WPI Inflation Fall: खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई. बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. यह इसका 13 माह का निचला स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.05 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 1.19 प्रतिशत रही थी. अप्रैल में दर्ज 0.85 प्रतिशत थोक मूल्य सूचकांक की दर मार्च, 2024 के बाद से सबसे कम है. उस समय यह 0.26 प्रतिशत के स्तर पर थी.
इन वजहों से रही गिरावट
उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘ मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों, विनिर्माण, रसायनों व रासायनिक उत्पादों, अन्य परिवहन उपकरणों के विनिर्माण व मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही.’ थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य, ईंधन और बिजली के साथ-साथ विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी से इसमें नरमी आई. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अप्रैल में 0.86 प्रतिशत की गिरावट आई. मार्च में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी. अप्रैल में सब्जियों की मुद्रास्फीति दर 18.26 प्रतिशत रही जबकि मार्च में यह 15.88 प्रतिशत रही थी.
खुदरा महंगाई दर जुलाई 2019 के बाद सबसे निचले स्तर पर
प्याज की मुद्रास्फीति घटकर 0.20 प्रतिशत हो गई जो मार्च में 26.65 प्रतिशत थी. फलों की मुद्रास्फीति घटकर 8.38 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले महीने 20.78 प्रतिशत पर थी.आलू और दालों कीमतों में भी क्रमशः 24.30 प्रतिशत और 5.57 प्रतिशत की कमी आई. ईंधन व बिजली की महंगाई दर में अप्रैल में 2.18 प्रतिशत की कमी आई. जबकि मार्च में इन उत्पादों की मुद्रास्फीति 0.20 प्रतिशत थी. अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 2.62 रही, जबकि मार्च में यह 3.07 प्रतिशत थी. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.16 प्रतिशत रह गई है, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी. मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी.
रेपो दर में हो सकती है कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई है. इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है. RBI ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था.
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