India Pakistan Ceasefire Claim: अमेरिका के बाद अब चीन ने दावा किया है कि उसने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान मध्यस्थता की. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अब तक कई बार यही दावा कर चुके हैं. हालांकि भारत ने तीसरे पक्ष के दखल को बार-बार खारिज किया है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को दावा किया कि इस वर्ष चीन द्वारा ‘मध्यस्थता’ किए गए प्रमुख संवेदनशील मुद्दों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल रहे.
बीजिंग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हालात और चीन के विदेश संबंधों पर संगोष्ठी में वांग ने कहा, ‘इस साल, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से किसी भी समय की तुलना में स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष अधिक बार भड़के. भू-राजनीतिक उथल-पुथल लगातार फैलती जा रही है.’ उन्होंने कहा, ‘स्थायी शांति स्थापित करने के लिए, हमने एक वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत रुख अपनाया है, और लक्षणों और मूल कारणों दोनों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया है.’
पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव में मध्यस्थता का दावा
वांग यी ने आगे कहा, ‘गतिरोध वाले मुद्दों को सुलझाने के लिए चीन के इस दृष्टिकोण का अनुसरण करते हुए, हमने उत्तरी म्यांमा, ईरान के परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन और इजराइल के मुद्दों तथा कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की.’
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की भूमिका पर सवाल
इस वर्ष 7 से 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में चीन की भूमिका, विशेष रूप से उसके द्वारा पाकिस्तान को प्रदान की गई सैन्य सहायता, गंभीर जांच और आलोचना के दायरे में आ गई. कूटनीतिक मोर्चे पर, चीन ने 7 मई को भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने का आह्वान किया था.
भारत ने मध्यस्थता के दावे को हमेशा किया है खारिज
भारत का यह कहना रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई के दौरान संघर्ष का समाधान दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधी बातचीत के माध्यम से हुआ था. भारत लगातार यह कहता रहा है कि भारत और पाकिस्तान से संबंधित मामलों में किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए कोई जगह नहीं है. भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था.




