Wednesday, July 3, 2024
Homeजयपुरप्रदेश में कौन खिलाएगा कमल, वसुंधरा पर सब मौन!

प्रदेश में कौन खिलाएगा कमल, वसुंधरा पर सब मौन!

जयपुर। प्रदेश की सियासत में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर सवाल सुलग रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा तो यह है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें क्या जिम्मेदारी सौपेंगी? भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति और संकल्प पत्र समिति में उनका नाम नहीं होने से धुर विरोधी अंदरखाने खुश हैं तो राजनीति की समझ रखने वाले इसे चुनावी रणनीति बता रहे हैं।

चुनावी विश्लेषकों की मानें तो पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने हमेशा से अपने फैसलों से चौंकाया है और इस मामले में भी ऐसा हो सकता है। हालांकि मौजूदा हालात को देखें तो वसुंधरा की आगे की राह मुश्किल दिखाई दे रही है। वहीं, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह का कहना है कि वसुंधरा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और दो बार मुख्यमंत्री रही हैं। पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका है और वे जबरदस्त प्रचार करेंगी।

ऐसे में स्पष्ट है कि शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा को लेकर अपनी नीति स्पष्ट नहीं कर रहा है। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि उनको साइडलाइन करने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। इतना ही नहीं, उनके समर्थक पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

प्रदेश में सत्ता वापसी का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सपना वसुंधरा राजे की दूरी से ही संभव है। गहलोत और कांग्रेस को अच्छे से पता है कि जमीन पर राजे का तंत्र सशक्त है और कांग्रेस को चुनौती देने के लिए वे सक्षम हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने अपनी पद यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की मांग अपनी सरकार के सामने रखी। इस पर पूरा दबाव बनाया। यही नहीं, सीएम गहलोत ने भी सियासी बयानों से वसुंधरा को केन्द्र में बनाए रखा। उन्होंने अपनी सरकार को बचाने का क्रैडिट राजे काे दिया। साथ ही कांग्रेस ने राजनीतिक दांव खेलते हुए भाजपा के शीर्ष नेताओं तक ये संदेश पहुंचा दिया कि राजे को सीएम को चेहरा बनाने से उनको नुकसान होगा।

हिमाचल-कनार्टक से सबक, बदली रणनीति

भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव को फतेह करना चाहती है। हालांकि चुनाव में सिर्फ मोदी फैक्टर जीत के लिए काफी नहीं है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के नतीजों ने ये साफ कर दिया था। इस स्थिति में पार्टी राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व के फॉर्मूले पर जोर देगी। तभी तो पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर संदेश दे दिया था कि अगर राजे चेहरा नहीं हैं तो और कोई भी नहीं है। ऐसे में चुनाव से ऐन पहले भाजपा बड़ा दांव खेलेगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments