है.

ये भी पढ़ें: Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे के पीछे कुछ अधिक गंभीर कारण’, कांग्रेस ने फिर उठाए सवाल, दोपहर 1 से 4.30 बजे के बीच के घटनाक्रम की ओर किया इशारा

Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे के पीछे कुछ अधिक गंभीर कारण’, कांग्रेस ने फिर उठाए सवाल, दोपहर 1 से 4.30 बजे के बीच के घटनाक्रम की ओर किया इशारा

Jagdeep Dhankhar: मॉनसून सत्र के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है. उनके अचानक इस तरह इस्तीफा देने पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. इस बीच कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया है कि जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के पीछे उनके द्वारा बताए गए स्वास्थ्य कारणों के अलावा कोई और अधिक गहरे कारण हैं.

कांग्रेस ने इस्तीफे के पीछे बताया कुछ गहरा कारण

कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया. कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने सोमवार को दोपहर 12.30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी. सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटित हुआ था कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रीजीजू कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में नहीं पहुंचे थे.

कांग्रेस के दावे पर सरकार की नहीं आई प्रतिक्रिया

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ मानदंडों, मर्यादाओं एवं नियमों के प्रति बेहद सजग थे और उनका मानना था कि उनके कार्यकाल में इन नियमों की लगातार अवहेलना की जा रही थी. कांग्रेस नेता के इस दावे पर सरकार की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. धनखड़ ने सोमवार रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उठाए गंभीर सवाल

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘कल जगदीप धनखड़ ने दोपहर 12.30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की. इसमें सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू सहित अधिकतर सदस्य उपस्थित थे. कुछ चर्चा के बाद, कार्य मंत्रणा समिति ने शाम 4.30 बजे पुनः बैठक करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा, ‘शाम 4.30 बजे कार्य मंत्रणा समिति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में पुनः एकत्रित हुई. बैठक में नड्डा और रीजीजू के आने का इंतज़ार हो रहा था। वे नहीं आए.’

कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में क्यों नहीं पहुंचे नड्डा और रिजिजू?

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह सूचित नहीं किया गया था कि दोनों वरिष्ठ मंत्री बैठक में शामिल नहीं हो रहे और धनखड़ को इसका बुरा लगा और फिर उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक मंगलवार दोपहर 1 बजे के लिए पुनर्निर्धारित कर दी. रमेश ने दावा किया कि सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटना हुई जिसके कारण नड्डा और रीजीजू दूसरी कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जानबूझकर अनुपस्थित रहे.

उन्होंने कहा, ‘बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है. हमें इसका मान रखना चाहिए लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं.’

धनखड़ ने किसानों के हित में खुलकर उठाई आवाज

कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा, ‘धनखड़ जी ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई. उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते ‘अहंकार’ की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम की जरूरत पर जोर दिया. मौजूदा ‘जी2’ सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की. धनखड़ नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे लेकिन उन्हें लगता था कि उनकी भूमिका में लगातार इन बातों की अनदेखी हो रही है. धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया था.

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Bikaner Accident: राजस्थान के बीकानेर में भीषण हादसा, दो कारों की जोरदार भिड़ंत, 5 लोगों की मौत, 4 घायल

Bikaner Accident: राजस्थान के बीकानेर जिले में भीषण सड़क हादसा हो गया. जहां दो कार की भिड़ंत हो गई. इस हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई और 4 अन्य घायल हो गए. टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और दो लोग खिड़कियों के कांच तोड़ते हुए निकलकर बाहर सड़क पर गिर गए.

मृतकों की हुई शिनाख्त

पुलिस ने बताया कि सोमवार देर रात सिखवाल इलाके में 2 कार की आमने-सामने की टक्कर हो गई जिसमें मनोज जाखड़, करण, सुरेंद्र कुमार, दिनेश और मदन सारण की मौत हो गई. घायलों को अस्पताल मं भर्ती कराया गया है. जहां उनका उपचार चल रहा है.

खिड़की तोड़कर बाहर गिरे 2 लोग

उसने बताया कि टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और कार में सवार एक-दो लोग खिड़कियों को तोड़ते हुए सड़क पर आ गिरे जिससे वे घायल हो गए. शवों को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया है, जबकि घायलों का उपचार किया जा रहा है.

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Jagdeep Dhankhar Resignation: जगदीप धनखड़ कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति, जानें उनसे पहले किस किसने किया ऐसा ?

Jagdeep Dhankhar: संसद के मॉनसून सत्र के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही अपने कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने वाले वो तीसरे उपराष्ट्रपति भी बन गए हैं. उनसे पहले भी दो उपराष्ट्रपति बीच कार्यकाल इस्तीफा दे चुके हैं. आइए उनके बारे में आपको बताते हैं.

