दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीन महत्वपूर्ण कानूनों को खत्म कर दिया. इसकी जगह तीन नए कानून पेश कर दिए. तीनों नए कानून को पेश करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह कदम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने की दिशा में उठाया गया है. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून में दंड दिए जाने की अवधारणा तो है लेकिन इससे पीडित को न्याय नही मिल पाता था. इसलिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून में देश के लोगों के लिए न्याय देने का प्रावधान के साथ-साथ दंड देने का प्रावधान है.
फिलहाल इस कानून को लोकसभा में पेश किया गया हैं. यहां से पास होने के बाद इस कानून को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. दोनो सदनो से कानून पास होने के बाद इस पर राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाएगी. यहां से राष्ट्रपति की मंजूरी होने के बाद ही ये तीनों कानून लागू हो जाएंगे.
इन कानूनों में किए गए बदलाव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लोकसभा में पेश किए. जो अंग्रेजों द्वारा बनाए गए और अंग्रेजी संसद में पारित किए गए इंडियन पीनल कोड (IPC) 1860, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) 1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट (IAA) 1872 कानूनों को रिप्लेस करेंगे. IPC 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 स्थापित होगा. CRPC 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 स्थापित होगा.
सदन में इन कानून को पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि खत्म होने वाले ये तीनों कानून अंग्रेज़ी शासन को मज़बूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका उद्देश्य दंड देने का था, न की न्याय देने का. संसद में पेश किए गए तीन नए कानून की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान में दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना, इनका उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना होगा. भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा.
कितनी बैठको से निकल कर आए कानून
सासंद में गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि कानून को लाने से पहले 18 राज्यों, 6 संघशासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 हाई कोर्ट, 5 न्यायिक अकादमी, 22 विधि विश्वविद्यालय, 142 सांसद, लगभग 270 विधायकों और जनता ने इन नए कानूनों पर अपने सुझाव दिए थे. 4 सालों तक इस कानून पर गहन विचार विमर्श हुआ और इस कानून को बनाने के लिए कई बैठके की गई जिनमें से 158 बैठकों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद उपस्थित रहे.
नए कानून में कितनी धारा
गृहमंत्री द्वारा पेश किए गए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जो CRPC को रिप्लेस करेगी, उसमें अब 533 धाराएं रहेंगी. जबकि अब तक इसमें 478 धाराएं थी. 160 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं जबकि 9 धाराओं को निरस्त किया गया है. इसी तरह भारतीय न्याय संहिता, जो IPC को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी. 175 धाराओं में बदलाव किया गया है. 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है. वहीं भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, उसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी. 23 धाराओं में बदलाव किया गया है.1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं.
इसके साथ ही राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त किया गया है, दूसरी ओर धोखा देकर महिला का शोषण करने और मॉब लिंचिग जैसे जघन्य अपराधों के लिए दंड का प्रावधान और संगठित अपराधों और आतंकवाद पर नकेल कसने का काम भी किया है.
कानून में कुल 313 बदलाव किए गए हैं जो हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में परिवर्तन लाएंगे और किसी को भी अधिकतम 3 वर्षों में न्याय मिल सकेगा.
इस कानून में महिलाओं और बच्चो का विशेष ध्यान रखा गया है, अपराधियों को सज़ा मिले ये सुनिश्चित किया गया है और पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग न कर सके, ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं.