वाशिंगटन। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच (USISPF) ने भारत की संसद के निचले सदन और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक की सराहना करते हुए इसे एक परिवर्तनकारी कानून करार दिया और कहा कि यह लैंगिक समानता और समतावाद को बढ़ावा देता है।
USISPF के अध्यक्ष मुकेश अघी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में निर्णय लेने वाले निकायों के शीर्ष पदों पर अधिक महिलाओं के होने के महत्व को भी रेखांकित किया। भारत की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले 128वें संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को संसद की मंजूरी मिल गई जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधेयक का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया और कहा कि एक बार जब महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभाएंगी और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में शामिल होंगी, तो वे देश के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बन जाएंगी।
मुकेश अघी ने कहा लैंगिक समानता और बढ़े हुए प्रतिनिधित्व को प्राप्त करने की दिशा में यह भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है जहां महिला प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पद पर रह चुकी हैं। USISPF के अध्यक्ष ने कहा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और अब दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में, निर्णय लेने वाली संस्थाओं के शीर्ष पदों पर अधिक महिलाओं का होना उचित है। यह विधेयक एक परिवर्तनकारी कानून है और लैंगिक समानता और समतावाद को बढ़ावा देता है।