Thursday, September 19, 2024
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Delhi Excise Policy Case: अरविंद केजरीवाल को बेल मिलेगी या नहीं ?, 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट आबकारी नीति घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 2 याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी तथा जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं.सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 13 सितंबर को अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ दोनों याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी. पीठ में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइंया भी शामिल हैं.

कोर्ट ने 5 सितंबर को फैसला रखा था सुरक्षित

पीठ ने 5 सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था.उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के इस मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा था.

हाईकोर्ट ने फैसले में कही थी ये बात

हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अब उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और संबंधित साक्ष्यों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी अकारण या अवैध थी.उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत संबंधी याचिका पर निचली अदालत से संपर्क करने की भी अनुमति दी थी.यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. इस नीति को बाद में निरस्त कर दिया गया था.

शीर्ष अदालत ने धनशोधन (रोकथाम) अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘‘गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता’’ के पहलू पर 3 सवालों के संदर्भ में गहन विचार के लिए इसे एक बड़ी पीठ (पांच-सदस्यीय संविधान पीठ) को भेज दिया.भ्रष्टाचार मामले में अपनी याचिका पर 5 सितंबर को सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने CBI की उस दलील का जोरदार विरोध किया था कि उन्हें जमानत के लिए सबसे पहले निचली अदालत जाना चाहिए.

CBI की ओर से कही गई थी ये बात

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने केजरीवाल की याचिकाओं के गुण-दोष पर सवाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में भी शीर्ष अदालत को उन्हें (केजरीवाल को) निचली अदालत जाने के लिए कहना चाहिए.

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