वीवी गिरी ने भी बीच कार्यकाल दे दिया था इस्तीफा

वीवी गिरी ने भी उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिन्होंने 3 मई 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला था. गिरि ने 2 जुलाई 1969 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा. वह अपना कार्यकाल पूरा न कर पाने वाले पहले उपराष्ट्रपति थे.

भैरों सिंह शेखावत ने भी बीच कार्यकाल दिया था इस्तीफा

भैरों सिंह शेखावत ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में हारने के बाद 21 जुलाई 2007 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. शेखावत के इस्तीफे के बाद, उपराष्ट्रपति का पद 21 दिनों तक रिक्त रहा, जिसके बाद मोहम्मद हामिद अंसारी इस पद के लिए चुने गए.

राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दिया था इस्तीफा

गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा और केआर नारायणन ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन राष्ट्रपति चुने जाने के बाद. कृष्णकांत एकमात्र उपराष्ट्रपति थे, जिनका पद पर रहते हुए निधन हो गया था. उन्होंने 27 जुलाई 2002 को अंतिम सांस ली थी.

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Delhi NCR Earthquake: दिल्ली-NCR में भूकंप से कांपी धरती, रिक्टर स्केल 3.2 मापी गई तीव्रता, फरीदाबाद में था केंद्र

Delhi NCR Earthquake: दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में मंगलवार सुबह एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र हरियाणा बताया जा रहा है. सुबह 6 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 मापी गई है. सोमवार को जम्मू कश्मीर के किश्तवार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. हालांकि की अब तक जान माल के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है.

भूकंप के लिहाज से संवेदनशील दिल्ली

बता दें कि दिल्ली को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है, हाल के दिनों में यहां अब तक कई बार यहां भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. ऐसे में भूकंप के हल्के झटके भी दिल्ली वासियों के मन में डर पैदा कर देते हैं. विशेषज्ञ यहां तक कह चुके की आने वाले सालों में तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है.

फरीदाबाद में था भूकंप का केंद्र

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि दिल्ली NCR में सुबह 6 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 मापी गई. उसने बताया कि भूकंप का केंद्र फरीदाबाद में सतह से 5 किलोमीटर की गहराई में 28.29 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 72.21 डिग्री पूर्वी देशांतर में था.

New Income Tax Bill : संसदीय समिति ने टीडीएस रिफंड दावों, ट्रस्ट के कराधान में बदलाव का सुझाव दिया

New Income Tax Bill : नए आयकर विधेयक की समीक्षा करने वाली एक संसदीय समिति ने सोमवार को सुझाव दिया कि व्यक्तिगत करदाताओं को बिना किसी जुर्माने के नियत तिथि के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करके स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। संसदीय समिति ने यह सुझाव भी दिया कि धार्मिक एवं परमार्थ न्यासों को दिए गए गुमनाम दान को कराधान से मुक्त रखा जाए। आयकर विधेयक-2025 की समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में लोकसभा की प्रवर समिति का गठन किया गया था।

लोकसभा में सोमवार को पेश की गई 4,575 पेज की रिपोर्ट में नए आयकर विधेयक, 2025 में गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) की आय के प्रबंधन के तरीके में व्यापक बदलाव के सुझाव भी दिए गए हैं। समिति ने आयकर विधेयक, 2025 में बदलावों की सिफारिश की है। यह छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। संसदीय समिति ने कहा है कि एनपीओ, विशेष रूप से धर्मार्थ और परमार्थ उद्देश्यों वाले संगठनों के लिए गुमनाम दान पर कर लगाने के संबंध में अस्पष्टता को दूर किया जाना चाहिए।

समिति ने गैर-लाभकारी संस्थाओं (एनपीओ) की ‘प्राप्तियों’ पर कर लगाने का विरोध किया है, क्योंकि यह आयकर अधिनियम के तहत वास्तविक आय कराधान के सिद्धांत का उल्लंघन है। सुझावों में ‘आय’ शब्द को फिर से लागू करने की सिफारिश की गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल एनपीओ की शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए।

