उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर के एक घर उस वक्त दहशत का माहौल बन गया जब घर के अंदर रात 8 बजे लेपर्ड घुस गया. करीब 4 घंटे तक लेपर्ड घर के अंदर एक कमरे में रहा. घर के सदस्यों ने दूसरे कमरे में खुद का बंद कर अपनी जान बचाई. इस दौरान पूरे परिवार ने 4 घंटे दहशत के माहौल में गुजारे. दरअसल मिली जानकारी के अनुसार सोमवार रात 8 बजे एक लेपर्ड डर के कारण सीढ़ियां चढ़कर एक कमरे में घुस गया. यह कमरा घर की पहली मंजिल में बना हुआ था. मामला के अनुसार घटना गोगुंदा-सायरा मार्ग पर सेमड़ बस स्टैंड के पास स्थित भृगेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी मोहन लाल नागदा के घर की है.
मालिक ने सुनाई आपबीती
अपनी आपबीती बताते हुए पुजारी मोहन लाल नागदा ने कहा कि सोमवार रात 8 बजे मैं घर के गेट के पास कुर्सी पर बैठा था. तभी अचानक घर के मुख्य दरवाजे पर हलचल दिखी. ध्यान से देखने पर मुझे लेपर्ड के होने का एहसास हुआ. लेपर्ड से मेरी महज 5 फीट की दूरी रही होगी. मैं तुरंत कुर्सी से उठा और ग्राउंड फ्लोर पर बने कमरे में चिल्लाता हुआ भागा. इस दौरान लेपर्ड घर के आंगन तक पहुंच चुका था. शोर सुनकर लेपर्ड फिर से बाहर भागने लगा. शोर शराबे की आवाज सुनकर बाहर से गुजर रहे राहगीरों ने टॉर्च जलाकर मामला समझने की कोशिश की. लेकिन बाहर से आ रही रोशनी से लेपर्ड और डर गया. और इस डर के कारण लेपर्ड पहली मंजिल पर बने कमरे में जा घुसा.
घट सकती थी बड़ी घटना
घर के मालिक पुजारी मोहन लाल नागदा ने बताया कि अगर लेपर्ड दूसरे कमरे मे न जाकर और कहीं चला जाता तो बडा हादसा हो सकता था. हादसे के वक्त घर में मोहन लाल की पत्नी व 2 बेटियों सहित 2 बच्चे मौजूद थे. मोहन लाल ने हड़बड़ी में कमरे का दरवाजा बंद किया. इसके बाद पुजारी मोहन लाल ने पड़ोसियों और राहगीरों से मदद की अपील की. घर की पहली मंजिल पर बने कमरे से लेपर्ड की गुर्राहट की आवाज सुनाई दे रही थी. मोहन लाल ने बताया कि घर की पहली मंजिल पर 2 कमरे हैं, जिनमें एक में परिजन थे और दूसरे में लेपर्ड बैठा था.
उदयपुर से बुलाई गई टीम
पुजारी मोहन लाल नागदा ने हादसे के एक घंटे बाद स्थानीय पुलिस को सूचना दी. इसके बाद पुलिस द्वारा वन विभाग की टीम को सूचना दी. लेपर्ड के घर में होने की सूचना मिलने पर रात करीब 10 बजे राजसमंद के कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य की टीम मौके पर पहुंची. लेकिन लेपर्ड को ट्रेंकुलाइज करने की सुविधा कुम्भलगढ़ टीम के पास नहीं थी. इसके लिए जिला मुख्यालय से टीम को बुलाया गया. जिला मुख्यालय से उपवन संरक्षक अरुण कुमार डी के नेतृत्व में टीम रात करीब 11 बजे गोगुंदा पहुंची. इसके बाद टीम ने कमरे में बंद लेपर्ड को खिड़की से ट्रेंकुलाइज कर जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया. इस दौरान परिवार के लोग करीब 4 घंटे तक दहशत में रहे.