Israel-Iran War: ईरान और इजरायल की जंग में अमेरिका कूद पड़ा है। रविवार को अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर मिसाइलों से बड़ा हमला किया है। इसके बाद इजराइल-ईरान युद्ध के क्षेत्र में फैलने की आशंका के मद्देनजर रविवार को विभिन्न देशों ने कूटनीतिक समाधान तलाशने और संयम बरतने की अपील की।
अमेरिका ने ईरान न्यूक्लियर ठिकानों पर दागी मिसाइल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इजराइल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला लेंगे। लेकिन उन्होंने महज दो दिन में फैसला कर लिया और अमेरिका ने इजराइल के अभियान में शामिल होते हुए रविवार तड़के ईरान पर हमला कर दिया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से ईरान को कितना नुकसान पहुंचा है। इससे पहले ईरान ने कहा था कि अगर अमेरिका ने इजराइल का साथ दिया तो वह जोरदार पलटवार करेगा।
लेबनान के पीएम सलाम ने कही ये बात
अमेरिका के हमलों के बाद विभिन्न देशों और संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ सलाम ने कहा कि संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैलने पर उनके देश को इससे दूर रहने की जरूरत है। सलाम ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, हमारे लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना सबसे महत्वपूर्ण है। लेबनान को किसी भी तरह के क्षेत्रीय टकराव में शामिल होने से बचाने की जरूरत है।

अमेरिका के हमलों से चिंतित : संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं। गुतारेस ने एक बयान में कहा, इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘मैं सदस्य देशों से तनाव कम करने की अपील करता हूं। इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है, कूटनीति से ही कोई हल निकल सकता है।
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने दिया बड़ा बयान
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने रविवार को सभी पक्षों से वार्ता की ओर लौटने का आग्रह किया। उन्होंने संवाददाताओं को यह नहीं बताया कि न्यूजीलैंड राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं। पीटर्स ने कहा कि यह संकट, अब तक का सबसे गंभीर संकट है और इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।
उन्होंने कहा, कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में अधिक स्थायी समाधान प्रदान करेगी। यमन के हूती विद्रोहियों और हमास दोनों ने अमेरिकी हमलों की निंदा की है। हूतियों ने इजराइली और अमेरिकी आक्रामकता के खिलाफ ईरान की लड़ाई में उसका समर्थन करने का संकल्प जताया है। रविवार को एक बयान में, हूती विद्रोहियों के राजनीतिक ब्यूरो ने मुस्लिम देशों से इजराइली-अमेरिकी अहंकार के खिलाफ एक मोर्चे के रूप में जिहाद व प्रतिरोध में शामिल होने का आह्वान किया।

अमेरिका ईरान में इराक वाली गलती दौहरा रहा है : चीन
हमास और हूती ईरान के समर्थक रहे हैं। चीन की सरकारी मीडिया ने सवाल किया कि क्या अमेरिका ईरान में वही गलती दोहरा रहा है, जो उसने इराक में की थी।
चीन के सरकारी प्रसारक की विदेशी भाषा शाखा ‘सीजीटीएन’ के ऑनलाइन लेख में कहा गया है कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ को दर्शाते हैं।
लेख में 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए कहा गया है, इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप के अक्सर अनपेक्षित परिणाम होते हैं, जिसमें लंबे समय तक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता जारी रहना शामिल है। लेख में कहा गया है कि सैन्य टकराव के बजाय वार्ता को प्राथमिकता देने वाला एक संतुलित कूटनीतिक दृष्टिकोण पश्चिम एशिया में स्थिरता की सबसे अच्छी उम्मीदें पैदा कर सकता है।
जापान के एनएचके टेलीविजन के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा रविवार दोपहर को ईरानी परमाणु केन्द्रों पर अमेरिकी हमले के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए प्रमुख मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि वह रविवार को एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा, जिसमें अमेरिकी हमलों के सुरक्षा व आर्थिक परिणामों और दक्षिण कोरिया की संभावित प्रतिक्रिया पर चर्चा की जाएगी।
शुक्रवार को तेहरान में अपने दूतावास को बंद करने और कर्मचारियों को वापस लाने वाले ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर संघर्ष को कूटनीतिक रूप से समाप्त करने पर जोर दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने लिखित बयान में कहा, हम स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा रहा है। हम अमेरिकी राष्ट्रपति का समर्थन करते हैं कि अब शांति का समय आ गया है। बयान में कहा गया है, क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अत्यधिक अस्थिर है। हम एक बार फिर तनाव कम करने, संवाद व कूटनीति का आह्वान करते हैं।