यह देखते हुए कि पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले ‘गुमनाम दान के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर’ है, समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक और परमार्थ न्यास (ट्रस्ट), दोनों को ऐसे दान पर छूट दी जानी चाहिए। समिति ने कहा, विधेयक का घोषित मकसद इसके पाठ को सरल बनाना है, लेकिन समिति को लगता है कि धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई है, जिसका देश के एनपीओ क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आयकर विधेयक, 2025 के खंड 337 में सभी पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले गुप्त दान पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थापित एनपीओ को ही सीमित छूट दी गई है। यह आयकर अधिनियम, 1961 की वर्तमान धारा 115बीबीसी से बिल्कुल अलग है। मौजूदा कानून में अधिक व्यापक छूट प्रदान की गई है। इसके मुताबिक, अगर कोई ट्रस्ट या संस्था पूरी तरह से धार्मिक और परमार्थ कार्यों के लिए बनाई गई हो, तो गुप्त दान पर कर नहीं लगाया जाता है।

गौरतलब है कि ऐसे संगठन आमतौर पर पारंपरिक माध्यमों (जैसे दान पेटियों) से योगदान प्राप्त करते हैं, जहां दान देने वाले की पहचान करना असंभव है। संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, समिति 1961 के अधिनियम की धारा 115बीबीसी में दिए गए स्पष्टीकरण के अनुरूप एक प्रावधान को फिर से लागू करने का पुरजोर आग्रह करती है। नए आयकर विधेयक, 2025 की जांच करने वाली लोकसभा की 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने यह भी सुझाव दिया कि करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख के बाद भी बिना किसी दंडात्मक शुल्क का भुगतान किए टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए।

जिन व्यक्तियों को आमतौर पर कर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होती, उनके टीडीएस रिफंड दावों की वापसी के संबंध में समिति ने सुझाव दिया कि आयकर विधेयक में उस प्रावधान को हटाना चाहिए, जो करदाता के लिए नियत तिथि के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य बनाता है। समिति ने नये कर कानून में कर विभाग द्वारा ‘पिछले वर्ष’ और ‘मूल्यांकन वर्ष’ की दोहरी अवधारणाओं को एक शब्द ‘कर वर्ष’ से बदलने के कदम की सराहना की गई है। रिपोर्ट कहती है, ‘एकल, सुसंगत ‘कर वर्ष’ को अपनाने से कानून अधिक सुलभ और समझने में आसान हो जाता है। रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए बीडीओ इंडिया की भागीदार (कर एवं नियामक सेवाएं) प्रीति शर्मा ने कहा कि रिपोर्ट में बदलाव के लिए कुल 566 सिफारिशें की गई हैं। अब लोकसभा को इन सिफारिशों पर चर्चा करनी है और मौजूदा विधेयक में जरूरी बदलावों पर विचार करना है।

RBI Repo rate : रघुराम राजन बोले- आरबीआई की नीतिगत दर कटौती निवेश बढ़ाने के लिए कोई ‘जादू की गोली’ नहीं

RBI Repo rate : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा है कि हाल के दिनों में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दरों में की गई कटौती कोई ‘जादुई की गोली’ नहीं है जो एकदम से निवेश को बढ़ावा दे। अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में कई अन्य कारक भी भूमिका निभाते हैं। राजन ने कहा कि इस समय ब्याज दर बहुत ज्यादा नहीं हैं और आरबीआई की कटौती का असर दिखने में समय लगेगा। उन्होंने पीटीआई-वीडियो से बातचीत मे कहा, … पहले उच्च ब्याज दर को लेकर एक तर्क था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब यह तर्क बना रह सकता है।

राजन ने कहा, मुझे नहीं लगता कि आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती निवेश को बढ़ावा देने के लिए कोई जादुई गोली साबित होगी। उल्लेखनीय है कि आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने छह जून को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.5 प्रतिशत की कटौती की। इससे फरवरी से लेकर अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती हो चुकी है। इसके अलावा, नीतिगत रुख को उदार से बदलकर तटस्थ कर दिया गया।

यह पूछे जाने पर कि क्या हाल में आरबीआई द्वारा रेपो दर में कटौती से कंपनियां अपनी निवेश योजनाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगी, जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘अधिक पारदर्शी चीजें और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक प्रतिस्पर्धा से उद्योग जगत अपने लाभ और नेतृत्व को बनाए रखने के लिए निवेश पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित होंगे।’’

उन्होंने कहा, इसलिए, मुझे नहीं लगता कि यह केवल ब्याज दर की बात है। मुझे लगता है कि इसके पीछे कई कारक हैं… लेकिन मुझे उम्मीद है कि आगे और अधिक कंपनियों के निवेश आएंगे। राजन ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट से पहले हुए बड़े पैमाने पर निवेश के बाद से भारतीय उद्योग निवेश करते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, वे (भारतीय उद्योग) बहुत ज्यादा सतर्क हो गए हैं और वे यह नहीं कह सकते कि घरेलू अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत है। पहले वे कहते थे कि निम्न मध्यम वर्ग खर्च नहीं कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्र खर्च नहीं कर रहा है।

