Rajnath Singh : नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि युद्ध अब ‘‘महीनों में नहीं, बल्कि घंटों और सेकंडों में मापा जाता है’’, क्योंकि उपग्रह, ड्रोन और सेंसर संघर्ष की प्रकृति को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) से एक ऐसा भविष्योन्मुखी रोडमैप विकसित करने का आग्रह किया जो नई चुनौतियों का पूर्वानुमान लगा सके, अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत कर सके और रणनीतियों को लगातार अनुकूलित कर सके।
साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अब काल्पनिक खतरे नहीं : राजनाथ सिंह
यहां बल के मुख्यालय में आयोजित 42वें आईसीजी कमांडर सम्मेलन में अपने संबोधन में, राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने यह भी रेखांकित किया कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अब काल्पनिक खतरे नहीं हैं, बल्कि वर्तमान की हकीकत हैं। उन्होंने कहा, कोई राष्ट्र मिसाइलों से नहीं, बल्कि हैकिंग, साइबर हमलों और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के जरिए हमारे सिस्टम को पंगु बनाने की कोशिश कर सकता है। आईसीजी को ऐसे खतरों से बचाव के लिए अपने प्रशिक्षण और उपकरणों को लगातार अनुकूलित और उन्नत करना होगा। प्रतिक्रिया समय को सेकंडों में कम करने और हर समय तत्परता सुनिश्चित करने के लिए स्वचालित निगरानी नेटवर्क और एआई-सक्षम प्रणालियां आवश्यक हैं।
Addressed the Inaugural Session of @IndiaCoastGuard Commanders’ Conference in New Delhi.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 29, 2025
The ICG has unique mandate of operating at the intersection of external and internal security. While the Armed Forces focus on defending the country from external threats and other agencies… pic.twitter.com/06y4hNYD0B
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब युद्ध महीनों में नहीं, बल्कि घंटों और सेकंडों में मापा जाता है, क्योंकि उपग्रह, ड्रोन और सेंसर संघर्ष की प्रकृति को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का 7,500 किलोमीटर लंबा समुद्र तट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय क्षेत्रों के साथ, ‘भारी चुनौतियां’ पेश करता है, जिसके लिए उन्नत तकनीक, अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों और चौबीसों घंटे निगरानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि समुद्री खतरे तेजी से तकनीक-संचालित और बहुआयामी होते जा रहे हैं।
सिंह ने यह भी चेतावनी दी कि आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों की योजना बनाने के लिए डिजिटल मैपिंग और ‘रीयल-टाइम इंटेलिजेंस’ जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, पारंपरिक तरीके अब पर्याप्त नहीं हैं, हमें अपने समुद्री सुरक्षा ढांचे में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग-आधारित निगरानी, ड्रोन, साइबर-रक्षा प्रणालियों और स्वचालित प्रतिक्रिया तंत्रों को एकीकृत करके अपराधियों और विरोधियों से आगे रहना होगा। यह सम्मेलन 28 से 30 सितंबर तक ‘विकसित होती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों’ और हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते सामरिक महत्व की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है।
आईसीजी राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ : राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने आईसीजी को राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अपनी स्थापना के बाद से, आईसीजी ने भारतीय जल क्षेत्र में अवैध गतिविधियों में शामिल 1,638 विदेशी जहाजों और 13,775 विदेशी मछुआरों को पकड़ा है। बयान में कहा गया है, उसने 37,833 करोड़ रुपये मूल्य के 6,430 किलोग्राम नशीले पदार्थ भी ज़ब्त किए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों से निपटने में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। खोज और बचाव (एसएआर) अभियानों के प्रति आईसीजी का समर्पण उल्लेखनीय रहा है, इस साल जुलाई तक 76 अभियान चलाकर 74 लोगों की जान बचाई गई और आपदा प्रतिक्रिया अभियानों में कुल मिलाकर 14,500 से ज़्यादा लोगों की जान बचाई गई।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जिस ‘निर्बाध तरीके’ से आईसीजी नागरिक प्रशासन और अन्य बलों के साथ वास्तविक समय में काम करता है, वह संपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को मज़बूत करता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सिंह ने आईसीजी के आधुनिकीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि इसके पूंजीगत बजट का लगभग 90 प्रतिशत स्वदेशी परिसंपत्तियों के लिए आवंटित किया जाता है। सिंह ने भूमि और समुद्री सीमाओं के बीच अंतर दर्शाते हुए कहा कि जहां भूमि सीमाएं स्थायी, स्पष्ट रूप से चिह्नित और अपेक्षाकृत पूर्वानुमानित होती हैं, वहीं समुद्री सीमाएं परिवर्तनशील होती हैं और ज्वार, लहरों और मौसम के कारण लगातार बदलती रहती हैं। रक्षा मंत्री ने महिला सशक्तीकरण में आईसीजी की प्रगति की सराहना की और बताया कि आज महिला अधिकारी न केवल सहायक भूमिकाओं में, बल्कि अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में भी काम कर रही हैं।