Sunday, November 17, 2024
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टीवी समाचार चैनलों के स्व-नियामक तंत्र को सख्त बनाना चाहते हैं – Supreme Court

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह टीवी समाचार चैनलों की निगरानी के स्व-नियामक तंत्र (self-regulatory mechanism) को सख्त बनाना चाहता है, जिसके संबंध में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) को नए दिशानिर्देशों के साथ आने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया गया है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की एक खंडपीठ ने इन जवाबों का संज्ञान लिया कि NBDA नए दिशा-निर्देशों को तैयार करने के लिए अपने मौजूदा अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) ए.के. सीकरी और पूर्व अध्यक्ष आर.वी. रवीन्द्रन के साथ परामर्श कर रहा है। NBDA की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने नए दिशा-निर्देशों के साथ आने के लिए 4 सप्ताह का वक्त मांगा।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही 3 चरणीय तंत्र बना चुकी है, जिसमें से पहला स्व-नियामक ही है।

‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (NBFI) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि NBDA के विपरीत, 2022 नियमों के मुताबिक NBFI ही ऐसी एकमात्र नियामक इकाई है, जो केंद्र के साथ पंजीकृत है। उन्होंने कहा कि NBFI को भी अपने स्वयं के नियम दाखिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।   

प्रधान न्यायाधीश ने कहा हम स्व-नियामक तंत्र को सख्त बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सुझाव और दिशा-निर्देशों का स्वागत है। हम यहां आपके (NBDA और NBFI) वैचारिक मतभेदों को नहीं सुलझा सकते। हम नहीं चाहते कि 2  प्रतिद्वंदियों के कोलाहल में यह याचिका कहीं गुम हो जाए। हम उनके नियमों को देखेंगे और उसके बाद आपके।

प्रधान न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद के लिए निर्धारित कर दी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने टीवी समाचार चैनलों की निगरानी के लिए मौजूदा स्व-नियामक तंत्र में त्रुटियां पाई थीं और इसे अधिक प्रभावी बनाने की इच्छा जाहिर करते हुए केंद्र से जवाब मांगा था। पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि वह मीडिया पर किसी प्रकार की सेंसरशिप नहीं लगाना चाहती।

Mamta Berwa
Mamta Berwa
JOURNALIST
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