शिकॉगो बूथ (शिकॉगो विश्विद्यालय) में वित्त के प्रोफेसर ने कहा, बात अब पलट गई है। उच्च मध्यम वर्ग ही खर्च नहीं कर रहा है। सांख्यिकी मंत्रालय के हाल के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भारत में निजी क्षेत्र के निवेश की हिस्सेदारी 11 साल के निचले स्तर पर आ गई है। उन्होंने कहा, पहले ब्याज दर को लेकर एक तर्क था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस तर्क का अब कोई मतलब है।

जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत पर आ गयी ऐसे में क्या आरबीआई के लिए नीतिगत दर में और कटौती की कोई गुंजाइश है, राजन ने कहा कि वह केंद्रीय बैंक की नीति पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है, हम बहुत ही संतोषजनक स्थिति में हैं। औद्योगिक देशों में आयात पर शुल्क, जो अमेरिका से दूसरे देशों में फैल सकते हैं, निर्यात करने वाले देशों के लिए महंगाई बढ़ाने वाले नहीं होते हैं।

राजन ने कहा कि वह सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति पर उतना ध्यान नहीं देंगे। हालांकि, आरबीआई सकल मुद्रास्फीति का ही लक्ष्य लेकर चलता है, उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं ऐसे समय में मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति पर भी नजर रखूंगा, ताकि मैं खुद को आश्वस्त कर सकूं कि महंगाई में नरमी की स्थिति सभी स्तर पर है। ’राजन ने कहा, और अगर आप मुख्य मुद्रास्फीति पर गौर करें, तो यह कुल मुद्रास्फीति से कुछ अधिक है। हालांकि, यह संतोषजनक स्तर पर है। राजन ने कहा, आरबीआई की नीतिगत दर में कटौती के बाद प्रमुख ब्याज दर इस समय बहुत ज्यादा नहीं हैं और हमें यह देखने के लिए कुछ और समय इंतजार करना होगा कि आगे क्या होता है।

Honey-Trap Case : शिवसेना (उबाठा) सांसद संजय राउत का दावा- महाराष्ट्र के चार मंत्री ‘हनीट्रैप’ में फंसे, BJP ने सबूत देने को कहा

Honey-Trap Case : मुंबई। शिवसेना (उबाठा) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने सोमवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के चार मंत्रियों और कई सरकारी अधिकारियों को ‘मोहपाश’ (हनीट्रैप) में फंसाया गया है। हालांकि, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के सदस्य चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने इस दावे का खंडन करते हुए राउत से सबूत सार्वजनिक करने को कहा।

संजय राउत का दावा: 4 युवा सांसदों को ‘हनीट्रैप’ में फंसाया गया

राउत ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया कि तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के चार युवा सांसदों को ‘हनीट्रैप’ में फंसाया गया था, जिसके कारण वे पाला बदलकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए। राउत ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, चार मंत्री और कई अधिकारी ‘हनीट्रैप’ में फंसाए गए हैं। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा था कि राज्य में ‘हनीट्रैप’ के जरिये ब्लैकमेलिंग का कोई मामला सामने नहीं आया है।

सोमवार को राउत ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने सदन में झूठ बोला और उन्हें पता है कि चार मंत्री ‘हनीट्रैप’ में फंसे हैं। राउत ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘(अविभाजित शिवसेना) छोड़ने वाले सांसदों में से चार ‘हनीट्रैप’ में फंसे थे और उन पर दबाव डाला गया और भाजपा से हाथ मिलाने के बाद वे बेदाग हो गए।’ पिछले सप्ताह, कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने मांग की थी कि सरकार ठाणे, नासिक और मुंबई स्थित मंत्रालय (सचिवालय) में तैनात राज्य के अधिकारियों को निशाना बनाकर चलाए जा रहे कथित ‘हनीट्रैप’ गिरोह पर विधानसभा में औपचारिक बयान दे। पटोले ने दावा किया था कि उनके पास एक पेन ड्राइव में आरोपों से जुड़े सबूत मौजूद हैं।

राउत जनता को गुमराह कर रहे है : मंत्री बावनकुले

राउत के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्य के राजस्व मंत्री बावनकुले ने कहा, उन्हें डरना नहीं चाहिए। अगर उनके पास ‘हनीट्रैप’ के दावों से जुड़ी कोई सामग्री है, तो उन्हें आगे आकर उसे दिखाना चाहिए। बावनकुले ने पत्रकारों से कहा, ‘यह सुर्खियों में बने रहने की एक घटिया कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। मंत्री ने दावा किया कि सत्ता गंवाने के बाद विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के नेता जनता को गुमराह करने के लिए ‘सरासर झूठ’ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘एमवीए नेता अपने विधायकों और सांसदों को भी नहीं बचा पाए। अब वे झूठ का सहारा ले रहे हैं।

