Bihar Election 2025 : पटना। कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और निर्वाचन आयोग (ईसी) ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को घुसपैठियों की पहचान का उपाय बताकर देश को गुमराह किया, जबकि अंतिम मतदाता सूची में एक भी विदेशी नागरिक नहीं पाया गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने पटना में जारी बयान में कहा कि मंगलवार को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज किए गए हैं, जो इस वर्ष 24 जून को दर्ज 7.89 करोड़ मतदाताओं की तुलना में करीब छह प्रतिशत कम हैं। उन्होंने कहा कि आयोग और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मतदाता सूची से हटाए गए नामों के कारणों में मृत्यु, स्थायी पलायन और दोहराव का उल्लेख किया, लेकिन यह नहीं बताया कि कितने विदेशी नागरिक हटाए गए।
SIR को नागरिकता सत्यापन अभियान के रूप में क्यों पेश किया गया : दुबे
दुबे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और आयोग ने बार-बार कहा था कि यह प्रक्रिया घुसपैठियों की पहचान से जुड़ी है, लेकिन अंतिम सूची से स्पष्ट हो गया कि एक भी विदेशी नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि इस एसआईआर को नागरिकता सत्यापन अभियान के रूप में क्यों पेश किया गया? उन्होंने कहा कि आयोग ने उच्चतम न्यायालय में यह तर्क दिया था कि उसे मतदाता से नागरिकता का सबूत मांगने का अधिकार है और नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के तहत कड़े दस्तावेजी नियम भी लागू किए गए थे, लेकिन नतीजा यह रहा कि विदेशियों की संख्या शून्य है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि इस पुनरीक्षण के दौरान 68.6 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें 65 लाख नाम एक अगस्त को प्रकाशित प्रारूप सूची में और 3.66 लाख नाम दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया के बाद हटाए गए। इसी अवधि में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए। उन्होंने कहा कि प्रारूप सूची से हटाए गए नामों में 22 लाख मृत, 36 लाख स्थायी पलायन या अनुपस्थित और सात लाख अन्यत्र पंजीकृत पाए गए। उनके मुताबिक, अंतिम सूची में काटे गए 3.66 लाख नामों में से दो लाख पलायन, 60 हजार मृत्यु और 80 हजार दोहराव के आधार पर हटाए गए।
आयोग ने मतदाता सूची का लिंगवार विवरण सार्वजनिक नहीं किया : दुबे
दुबे ने यह भी कहा कि आयोग ने मतदाता सूची का लिंगवार विवरण सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों से प्रतीत होता है कि महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में काफी कम हो गया है। उन्होंने आयोग से पांच सवाल पूछे- क्या प्रधानमंत्री और निर्वाचन आयोग ने झूठ बोला कि एसआईआर घुसपैठियों की पहचान के लिए है, जब अंतिम सूची में एक भी विदेशी नहीं मिला? दुबे ने सवाल किया कि जिन मतदाताओं को मृत दिखाया गया है, क्या उनके मृत्यु प्रमाणपत्र की तस्दीक की गई या केवल अनुश्रुत आधार पर नाम हटाए गए?
कांग्रेस नेता ने पूछा कि फॉर्म 6ई से जो नए मतदाता बनाए गए, क्या वे हटाई गई सूची से हैं या केवल प्रथम बार के मतदाता हैं? उन्होंने सवाल किया कि अलग-अलग श्रेणियों- मृत, पलायन, दोहराव- की पृथक सूचियां क्यों जारी नहीं की गईं? और क्या यह सही है कि हटाए गए नामों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है? दुबे ने कहा, एसआईआर की प्रक्रिया शुरू से ही संदिग्ध रही है। भविष्य में जब भी सरकार बदलेगी, तब इसकी सीबीआई जांच होगी और वोट चोरी का यह षड्यंत्र बेनकाब होगा।