नई दिल्ली। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक रिसर्च के अनुसार, देश की 10 में से 6 किशोरियां एनीमिया से पीड़ित हैं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों ने अपने रिसर्च में पाया कि देश में 15 से 19 साल तक की किशोरियों में पोषण की खराब स्थिति, धन और शिक्षा, किशोरावस्था में विवाह और मातृत्व आदि एनीमिया का महत्वपूर्ण कारक हैं। पीएलओएस ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारतीय राज्यों में एनीमिया की व्यापकता 60% से अधिक है। क्या है एनीमिया: रेड ब्लड सेल्स डिस्क के आकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। ये आपके शरीर के ऑर्गन और टिश्यूज तक ऑक्सीजन ले जाती हैं। जब शरीर में स्वस्थ आरबीसी की संख्या कम हो जाती है तो एनीमिया होता है।
पूर्वोत्तर राज्यों में खतरा कम
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की किशोरियों में देश के अन्य हिस्सों की महिलाओं की तुलना में एनीमिया का खतरा कम है। देश के सभी 28 राज्यों में से 21 राज्यों में अलग-अलग स्तर तक एनीमिया के प्रसार में वृद्धि दर्ज की गई। असम, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 15 प्रतिशत की वृद्धि, जबकि पंजाब, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में 5 प्रतिशत अंकों से कम की वृद्धि हुई।
कम उम्र में शादी एनीमिया की वजह
राष्ट्रीय सर्वेक्षण, एनएफएचएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के चौथे और पांचवें दौर के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए क्रमशः 1,16,117 और 1,09,400 किशोरियों का अध्ययन किया। एनीमिया 18 साल से कम आयु में विवाह करने वाली किशोरियों में ज्यादा है। कम से कम दो बच्चों की माता किशोरियों में संतानहीन किशोरियों की तुलना में एनीमिया ज्यादा है। वहीं ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं में एनीमिया ज्यादा है।