बावनकुले ने राउत के इस दावे का भी खंडन किया कि नासिक के ‘हनीट्रैप’ मामले में कथित रूप से शामिल राज्य के एक मौजूदा मंत्री, 2022 के विद्रोह के दौरान शिवसेना के कई नेताओं के असम शहर जाने के चार दिन बाद गुवाहाटी गए थे, जिसके कारण पार्टी में फूट पड़ गई थी।मुख्यमंत्री फडणवीस की पिछली टिप्पणियों को दोहराते हुए बावनकुले ने कहा, अगर विपक्ष के पास कोई सबूत है, तो उन्हें जनता के सामने पेश करना चाहिए। उन्हें किसी से डरना नहीं चाहिए।

Online Betting Case : ईडी ने ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े पीएमएलए मामले में 4 अभिनेताओं को तलब किया, 23 जुलाई को होगी पेश

Online Betting Case : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए अभिनेता राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, विजय देवरकोंडा, लक्ष्मी मांचू को तलब किया है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय ने दग्गुबाती (40) को 23 जुलाई को यहां अपने क्षेत्रीय कार्यालय में पेश होने के लिए कहा है।

सूत्रों ने बताया कि प्रकाश राज (60) को 30 जुलाई को, देवरकोंडा (36) को छह अगस्त को और लक्ष्मी (47) को 13 अगस्त को तलब किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कथित तौर पर ‘‘अवैध’’ पैसा बनाने में जुटे ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप का प्रचार किया था। उन्होंने बताया कि उनके पेश होने पर यह संघीय जांच एजेंसी धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत उनके बयान को दर्ज करेगी।

ईडी ने 4 अभिनेताओं को तलब किया

ईडी ने इन अभिनेताओं और कई अन्य मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया ‘इंफ्लूएंसर’ के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस की पांच प्राथमिकियों का संज्ञान लिया है। ईडी सूत्रों के अनुसार, इन व्यक्तियों पर ‘सेलिब्रिटी या प्रचार शुल्क’ की खातिर ‘जंगली रमी’, ‘जीतविन’, ‘लोटस365’ जैसे ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स का समर्थन करने का संदेह है।

सूत्रों ने बताया कि इन मंचों पर अवैध सट्टेबाजी और जुए के माध्यम से अवैध रूप से करोड़ों रुपये की कमाई करने का आरोप है। सूत्रों ने कहा कि इन ‘प्रसिद्ध’ व्यक्तियों में से कुछ ने पहले यह कहा था कि उन्हें इन ऐप्स और उनके द्वारा पेश किए गए उत्पादों की सटीक कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह दावा भी किया कि उन्होंने कभी भी किसी गलत कार्य या सट्टेबाज़ी जैसी अवैध गतिविधि के लिए इन मंचों से खुद को नहीं जोड़ा था।

Haryana New Governor : असीम कुमार घोष बने हरियाणा के नए राज्यपाल, राजभवन में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने दिलाई शपथ

Haryana New Governor : प्रतिष्ठित विद्वान असीम कुमार घोष ने सोमवार को हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। उन्होंने बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लिया है। घोष (81) को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष मोहन लाल बडौली समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

कोलकाता के एक कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर एवं राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ घोष को लंबे समय से ऐसी पार्टी में एक प्रतिभा के रूप में देखा जाता रहा है जहां पश्चिम बंगाल में भाजपा के उथल-पुथल वाले दौर के दौरान वक्तृत्व, अनुशासन और वैचारिक स्पष्टता को महत्व दिया जाता था। वैसे तो घोष का सक्रिय राजनीतिक जीवन लगभग दो दशक पहले समाप्त हो गया था फिर भी वह पार्टी के भीतर एक सम्मानित आवाज बने रहे।राज्यपाल के रूप में उनकी पदोन्नति को उनके लंबे राजनीतिक सफर और भाजपा नेताओं की पुरानी पीढ़ी के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में पार्टी की नींव रखी। राज्य में पार्टी लंबे समय तक हाशिये पर रही थी।

पश्चिम बंगाल में 1999 से 2002 तक प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल राज्य में भाजपा के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ने एवं पार्टी संगठन को मजबूत करने के काल के रूप गिना जाता है।

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